जानिए शिंदे क्यों बैकफुट पर हैं और फडणवीस महाराष्ट्र के सीएम पद की दौड़ में कैसे आगे हैं। बदले राजनीतिक समीकरण की पूरी जानकारी।
महाराष्ट्र की राजनीति में बीते कुछ दिनों से हलचलें तेज हैं। हालात हर दिन बदल रहे हैं और नए समीकरण सामने आ रहे हैं। एक दिन पहले तक चर्चा का केंद्र यह था कि मुख्यमंत्री किस पार्टी का बनेगा – शिवसेना (शिंदे गुट) या भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी)? लेकिन अब बहस का मुद्दा बदल चुका है। चर्चा इस बात पर हो रही है कि मुख्यमंत्री पद के लिए बीजेपी देवेंद्र फडणवीस पर भरोसा जताएगी या किसी नए चेहरे को आगे लाएगी। इस बीच, कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का बैकफुट पर आना और देवेंद्र फडणवीस का सीएम पद की रेस में आगे निकलना कई सवाल खड़े करता है।

कैसे बदला सियासी समीकरण?
महाराष्ट्र की राजनीति में सस्पेंस तब बढ़ा जब एकनाथ शिंदे ने अचानक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा कि उनकी पार्टी शिवसेना, बीजेपी के मुख्यमंत्री उम्मीदवार का पूरी तरह समर्थन करेगी। शिंदे के इस बयान ने न केवल अटकलों को शांत किया, बल्कि बीजेपी के लिए मुख्यमंत्री पद का रास्ता भी साफ कर दिया। शिंदे ने यह भी कहा कि महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर उनकी ओर से कोई अड़चन नहीं है। इसके बाद से फडणवीस का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए सबसे आगे माना जा रहा है।
दिल्ली में गुरुवार को बीजेपी के शीर्ष नेताओं, शिंदे और अजित पवार के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक होने वाली है। इस बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और अन्य नेता महाराष्ट्र के अगले मुख्यमंत्री के नाम पर अंतिम निर्णय ले सकते हैं। अब सवाल यह उठता है कि आखिर क्यों शिंदे बैकफुट पर आए और फडणवीस सीएम पद की रेस में सबसे आगे कैसे पहुंच गए?
फडणवीस क्यों हैं सीएम पद की पहली पसंद?
देवेंद्र फडणवीस को महाराष्ट्र में बीजेपी का सबसे बड़ा चेहरा माना जाता है। मुख्यमंत्री पद के लिए उनकी दावेदारी के पीछे कई ठोस कारण हैं:
- अनुभव और कुशल नेतृत्व:
फडणवीस ने 2014 से 2019 तक मुख्यमंत्री के रूप में सफलतापूर्वक पांच साल का कार्यकाल पूरा किया। उन्होंने गठबंधन सरकार को मजबूती से चलाया और प्रशासन पर अपनी पकड़ साबित की। - स्वच्छ छवि:
महाराष्ट्र में फडणवीस की छवि एक ईमानदार और कुशल प्रशासक की है। उनका नेतृत्व ना केवल बीजेपी के भीतर बल्कि विपक्षी पार्टियों के बीच भी स्वीकार्य है। - बीजेपी में भरोसेमंद नेता:
पार्टी नेतृत्व के साथ उनका मजबूत तालमेल है। उन्होंने हर मुश्किल समय में पार्टी का साथ दिया है और सरकार को स्थिर बनाए रखा। - चुनावी प्रदर्शन:
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में बीजेपी ने 110 से अधिक सीटें जीतीं। यह जीत फडणवीस की संगठनात्मक रणनीति और उनकी लोकप्रियता का प्रमाण है।
शिंदे के बैकफुट पर आने की वजहें
एकनाथ शिंदे, जो पिछले दो साल से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर थे, अब बैकफुट पर क्यों हैं? इसके पीछे कई वजहें हैं:
- संख्याबल में गिरावट:
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के परिणामों ने बीजेपी को सबसे बड़े दल के रूप में उभारा। बीजेपी ने 110 से अधिक सीटें जीतीं, जबकि शिंदे की शिवसेना को कम सीटों पर संतोष करना पड़ा। इसने मुख्यमंत्री पद के लिए शिंदे की दावेदारी को कमजोर कर दिया। - अजित पवार का समर्थन:
एनसीपी (अजित पवार गुट) ने बिना शर्त बीजेपी का समर्थन किया है। अजित पवार की यह रणनीति बीजेपी को मजबूती देती है और शिंदे की स्थिति को और कमजोर करती है। - बीजेपी का दबदबा:
बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व यह स्पष्ट कर चुका है कि सरकार बनाने में पार्टी का बड़ा हाथ होगा। ऐसे में शिंदे के पास सीएम पद के लिए कोई ठोस तर्क नहीं बचा। - शिवसेना में टूट और अस्तित्व का संकट:
शिंदे गुट की शिवसेना को चुनाव में अच्छे परिणाम नहीं मिले। शिवसेना (उद्धव गुट) और शिंदे गुट के बीच चल रही लड़ाई ने शिंदे की पार्टी की स्थिति को कमजोर किया है।
अजित पवार के लिए सत्ता क्यों जरूरी?
अजित पवार के लिए बीजेपी का समर्थन करना उनके राजनीतिक अस्तित्व के लिए अहम है। इसके पीछे कुछ प्रमुख कारण हैं:
- आगामी चुनाव की तैयारी:
लोकसभा और निकाय चुनाव नजदीक हैं। अजित पवार के लिए सत्ता में बने रहना इन चुनावों में अपनी पार्टी की स्थिति मजबूत करने के लिए जरूरी है। - राजनीतिक सुरक्षा:
एनसीपी का अजित पवार गुट विपक्षी दलों के दबाव से बचने के लिए बीजेपी का साथ दे रहा है। सत्ता में रहते हुए वे अपने समर्थकों को मजबूत संदेश दे सकते हैं।
क्या शिंदे बनेंगे डिप्टी सीएम?
एकनाथ शिंदे के बयान से साफ है कि उन्होंने मुख्यमंत्री पद की दौड़ से खुद को बाहर कर लिया है। अब सवाल यह है कि क्या वे डिप्टी सीएम बनने के लिए तैयार होंगे? बीजेपी के सूत्रों के अनुसार, सरकार में शिवसेना (शिंदे गुट) को एक डिप्टी सीएम पद दिया जा सकता है। लेकिन शिंदे के समर्थक इसे कैसे स्वीकार करेंगे, यह देखना होगा।
तीसरी बार सीएम बन सकते हैं फडणवीस?
अगर देवेंद्र फडणवीस तीसरी बार मुख्यमंत्री बनते हैं, तो यह महाराष्ट्र की राजनीति का एक ऐतिहासिक पल होगा। 2014 में वे पहली बार मुख्यमंत्री बने थे। 2019 में उन्होंने मात्र पांच दिन के लिए मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। अगर इस बार फडणवीस सीएम बनते हैं, तो यह उनके लिए बड़ी जीत होगी। फडणवीस का कहना है कि उन्होंने पार्टी के आदेश पर हमेशा अपने पद से समझौता किया है। 2022 में भी उन्होंने एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनने का मौका दिया और खुद डिप्टी सीएम बने। अब सवाल यह है कि क्या इस बार वे शीर्ष पद पर वापसी करेंगे?
बीजेपी की रणनीति और अमित शाह की बैठक
गुरुवार को दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में महायुति के नेताओं की बैठक होगी। इसमें देवेंद्र फडणवीस, एकनाथ शिंदे और अजित पवार शामिल होंगे। माना जा रहा है कि इस बैठक में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के नाम पर औपचारिक घोषणा होगी। बीजेपी की रणनीति साफ है – पार्टी अपने मजबूत नेता को मुख्यमंत्री बनाकर महाराष्ट्र में अपनी पकड़ और मजबूत करना चाहती है। फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाकर बीजेपी लोकसभा चुनाव 2024 में भी फायदा उठाने की योजना बना रही है।
शिंदे के बयान ने तस्वीर साफ की
एकनाथ शिंदे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह को मुख्यमंत्री पद के फैसले का अधिकार सौंप दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी पार्टी बीजेपी के फैसले का समर्थन करेगी।शिंदे का यह बयान राजनीति के जानकारों के लिए चौंकाने वाला था। इससे पहले उनके समर्थक लगातार मुख्यमंत्री पद की मांग कर रहे थे। लेकिन शिंदे ने खुद बैकफुट पर आकर बीजेपी के लिए रास्ता आसान कर दिया।
आगे क्या?
अब सारी नजरें दिल्ली पर टिकी हैं। महायुति की बैठक के बाद मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा की जाएगी। 29 नवंबर को मुंबई में विधायकों की बैठक में औपचारिक रूप से नए मुख्यमंत्री को चुना जा सकता है।महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर बीजेपी ने अपने चतुर राजनीतिक कदमों से बढ़त बना ली है। अब देखना यह है कि फडणवीस के नेतृत्व में क्या महाराष्ट्र में बीजेपी अपनी पकड़ को और मजबूत कर पाती है या सियासी समीकरण फिर से पलटते हैं।
निष्कर्ष
महाराष्ट्र की सियासत में हर दिन नए मोड़ आ रहे हैं। शिंदे का बैकफुट पर आना और फडणवीस का आगे बढ़ना यह साबित करता है कि बीजेपी अपनी रणनीतियों में माहिर है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि अगले कुछ दिनों में मुख्यमंत्री पद को लेकर क्या फैसले होते हैं और महाराष्ट्र की राजनीति किस दिशा में आगे बढ़ती है।