रीना का आत्मसम्मान – एक प्रेरणादायक कहानी (Motivational Story in Hindi)

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रीना का आत्मसम्मान एक ऐसी कहानी है जो हमें सिखाती है कि आत्मसम्मान से बढ़कर कुछ नहीं।

रीना का आत्मसम्मान – एक प्रेरणादायक कहानी (Motivational Story in Hindi)
रीना का आत्मसम्मान – एक प्रेरणादायक कहानी (Motivational Story in Hindi)

छत्तीसगढ़ के छोटे से गांव सुकमा में पंचायत चुनावों का माहौल गरम था। गांव के हर कोने में नारों और प्रचार की गूंज सुनाई दे रही थी। इस बार के चुनाव में मुख्य उम्मीदवारों में शामिल थी रीना। रीना, जो अपने पति अर्जुन और छोटे बच्चे के साथ एक साधारण झोपड़ी में रहती थी, आज बदलाव के रास्ते पर थी।

इस चुनाव में सबसे बड़ा नाम था रमेश ठाकुर। वह इलाके के बड़े जमींदार और सत्ता के भूखे नेता थे। उन्होंने ठान लिया था कि रीना को चुनाव जिताकर अपनी कठपुतली बनाएंगे और पंचायत पर राज करेंगे।

रमेश ठाकुर ने पैसे और शराब का ऐसा जाल फैलाया कि गांव वालों ने रीना को अपना मुखिया चुन लिया। इस जीत के बाद रीना और अर्जुन के जीवन में बड़ा बदलाव आया। लेकिन असली खेल तो अब शुरू होने वाला था।

चुनाव जीतने के बाद, रीना और अर्जुन अक्सर रमेश ठाकुर के घर जाया करते। वहां हर फैसला उनके इशारे पर होता। रीना को रमेश ठाकुर की हर बात माननी पड़ती थी।

अर्जुन को यह सब देखकर अजीब लगता, लेकिन वह सोचता कि यह सब गांव के भले के लिए हो रहा है। हालांकि, रमेश ठाकुर के मन में कुछ और ही चल रहा था। वह रीना को अपने कब्जे में लेने की चाल चल रहा था।

 

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एक दिन, रमेश ठाकुर ने रीना को अकेले बुलाया।

“रीना, तुमसे कुछ जरूरी बात करनी है,” उन्होंने नरमी से कहा।

“कहिए ठाकुर साहब,” रीना ने विनम्रता से कहा।

रमेश ठाकुर ने उसका कंधा पकड़ते हुए कहा, “जब मैंने तुम्हें पहली बार देखा था, तभी से मेरे दिल में तुम्हारे लिए प्यार जाग गया था। मैंने तुम्हें मुखिया इसलिए नहीं बनाया कि तुम गांव के लिए काम करो, बल्कि इसलिए कि मैं तुम्हें अपना बना सकूं।”

रीना चौंकी, लेकिन उसने खुद को संभालते हुए कहा, “अगर आप सच में मुझसे प्यार करते हैं, तो मुझे यह कैसे यकीन होगा?”

रमेश ठाकुर ने कहा, “मैं अपनी आधी जमीन और पांच लाख रुपये तुम्हारे नाम कर दूंगा। तुम्हें हवेली की रानी बना दूंगा। तुम्हें बस अर्जुन को छोड़ना होगा।”

रीना ने मुस्कुराते हुए कहा, “अगर आप इतना कर सकते हैं, तो मैं आपकी हो जाऊंगी। लेकिन मुझे यह सब देखने और समझने का समय चाहिए।”

अगले दिन, रमेश ठाकुर ने रीना को अपने साथ शहर बुलाया। उन्होंने उसकी झोपड़ी के बदले एक बड़ा मकान और बैंक में मोटी रकम उसके नाम कर दी।

जब वह लौटे, तो रमेश ठाकुर ने रीना से कहा, “अब तो तुम मेरी हो गई हो।”

रीना ने शांत स्वर में कहा, “हां, ठाकुर साहब।”

लेकिन रीना का असली खेल अब शुरू हुआ।

दो दिन बाद, रीना ने रमेश ठाकुर को उनके घर मिलने बुलाया। रमेश ठाकुर ने सोचा कि आज उनकी मेहनत सफल हो जाएगी।

जैसे ही रीना पहुंची, रमेश ठाकुर ने उसे गले लगाने की कोशिश की। तभी, रीना ने जोर से चिल्लाना शुरू कर दिया, “बचाओ! बचाओ! यह आदमी मेरी इज्जत लूटने की कोशिश कर रहा है!”

चीख सुनकर पास में मौजूद पुलिस अंदर आ गई। यह सब रीना की पहले से बनाई गई योजना का हिस्सा था।

पुलिस ने रमेश ठाकुर को गिरफ्तार कर लिया। वह गुस्से में रीना को घूरते हुए बोला, “तुमने मुझे धोखा दिया है। तुम्हें इस चाल का खामियाजा भुगतना पड़ेगा।”

रीना ने हंसते हुए कहा, “ठाकुर साहब, आपने सही कहा। लेकिन अब वो जमाना नहीं रहा जब आप जैसे लोग कमजोरों का शोषण करते थे। आपने सोचा कि मैं आपकी कठपुतली बनूंगी, लेकिन मैंने आपकी चाल उलट दी। आपने मुझे मुखिया बनाया, पर मैं आपकी गुलाम नहीं हूं।”

इस घटना के बाद, रीना गांव में एक मिसाल बन गई। लोग उसकी हिम्मत और चतुराई की तारीफ करने लगे। उसने यह साबित कर दिया कि सच्चाई और आत्मसम्मान से बड़ी कोई ताकत नहीं होती।

रीना की कहानी उन महिलाओं के लिए प्रेरणा है जो हर मुश्किल परिस्थिति में अपने आत्मसम्मान को बनाए रखती हैं। यह कहानी हमें सिखाती है कि ताकत केवल सत्ता या पैसे में नहीं होती, बल्कि सही समय पर सही कदम उठाने की हिम्मत में होती है।

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