पिता और बेटे का टकराव: फिल्म ‘वनवास’ और बॉलीवुड की शानदार फिल्में

Admin
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फिल्म ‘वनवास‘ 20 दिसंबर को सिनेमाघरों में आ गई है। इस फिल्म में उत्कर्ष शर्मा, नाना पाटेकर, और खुशबू सुंदर जैसे सितारे अहम भूमिकाओं में नजर आ रहे हैं। यह एक इमोशनल फैमिली ड्रामा फिल्म है, जो पिता-पुत्र के रिश्ते पर आधारित है। फिल्म की कहानी दो पीढ़ियों के बीच के फासले और टकराव को दिखाती है, जिसमें बच्चों द्वारा अपने माता-पिता को वनवास भेजने की दिल छू लेने वाली कहानी है। निर्देशक अनिल शर्मा ने इस फिल्म के जरिए बाप-बेटे के रिश्ते के जटिल पहलुओं को सामने लाने की कोशिश की है।

पिता और बेटे का टकराव: फिल्म 'वनवास' और बॉलीवुड की शानदार फिल्में
पिता और बेटे का टकराव: फिल्म ‘वनवास’ और बॉलीवुड की शानदार फिल्में

इससे पहले भी बॉलीवुड में कई फिल्में बन चुकी हैं, जो पिता-पुत्र के रिश्ते को केंद्रित करती हैं। इनमें से कुछ फिल्मों का जिक्र हम यहां करेंगे, जिनमें दो पीढ़ियों का टकराव प्रमुख रूप से दिखाई देता है।

सूर्यवंशम

अमिताभ बच्चन अभिनीत यह फिल्म पिता-पुत्र के रिश्ते पर आधारित है। फिल्म में अमिताभ बच्चन डबल रोल में हैं और उनका बेटा बनी भूमिका में सौंदर्या नजर आती हैं। यह फिल्म फैमिली ड्रामा के साथ-साथ पीढ़ियों के बीच के टकराव को भी बड़ी सुंदरता से दिखाती है। इस फिल्म में अमिताभ बच्चन के किरदार को लोगों ने बहुत पसंद किया था।

 

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कभी खुशी कभी गम

यह फिल्म 2001 में आई थी और इसमें अमिताभ बच्चन, शाहरुख खान, ऋतिक रोशन, काजोल और करीना कपूर जैसे बड़े सितारे थे। यह फिल्म दो पीढ़ियों के बीच के टकराव को बड़े ही खूबसूरती से पेश करती है। शाहरुख खान का किरदार राहुल एक सामान्य परिवार से प्यार करने वाली लड़की से शादी कर लेता है, जिससे उसके पिता यशवर्धन (अमिताभ बच्चन) नाराज हो जाते हैं और राहुल को घर से निकाल देते हैं। इस फिल्म ने पीढ़ियों के बीच के वैचारिक बदलावों को प्रभावी तरीके से पेश किया।

बागबान

2003 में आई फिल्म ‘बागबान’ भी बाप-बेटे के रिश्ते पर आधारित है। इसमें अमिताभ बच्चन और हेमा मालिनी मुख्य भूमिका में थे, जबकि उनके चार बेटे की भूमिका में अमन वर्मा, समीर सोनी, साहिल चड्ढा और नसिर काजी थे। यह फिल्म इस बात को दिखाती है कि कैसे अपने परिवारों के लिए जिम्मेदार लोग कभी-कभी बुजुर्ग माता-पिता को बोझ समझने लगते हैं, जिससे पीढ़ियों के बीच दूरी बढ़ जाती है।

दंगल

यह फिल्म ‘दंगल’ हालांकि पिता-पुत्र की कहानी नहीं है, लेकिन इसमें पिता-पुत्री के रिश्ते को प्रमुखता से दिखाया गया है। आमिर खान ने इस फिल्म में महावीर फोगाट के किरदार को निभाया, जो अपनी बेटियों को कुश्ती में प्रशिक्षित करते हैं। फिल्म में पिता और बेटी के बीच का संघर्ष और रिश्ते की जटिलताएं दिखायी गई हैं, जो दर्शकों को बहुत भावुक करती हैं।

एनिमल

रणबीर कपूर और अनिल कपूर अभिनीत फिल्म ‘एनिमल’ में भी पिता-पुत्र के रिश्ते पर आधारित संघर्ष दिखाया गया है। फिल्म में अनिल कपूर एक सख्त और कठोर पिता की भूमिका में हैं, जो अपने बेटे रणबीर कपूर को किसी लायक नहीं समझता। हालांकि, फिल्म के अंत में एक भावुक मोड़ आता है, जिससे पिता-पुत्र का रिश्ता फिर से एक नई दिशा में मोड़ लेता है। यह फिल्म भी बॉक्स ऑफिस पर बड़ी हिट रही थी।

स्वर्ग

1990 में आई फिल्म ‘स्वर्ग’ में भी बाप-बेटे के रिश्ते को दिखाया गया था, जिसमें राजेश खन्ना और सचिन पिलगांवकर ने मुख्य भूमिका निभाई थी। फिल्म में पिता अपने बेटे के भविष्य को बेहतर बनाने के लिए कई कोशिशें करता है, और उनकी भावनाओं और रिश्ते को दर्शकों ने खूब सराहा।

घर परिवार

‘घर परिवार’ फिल्म 1979 में आई थी, जिसमें राज कुमार और लीला मिश्रा जैसे कलाकार थे। यह फिल्म भी पिता और पुत्र के रिश्ते पर आधारित थी, जिसमें परिवार के जिम्मेदारियों और संघर्षों को प्रमुख रूप से दर्शाया गया।

इन फिल्मों के माध्यम से बॉलीवुड ने बाप-बेटे के रिश्ते की जटिलताओं और प्यार को दर्शकों तक पहुंचाया है। ‘वनवास’ भी इसी कड़ी में एक महत्वपूर्ण फिल्म साबित हो सकती है, जिसमें पिता-पुत्र के रिश्ते की परिभाषा को नए तरीके से दिखाया गया है।

वनवास फिल्म में उत्कर्ष शर्मा ने अपने अभिनय से एक नई पहचान बनाने की कोशिश की है। वहीं, नाना पाटेकर का अभिनय हमेशा की तरह सशक्त और प्रभावशाली है। फिल्म के निर्देशन में अनिल शर्मा ने जिस तरह से पिता-पुत्र के रिश्ते की भावनाओं को पर्दे पर उतारा है, वह दर्शकों को गहरे तक प्रभावित करता है।

फिल्म के संगीत और गीत भी परिवारिक ड्रामा को सही तरीके से सपोर्ट करते हैं, जिससे यह और भी दिलचस्प बन जाती है। इस फिल्म के जरिए यह संदेश दिया गया है कि समय के साथ रिश्ते बदलते हैं, लेकिन किसी भी रिश्ते की जड़ें हमेशा मजबूत रहती हैं, यदि उसमें सच्ची भावनाएं और समझदारी हो।

कुल मिलाकर, ‘वनवास’ एक ऐसी फिल्म है जो दर्शकों को न केवल पिता-पुत्र के रिश्ते की अहमियत समझाती है, बल्कि यह भी बताती है कि प्यार, समझदारी और समय की मदद से रिश्तों में आए हुए मतभेदों को सुलझाया जा सकता है।

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