मेहबूबा मुफ्ती पर बीजेपी का निशाना: हसन नसरल्लाह की मौत पर राजनीति?

मेहबूबा मुफ्ती पर बीजेपी का निशाना: हसन नसरल्लाह की मौत पर राजनीति?
Admin
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बीजेपी ने मेहबूबा मुफ्ती पर हसन नसरल्लाह की मौत पर ‘घड़ियाली आंसू’ बहाने का आरोप लगाया, जिससे विपक्ष और आतंकवादियों के प्रति उनकी सहानुभूति पर सवाल उठे। जानें बीजेपी की प्रतिक्रिया और मेहबूबा मुफ्ती की पार्टी के पिछले विवादित बयानों के बारे में।

मेहबूबा मुफ्ती, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की प्रमुख और जम्मू-कश्मीर की पहली महिला मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। उन्होंने अपने पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद के नेतृत्व वाली पार्टी की बागडोर संभाली। PDP का गठन 1999 में जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे और शांति प्रक्रिया को लेकर राजनीतिक विकल्प प्रदान करने के उद्देश्य से किया गया था।

मेहबूबा मुफ्ती ने राज्य में विशेष अधिकारों और शांति बनाए रखने के लिए कश्मीरी अवाम की आवाज़ को बुलंद किया है। PDP ने हमेशा जम्मू-कश्मीर के मुद्दों को विशेष दृष्टिकोण से उठाया है, खासकर जब केंद्र सरकार द्वारा राज्य के विशेष दर्जे को चुनौती दी गई थी।

मेहबूबा मुफ्ती पर बीजेपी का निशाना: "हसन नसरल्लाह की मौत पर राजनीति?
मेहबूबा मुफ्ती पर बीजेपी का निशाना: हसन नसरल्लाह की मौत पर राजनीति?

ताज़ा विवाद और बीजेपी का पलटवार:

हाल ही में, मेहबूबा मुफ्ती ने अपने चुनावी अभियान को रद्द करने का ऐलान किया, जिसे उन्होंने हिज़बुल्लाह नेता हसन नसरल्लाह की मौत के प्रति एकजुटता दिखाने के लिए किया। इस फैसले को लेकर बीजेपी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। बीजेपी के प्रवक्ता आर पी सिंह ने उन्हें “प्रो-मिलिटेंट” बताते हुए कहा कि मेहबूबा मुफ्ती आतंकियों के समर्थन में हमेशा खड़ी रहती हैं और उनके प्रति सहानुभूति व्यक्त करती हैं।

बीजेपी ने आरोप लगाया कि ये केवल वोट बैंक की राजनीति है और इससे मेहबूबा मुफ्ती की आतंकियों के प्रति झुकाव की सोच स्पष्ट होती है। बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री कविंदर गुप्ता ने भी इस कदम की निंदा करते हुए कहा कि मेहबूबा का यह फैसला केवल लोगों को भ्रमित करने के लिए है और इससे उन्हें कोई भी राजनीतिक लाभ नहीं मिलेगा।

मेहबूबा मुफ्ती का विवादास्पद इतिहास:

  1. बुरहान वानी पर टिप्पणी: मेहबूबा मुफ्ती पहले भी आतंकवादी बुरहान वानी की मौत पर विवादित बयान दे चुकी हैं, जिसे लेकर उन्हें केंद्र सरकार और अन्य राजनीतिक दलों की आलोचना का सामना करना पड़ा था।
  2. अनुच्छेद 370 हटाने के बाद का विरोध: 2019 में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद, PDP ने खुले तौर पर केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किए थे। मेहबूबा मुफ्ती ने इसे जम्मू-कश्मीर के लोगों के साथ विश्वासघात बताया था।
  3. भारत-पाकिस्तान संबंधों पर रुख: मेहबूबा मुफ्ती ने कई बार भारत-पाकिस्तान संबंधों को सुधारने के लिए वार्ता की वकालत की है, जिसे विपक्षी दलों ने उन्हें पाकिस्तान समर्थक नेता के रूप में पेश करने का प्रयास किया।

मौजूदा विवाद की पृष्ठभूमि:

हिज़बुल्लाह के नेता हसन नसरल्लाह की मौत के बाद, मेहबूबा ने अपने अभियान को रद्द करते हुए एक ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने लेबनान और गाज़ा के लोगों के प्रति एकजुटता दिखाई। मेहबूबा ने अपने संदेश में लिखा कि “हम लेबनान और गाज़ा के शहीदों के साथ खड़े हैं, विशेष रूप से हसन नसरल्लाह के साथ।”

इस कदम को बीजेपी ने केवल आतंकियों के प्रति सहानुभूति और मुस्लिम वोट बैंक की राजनीति करार दिया। उन्होंने कहा कि मेहबूबा मुफ्ती का यह कदम दिखाता है कि वह केवल आतंकवादियों की मौत पर ही शोक व्यक्त करती हैं, जबकि आम नागरिकों और सुरक्षा बलों की मौत पर चुप रहती हैं।

बीजेपी की आलोचना का कारण:

बीजेपी का मानना है कि मेहबूबा मुफ्ती जैसे नेता केवल आतंकवादियों के प्रति सहानुभूति दिखाकर कश्मीरी अवाम को गुमराह कर रहे हैं। बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि मेहबूबा का आतंकवादियों के प्रति सहानुभूति दिखाना और अपने चुनावी कार्यक्रम को रद्द करना दिखाता है कि वह जम्मू-कश्मीर में शांति और स्थिरता के बजाय हिंसा का समर्थन करती हैं।

कविंदर गुप्ता ने भी कहा कि अगर मेहबूबा वाकई में जम्मू-कश्मीर के लोगों की हितैषी हैं, तो उन्हें आतंकवादियों और उनके समर्थकों के प्रति सहानुभूति छोड़कर कश्मीरी युवाओं को मुख्यधारा में लाने के लिए काम करना चाहिए। उन्होंने कहा, “जब हिन्दू और सिखों पर हमले होते हैं, तब मेहबूबा जैसी नेता चुप रहती हैं। लेकिन जब कोई आतंकी मारा जाता है, तो वे शोक मनाने का दिखावा करती हैं।”

मेहबूबा का रुख और पार्टी की रणनीति:

पीडीपी ने हमेशा से ही एक संतुलित राजनीतिक रणनीति अपनाने की कोशिश की है, जहां वे जम्मू-कश्मीर के अधिकारों और राज्य की स्वायत्तता की बात करते हैं। 2019 के बाद से, जब जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा हटाया गया और उसे केंद्र शासित प्रदेश में तब्दील किया गया, तब से पार्टी ने केंद्र सरकार के फैसले का कड़ा विरोध किया है। मेहबूबा ने हमेशा कहा कि अनुच्छेद 370 की बहाली के बिना कश्मीर में शांति की कल्पना नहीं की जा सकती।

राजनीतिक प्रभाव और आगे की चुनौतियाँ:

मेहबूबा मुफ्ती का यह कदम उनके समर्थकों के बीच उन्हें एक मज़बूत नेता के रूप में प्रस्तुत कर सकता है, जो अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर भी अपनी आवाज़ उठाने से पीछे नहीं हटती। लेकिन बीजेपी की आलोचना से यह स्पष्ट है कि उनकी राजनीति को देश के अन्य हिस्सों में नकारात्मक रूप में देखा जा सकता है।

बीजेपी की आलोचना के बीच, मेहबूबा मुफ्ती की यह कोशिश भी हो सकती है कि वे कश्मीर के लोगों के बीच अपनी राजनीतिक पकड़ को मज़बूत कर सकें, खासकर तब, जब जम्मू-कश्मीर में जल्द ही चुनाव की संभावना है। यह देखा जाना बाकी है कि उनके इस कदम का कश्मीरी मतदाताओं पर कैसा प्रभाव पड़ेगा, लेकिन इससे यह ज़रूर स्पष्ट हो गया है कि मेहबूबा मुफ्ती और पीडीपी के लिए आगे की राह आसान नहीं होगी।

मेहबूबा मुफ्ती की राजनीतिक भविष्यवाणी:

आने वाले दिनों में, जब जम्मू-कश्मीर में चुनाव होंगे, मेहबूबा मुफ्ती और PDP के लिए यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि वे किस तरह से अपनी पार्टी की स्थिति को मज़बूत कर पाती हैं। क्या वे बीजेपी और अन्य पार्टियों के आरोपों का सफलतापूर्वक सामना कर पाएंगी, या फिर यह उनके राजनीतिक करियर को एक नई दिशा में ले जाएगा—यह वक्त ही बताएगा।

निष्कर्ष:

मेहबूबा मुफ्ती और पीडीपी का राजनीतिक सफर हमेशा से ही चुनौतीपूर्ण रहा है। एक ओर जहां वे कश्मीर की विशेष पहचान की रक्षा की बात करती हैं, वहीं दूसरी ओर उन पर आतंकवादियों के प्रति सहानुभूति का आरोप भी लगता रहा है। बीजेपी के लगातार हमलों के बावजूद, मेहबूबा मुफ्ती ने हमेशा अपने विचारों को मजबूती से रखा है और कश्मीर के मुद्दे को केंद्र में रखते हुए अपनी राजनीति को आगे बढ़ाया है।

आज, जब जम्मू-कश्मीर की राजनीति एक नए दौर में प्रवेश कर रही है, मेहबूबा मुफ्ती और उनकी पार्टी को यह तय करना होगा कि वे अपने विरोधियों को कैसे जवाब दें और कश्मीरी लोगों की उम्मीदों को कैसे पूरा करें। उनके सामने एक बड़ी चुनौती है: कश्मीर की पहचान को बचाना, केंद्र सरकार के खिलाफ एक मज़बूत राजनीतिक संदेश देना, और एक बार फिर कश्मीरी अवाम का विश्वास जीतना।

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