नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत के मौके पर विपक्ष पर तीखा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि जनता द्वारा 80-90 बार खारिज किए गए लोग अब संसद को अपने स्वार्थ के लिए नियंत्रित करने का प्रयास कर रहे हैं। यह सत्र खास है क्योंकि यह भारतीय संविधान के 75 साल पूरे होने का प्रतीक है।

संसद में रचनात्मक बहस की जरूरत
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि संसद में स्वस्थ और रचनात्मक बहस होनी चाहिए, लेकिन कुछ लोग इसे बाधित कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “जो लोग जनता द्वारा बार-बार खारिज किए गए हैं, वे संसद में शोर-शराबा और अराजकता फैलाकर लोकतंत्र का अपमान कर रहे हैं।” पीएम मोदी ने जोर देकर कहा कि ऐसे लोग अपने इरादों में कभी सफल नहीं होंगे क्योंकि जनता सब देख रही है और समय आने पर उन्हें उचित जवाब देती है।
जनता की सजा और लोकतंत्र का अपमान
प्रधानमंत्री ने आगे कहा, “ऐसे लोगों का व्यवहार न केवल उनके सहकर्मियों की भावनाओं का अपमान है, बल्कि यह लोकतंत्र का भी अनादर है।” उन्होंने यह भी बताया कि देश की जनता ने ऐसे नेताओं को कई बार खारिज किया है और वे अब संसद को बाधित करके अपनी राजनीति चमकाने की कोशिश कर रहे हैं।
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महाराष्ट्र और हरियाणा में भाजपा की सफलता
प्रधानमंत्री मोदी की यह टिप्पणी महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में भाजपा की शानदार जीत के बाद आई। भाजपा गठबंधन ने 288 सदस्यीय विधानसभा में 235 सीटें जीतकर विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) को मात्र 49 सीटों पर सीमित कर दिया। हरियाणा में भी भाजपा ने तीसरी बार लगातार जीत दर्ज की, जहां कांग्रेस को प्री-पोल पसंदीदा माना जा रहा था।
संविधान के 75 साल का जश्न
पीएम मोदी ने कहा कि यह सत्र खास है क्योंकि यह भारतीय संविधान की 75वीं वर्षगांठ की शुरुआत का प्रतीक है। उन्होंने इसे लोकतंत्र के लिए एक ऐतिहासिक क्षण बताया। “यह सत्र संविधान की 75 साल की यात्रा का जश्न मनाने का अवसर है। यह हमारे लोकतंत्र और हमारे मूल्यों को सम्मान देने का समय है,” उन्होंने कहा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि संसद के इस सत्र में सकारात्मक बहस होनी चाहिए ताकि देश 2024 की अंतिम तिमाही में आत्मविश्वास और ऊर्जा के साथ नए साल की ओर बढ़ सके। उन्होंने इस सत्र को ऐतिहासिक बताते हुए विपक्ष से रचनात्मक दृष्टिकोण अपनाने की अपील की।
संसद के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण की आवश्यकता
प्रधानमंत्री मोदी ने विपक्षी नेताओं से आग्रह किया कि वे संसद को बाधित करने के बजाय स्वस्थ बहस का हिस्सा बनें। उन्होंने कहा कि विपक्षी नेताओं को अपने सहकर्मियों और लोकतंत्र के प्रति सम्मान दिखाना चाहिए। “मैं विपक्ष से बार-बार आग्रह कर रहा हूं कि संसद सुचारू रूप से चले। देश को हमारी उम्मीदें हैं, और हमें उनकी अपेक्षाओं पर खरा उतरना चाहिए,” पीएम मोदी ने कहा।
शीतकालीन सत्र की रूपरेखा
संसद का शीतकालीन सत्र सोमवार से शुरू हुआ और यह 20 दिसंबर तक चलेगा। इस सत्र में कई महत्वपूर्ण विधेयकों और नीतियों पर चर्चा होगी। साथ ही, भारतीय संविधान के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर भारतीय लोकतंत्र की ताकत और उसकी विकास यात्रा को याद करते हुए कहा कि संविधान ने देश को एक दिशा दी है और इसकी 75 साल की यात्रा प्रेरणादायक रही है।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संबोधन संसद में रचनात्मक बहस और लोकतांत्रिक मूल्यों के सम्मान की आवश्यकता को रेखांकित करता है। विपक्ष की बार-बार की चुनावी असफलताएँ जनता की भावनाओं को दर्शाती हैं और यह जिम्मेदार आचरण की महत्ता को उजागर करती हैं। संविधान की 75वीं वर्षगांठ इस सत्र को ऐतिहासिक बनाती है और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति सम्मान प्रकट करने का एक अनूठा अवसर प्रदान करती है। बाधाओं के बावजूद, भारत का लोकतंत्र सशक्त और स्थिर है। यह सत्र देश की प्रगति और एकता की दिशा में महत्वपूर्ण निर्णय लेने की संभावनाओं से परिपूर्ण है। आने वाले सप्ताह संसद की जनता की आकांक्षाओं को पूरा करने की प्रतिबद्धता की परीक्षा लेंगे।