मनिपुर के जिरिबाम जिले में सोमवार को केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के जवानों के साथ हुई मुठभेड़ में 11 संदिग्ध उग्रवादी मारे गए। इस मुठभेड़ में एक सीआरपीएफ जवान गंभीर रूप से घायल भी हुआ। हिंसा का यह सिलसिला उस समय शुरू हुआ जब उग्रवादियों ने जिरिबाम के बोरोबेक्रा उपखंड के जकुरादोर करोंग इलाके में हमला किया, जहां उन्होंने दुकानों को आग के हवाले किया और आसपास के घरों और सीआरपीएफ कैम्प को भी निशाना बनाया।

सुबह करीब 2:30 बजे, उग्रवादियों ने बोरोबेक्रा पुलिस स्टेशन पर हमला किया और इसके बाद वे जकुरादोर करोंग क्षेत्र की ओर बढ़ गए, जहां उन्होंने कुछ घरों को आग लगा दी और सुरक्षा बलों के साथ गोलीबारी शुरू कर दी। यह संघर्ष एक घंटे से अधिक समय तक चला, जिसमें सीआरपीएफ के दो जवान घायल हो गए, जिनमें से एक की हालत गंभीर बताई जा रही है।
इस हमले के दौरान, पांच नागरिक लापता हो गए हैं। अधिकारियों के अनुसार यह स्पष्ट नहीं है कि उन्हें उग्रवादियों ने अपहृत किया है या वे अपने सुरक्षा के लिए छिप गए हैं। पुलिस ने इन लापता नागरिकों की खोज के लिए ऑपरेशन शुरू कर दिया है। मारे गए उग्रवादियों की लाशों को बोरोबेक्रा पुलिस स्टेशन भेजा गया, जहां घटनाक्रम की पूरी जांच की जा रही है।
हिंसा का कारण और जिरिबाम का तनावपूर्ण माहौल
पिछले कुछ महीनों में जिरिबाम में हिंसा की घटनाएं बढ़ी हैं, और यह क्षेत्र इस समय मनिपुर के सबसे तनावपूर्ण इलाकों में से एक बन चुका है। जून माह में यहां जब एक किसान की लाश मिली, तो इसके बाद क्षेत्र में बड़े पैमाने पर अराजकता फैली, जिसके परिणामस्वरूप कई घर जलाए गए और लोग बेघर हो गए। जुलाई महीने में सीआरपीएफ के एक जवान की भी उग्रवादियों के हमले में मौत हो गई थी।
इस हमले के पीछे संदिग्ध कूकी उग्रवादियों का हाथ बताया जा रहा है। सीआरपीएफ के अधिकारियों ने कहा कि ये उग्रवादी दो तरफ से पुलिस स्टेशन पर हमला करने के बाद, पास के एक राहत शिविर को भी निशाना बनाने की कोशिश कर रहे थे। राहत शिविर में विस्थापित लोग रहते हैं, और हमलावरों ने उनके बीच डर फैलाने के लिए ये हमले किए।
सीआरपीएफ के द्वारा भेजे गए अतिरिक्त बलों ने उग्रवादियों का मुकाबला किया और अंततः 11 संदिग्ध कूकी उग्रवादियों को मारा। सुरक्षाबलों ने घटनास्थल से कई हथियार बरामद किए, जिनमें रॉकेट-प्रोपेल्ड ग्रेनेड (RPGs) और AK सीरीज के असॉल्ट राइफल्स शामिल थे। अधिकारियों के अनुसार, उग्रवादी एक बार फिर से अपने हथियारों के इस्तेमाल से जनजीवन को अस्थिर करने की कोशिश कर रहे थे।
सुरक्षा बलों की कार्रवाई और शासन का प्रतिक्रिया
इस हमले के बाद, स्थानीय प्रशासन ने क्षेत्र में कर्फ्यू लगा दिया और प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किए, ताकि हिंसा को और बढ़ने से रोका जा सके। जिरिबाम क्षेत्र में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सुरक्षा बलों की संख्या बढ़ा दी गई है। स्थानीय नागरिकों के लिए भी राहत शिविरों में सुरक्षित रहने की व्यवस्था की गई है।
कूकी उग्रवादी समूहों ने इस हमले के बाद, “गांव के स्वयंसेवकों” की मौत का विरोध करते हुए बंद का आह्वान किया है। इन समूहों का कहना है कि मारे गए लोग उनके गांव के स्वयंसेवक थे, जो अपने समुदाय की रक्षा के लिए काम कर रहे थे।
मनिपुर में बढ़ते संघर्ष के कारण
मनिपुर में पिछले कुछ समय से जातीय संघर्ष तेज हो गया है, जिसमें मीतई समुदाय और कूकी-जो समुदाय के बीच हिंसा की घटनाएं बढ़ी हैं। इस संघर्ष में अब तक 200 से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं, और हजारों लोग घर छोड़ने पर मजबूर हो चुके हैं। स्थिति इतनी गंभीर हो गई है कि जिरिबाम और आसपास के इलाके अब कोई शांतिपूर्ण जीवन जीने के लिए सुरक्षित नहीं माने जा रहे हैं।
मनिपुर सरकार और केंद्र सरकार ने स्थिति को काबू में करने के लिए कई कदम उठाए हैं, लेकिन क्षेत्र में लगातार हो रही हिंसा से हालात और बिगड़ते जा रहे हैं। इस बीच, कूकी समुदाय के नेताओं ने इस बात की निंदा की है कि उनके समुदाय के लोगों को हमेशा निशाना बनाया जा रहा है, जबकि मीतई समुदाय भी अपनी सुरक्षा और अधिकारों को लेकर संघर्ष कर रहा है।
आगे की राह और सुरक्षा की चुनौतियाँ
मनिपुर के जिरिबाम जिले में हुई मुठभेड़ और उसके बाद की हिंसा ने यह स्पष्ट कर दिया है कि इस क्षेत्र में सुरक्षा स्थिति काफी संवेदनशील हो चुकी है। स्थानीय लोगों की सुरक्षा और शांतिपूर्ण जीवन की बहाली के लिए यह आवश्यक है कि सरकार और सुरक्षा बलों की कार्रवाई तेज और प्रभावी हो। इसके अलावा, समुदायों के बीच विश्वास की कमी और बढ़ती हिंसा को रोकने के लिए एक मजबूत संवाद और शांतिपूर्ण समाधान की आवश्यकता है।
मनिपुर की जटिल स्थिति को देखते हुए यह उम्मीद की जा सकती है कि केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर ऐसे कदम उठाएंगी, जो हिंसा को रोकने और प्रभावित समुदायों के बीच शांति और सुरक्षा को बहाल करने में मदद करें। हालांकि, स्थिति को सामान्य होने में समय लग सकता है, और इसके लिए सभी पक्षों को एक साथ आकर इस संघर्ष का समापन करने के लिए सहयोग करना होगा।