आईना और एक अनसुलझा राज़” एक रोमांचक हिंदी कहानी है, जिसमें एक युवती का सामना एक रहस्यमयी आईने से होता है। क्या वह सच्चाई का सामना कर पाएगी? पूरी कहानी पढ़ें!

कमरे की हल्की रोशनी में रिया शीशे के सामने खड़ी थी। उसकी खुली जुल्फें उसकी नंगी पीठ पर गिर रही थीं, जैसे चाँदनी रात किसी समंदर को छू रही हो। उसकी आँखें आईने में खुद को घूर रही थीं, लेकिन आज कुछ अजीब था।
आईने में उसकी परछाईं जरा देर से हिल रही थी। पहले उसे लगा कि ये उसकी थकान का असर है, लेकिन जब उसने दोबारा ध्यान दिया, तो आईने की छवि ने हल्की मुस्कान दी।
रिया का दिल तेजी से धड़कने लगा। “क्या मैंने सच में अभी…?”
अचानक, कमरे का दरवाज़ा हल्का सा खुला।
“तेरी बैक… कमाल लग रही है,” आदित्य की आवाज़ गूंज उठी।
रिया ने एक पल के लिए अपनी घबराहट को छुपाया और हल्का सा मुस्कुराई।
“तो क्या करना होगा तुम्हें?” उसने धीरे से पूछा, आवाज़ में हल्की शरारत थी, लेकिन उसके अंदर बेचैनी थी।
आदित्य ने उसकी गर्दन के करीब झुककर फुसफुसाया, “सिर्फ तुम्हारे हाँ कहने का इंतजार है…”
रिया ने धीरे से अपना सिर मोड़ा, लेकिन इस बार उसकी आँखों में मोहब्बत नहीं, सवाल थे।
“आदित्य, तुम सच में मुझे देख सकते हो?” उसने गंभीरता से पूछा।
आदित्य ने चौंककर उसे देखा, “ये कैसा सवाल है?”
रिया ने गहरी सांस ली और धीरे से आईने की ओर इशारा किया। “वहाँ देखो…”
आदित्य ने आईने की ओर देखा, और अगले ही पल उसका चेहरा सफेद पड़ गया।
आईने में सिर्फ रिया की छवि थी… लेकिन आदित्य की नहीं।
आदित्य घबराकर दो कदम पीछे हटा।
“ये क्या हो रहा है, रिया?” उसकी आवाज़ काँप रही थी।
रिया ने गहरी सांस ली और धीरे से फुसफुसाई, “मैं… मैं नहीं जानती…”
लेकिन वो झूठ बोल रही थी।
वो जानती थी।
आज से ठीक तीन महीने पहले, इस कमरे में कुछ ऐसा हुआ था जिसे वो भुलाना चाहती थी।
रात का अंधेरा घना था। तेज़ बारिश हो रही थी, और रिया अपनी डायरी लिख रही थी, जब अचानक दरवाजे पर ज़ोर की दस्तक हुई।
“रिया, दरवाजा खोलो!”
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वो आवाज़ आदित्य की थी, लेकिन उसमें एक अजीब घबराहट थी।
रिया ने दरवाजा खोला, और देखा कि आदित्य पूरी तरह भीग चुका था।
“तुम ठीक तो हो?”
आदित्य अंदर आया, उसकी आँखों में अजीब सी बेचैनी थी।
“रिया, मुझे कुछ कहना है।”
रिया ने ध्यान से उसकी ओर देखा, “क्या हुआ?”
आदित्य ने उसकी ओर बढ़कर उसके दोनों हाथ पकड़ लिए।
“तुम मुझसे वादा करो, जो भी मैं कहूँगा, तुम मुझ पर भरोसा करोगी?”
रिया घबरा गई थी।
“बोलो, आदित्य… क्या हुआ?”
आदित्य ने कांपते हुए कहा, “मैं… मैं अब और नहीं रहूँगा, रिया।”
“क्या मतलब?”
आदित्य की आँखों में आँसू थे।
“रिया, मैं अब इस दुनिया में नहीं हूँ। मैं तीन दिन पहले ही मर चुका हूँ।”
रिया की आँखों से आँसू गिरने लगे।
उसने आदित्य की ओर देखा, और उसकी आवाज़ काँप उठी।
“अगर तुम सच में मर चुके हो, तो फिर अभी मेरे सामने कैसे खड़े हो?”
आदित्य मुस्कुराया।
“क्योंकि तुम्हारी मोहब्बत ने मुझे रोक रखा है। मैं तब तक इस दुनिया से जा नहीं सकता, जब तक तुम मुझे जाने नहीं दोगी।”
रिया ने धीरे से आईने की ओर देखा।
आईने में अब सिर्फ वही थी।
वो पलटी, लेकिन आदित्य गायब हो चुका था।
कमरा अब वीरान था, जैसे वहाँ कोई कभी था ही नहीं।
रिया ने हल्की मुस्कान के साथ एक गहरी सांस ली।
“अब जा सकते हो, आदित्य…”
और तभी, हवा में आदित्य की अंतिम फुसफुसाहट गूंज उठी।
“हर वक्त हमारा है…”