रात का अजनबी – मोटिवेशनल कहानी ( Motivational Story In Hindi)

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रात का अजनबी – मोटिवेशनल कहानी: यह प्रेरणादायक हिंदी कहानी हर्ष और प्रिया के जीवन में आई रहस्यमयी रात की घटना को दर्शाती है, जो साहस और आत्मविश्वास की सीख देती है। पूरी कहानी पढ़ें और प्रेरित हों!

रात का अजनबी - मोटिवेशनल कहानी ( Motivational Story In Hindi)
रात का अजनबी – मोटिवेशनल कहानी ( Motivational Story In Hindi)

अचानक किसी ने जोर से दरवाजा खटखटाया और लगातार खटखटाता रहा।

“इस वक्त कौन हो सकता है?” प्रिया ने सोचा और बगल में सो रहे अपने पति हर्ष को जगाया।

हर्ष भी इतनी जोर से दरवाजा खटखटाने की आवाज से जगा—जगा सा तो हो ही गया था और प्रिया के हिलाने से तुरंत उठकर बैठ गया। उसने घबराई हुई नजरों से प्रिया की ओर देखा। प्रिया की हालत भी उसकी ही जैसी थी।

अभी एक महीने पहले ही तो दोनों इस मकान में शिफ्ट हुए थे। शहर के बाहरी इलाके में स्थित यह मकान उन्हें काफी सस्ता मिला था, इसलिए ज्यादा सोचे बिना उन्होंने इसे ले लिया। मकान थोड़ा पुराना था, लेकिन रहने लायक था। आसपास ज्यादा घर भी नहीं थे, जिससे रात के समय थोड़ा डरावना माहौल लगने लगा था।

दरवाजा अब भी लगातार खटखटाया जा रहा था।

“देखो कौन है?” प्रिया ने हर्ष से कहा।

“तुम यहीं रुको, मैं देखता हूँ,” हर्ष ने धीरे से कहा और टॉर्च लेकर दरवाजे की ओर बढ़ा।

दरवाजे के करीब जाकर उसने अंदर से ही पूछा, “कौन है?”

कोई जवाब नहीं आया। सिर्फ दरवाजे पर खटखटाने की आवाज बंद हो गई।

हर्ष ने हल्की सी झिरी से बाहर झांककर देखा, लेकिन वहां कोई नहीं था। उसने राहत की सांस ली और वापस बेडरूम की ओर बढ़ा।

“कोई नहीं था बाहर,” हर्ष ने कहा।

“तो फिर इतनी तेज आवाजें कैसे आ रही थीं?” प्रिया की आवाज में अब भी डर था।

हर्ष ने उसे शांत किया, “हो सकता है कोई शरारती बच्चा हो। चलो सोते हैं।”

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दोनों फिर से बिस्तर पर लेट गए, लेकिन प्रिया का मन अब भी अस्थिर था।

कुछ देर बाद, अचानक फिर वही खटखटाने की आवाज आने लगी। इस बार आवाज और भी तेज थी, जैसे कोई जोर-जोर से दरवाजा पीट रहा हो।

अब तो हर्ष भी पूरी तरह से सतर्क हो गया। उसने बैड के पास रखी बैट उठाई और झटके से दरवाजा खोला।

बाहर अंधेरे में कोई नहीं था। सिर्फ ठंडी हवा का झोंका आया और मकान के पुराने लकड़ी के दरवाजे को झकझोर कर चला गया।

हर्ष और प्रिया दोनों ने एक-दूसरे को घबराई हुई नजरों से देखा।

“यह कुछ अजीब नहीं लग रहा?” प्रिया ने कांपती आवाज में कहा।

हर्ष कुछ सोच ही रहा था कि अचानक घर की लाइट्स झपकने लगीं और फिर एक पल के लिए पूरी तरह से बंद हो गईं।

अब अंधेरा था। पूरा घर एकदम सन्नाटे में डूब गया था।

तभी, बेडरूम की खिड़की के शीशे पर किसी के नाखून रगड़ने की आवाज आने लगी।

अब तो प्रिया की घबराहट उसके चेहरे पर साफ झलक रही थी। उसने हर्ष का हाथ कसकर पकड़ लिया।

हर्ष ने धीरे से खिड़की की ओर टॉर्च का रोशनी डाली।

और जो दिखा, उसने दोनों के रोंगटे खड़े कर दिए।

खिड़की के बाहर एक परछाईं थी—अस्पष्ट, लेकिन इंसानी आकार की।

“क…कौन हो तुम?” हर्ष ने कांपते हुए पूछा।

कोई जवाब नहीं।

अचानक खिड़की के बाहर मौजूद परछाईं गायब हो गई।

हर्ष और प्रिया अब तक पूरी तरह से डर चुके थे।

“हमें यह घर छोड़ देना चाहिए,” प्रिया ने हर्ष से कहा।

हर्ष भी कुछ ऐसा ही सोच रहा था।

सुबह होने का इंतजार दोनों ने जागकर किया।

जैसे ही सूरज निकला, उन्होंने पड़ोसी से जाकर इस घटना के बारे में पूछा।

पड़ोसी ने जो बताया, उसने उनके होश उड़ा दिए।

“यह मकान पिछले दस सालों से खाली था। यहाँ पहले एक परिवार रहता था, लेकिन उनके साथ कुछ अजीब घटनाएँ हुईं और वे रातोंरात घर छोड़कर चले गए। तब से यहाँ कोई नहीं ठहरा।”

यह सुनकर प्रिया और हर्ष ने बिना एक पल गवाए, उसी दिन वह मकान छोड़ दिया।

लेकिन जाते-जाते जब वे दरवाजे के बाहर निकले, तो प्रिया ने एक आखिरी बार पीछे मुड़कर देखा।

खिड़की के शीशे में वही परछाईं अब भी मौजूद थी—धीरे-धीरे मुस्कुराती हुई।

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