गलती से सीख – मोटिवेशनल कहानी (Motivational Story In Hindi)

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गलती से सीख - मोटिवेशनल कहानी (Motivational Story In Hindi)
गलती से सीख – मोटिवेशनल कहानी (Motivational Story In Hindi)

शादी के चार साल पूरे हो चुके थे। पहले के दिनों में सब कुछ बहुत अच्छा था। हम दोनों एक-दूसरे के साथ वक्त बिताते, घूमने जाते, नए-नए रेस्तरां में खाना खाते और ढेर सारी बातें करते। हमारे रिश्ते में कोई कमी नहीं थी, हर दिन एक नई खुशी मिलती थी। आदित्य और मैं दोनों खुश थे, और हमें यही लगता था कि हम दोनों का साथ हमेशा ऐसा ही रहेगा। लेकिन जैसे-जैसे वक्त बीतता गया, कुछ चीजें बदलने लगीं, और हमारे रिश्ते की परीक्षा की घड़ी आ गई।

आदित्य की नौकरी चली गई थी। शुरुआत में उसने यह बात मुझसे छिपाने की कोशिश की थी, लेकिन मुझे सब समझ में आ गया था। उसका चेहरा बदल गया था, वह बहुत परेशान रहने लगा था। फिर, कुछ महीनों बाद उसे एक नई नौकरी मिल गई, लेकिन उसकी तनख्वाह पहले जैसी नहीं थी। यह हमें काफी मुश्किल में डालने वाला था, क्योंकि घर के खर्चे बढ़ गए थे और आदित्य की कमाई बहुत कम हो गई थी।

मैंने आदित्य से कहा, “कोई बात नहीं, हम इसे समझ सकते हैं, लेकिन ध्यान रखना कि खर्चों में थोड़ी कटौती करनी पड़ेगी।” आदित्य ने सहमति दी, लेकिन इसका मतलब यह था कि हमें बहुत सी चीजों से समझौता करना पड़ा। पहले जो हमें हर महीने मिल जाता था, अब वह कम हो गया था। लेकिन मैं समझ रही थी, आदित्य के लिए यह बहुत बड़ा तनाव था।

फिर एक दिन आदित्य ने मुझसे कहा, “सिया, पैसे की तंगी है, थोड़ा खर्च कम करना होगा।” मैंने तुरंत उसकी बात मान ली और कहा, “ठीक है, समझ गया हूं।” लेकिन जितना मैं उसे समझाने की कोशिश करती, उतना ही मुझे अंदर से खटका लगने लगा। मुझे ऐसा लगने लगा कि मेरी जरूरतें पूरी नहीं हो रही हैं। पहले जो आरामदायक जिंदगी थी, अब वह खो सी गई थी। हर बार जब हम बाहर जाते, मैं यह सोचती कि मुझे क्या नहीं मिल रहा है। मेरी उम्मीदें धीरे-धीरे बढ़ने लगीं, और आदित्य की सीमित आय के कारण मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था। इस समय से पहले मुझे कभी इस तरह के विचार नहीं आते थे, लेकिन अब सब कुछ बदलने लगा था।

 

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धीरे-धीरे यह गुस्सा चिड़चिड़ापन में बदलने लगा था। एक दिन जब हम दोनों किसी बात पर बहस कर रहे थे, मैंने गुस्से में कहा, “तुमसे शादी करके बहुत बड़ी गलती की थी। तुमने मेरे लिए क्या किया है?” आदित्य चुपचाप मुझे सुनता रहा, लेकिन मेरे शब्दों ने मुझे और गुस्से में डाल दिया। मैं न सिर्फ गुस्से में थी, बल्कि निराश भी महसूस कर रही थी। मुझे लगता था कि वह मेरी उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पा रहा था। मैंने बिना सोचे-समझे अपने पापा को फोन कर दिया। पापा को मैंने सारी बात बताई, और मैं बहुत ही गुस्से में थी।

पापा ने मुझे शांत करने की कोशिश की, लेकिन मेरी जिद के सामने उनकी बातों का असर नहीं हुआ। मैंने फैसला किया कि मैं घर छोड़ दूंगी और मायके चली जाऊंगी। अगले दिन पापा मुझे लेने आए और मैं अपने मायके चली गई। एक हफ्ता बीत गया, लेकिन आदित्य ने मुझे फोन नहीं किया। मुझे लगा कि अब शायद वह भी मुझे भूल गया होगा। मैंने भी उसकी तरफ से किसी भी कोशिश की उम्मीद छोड़ दी थी। मुझे लगता था कि अगर वह मुझसे प्यार करता, तो वह जरूर मुझसे संपर्क करता। इस बीच मैं आराम से मायके में रहने लगी, और घर में कुछ भी नहीं बदलने वाला था, यही सोचा था।

लेकिन एक दिन पापा ने मुझसे पूछा, “बेटा, अब खुश हो? सब कुछ ठीक तो है?” मैंने कहा, “नहीं पापा, मुझे यह सब अच्छा नहीं लग रहा। सब कुछ ठीक नहीं है।” पापा ने फिर आदित्य के बारे में कुछ बातें की, जो मुझे काफी चौंका गईं। उन्होंने कहा, “सिया, तुम कहती हो कि आदित्य ने तुम्हारे लिए कुछ नहीं किया, लेकिन क्या तुम कभी यह सोच पाई हो कि वह हर दिन तुम्हारी जरूरतें पूरी करने में जुटा रहता है? क्या तुमने कभी यह सोचा कि उसने तुम्हारे इलाज से लेकर घर की हर छोटी-बड़ी जरूरत का ध्यान रखा और उसने कभी इसकी शिकायत नहीं की?”

पापा की बातों ने मुझे अंदर से झकझोर दिया। उन्होंने अपनी जीवन की कठिनाइयों का जिक्र किया। “हमारे पास खाने के लिए भी कभी-कभी मुश्किल से कुछ होता था, लेकिन तुम्हारी मम्मी ने कभी शिकायत नहीं की। शादी का मतलब सिर्फ यह नहीं होता कि हर चीज तुम्हारी इच्छाओं के मुताबिक हो। असल में, शादी का मतलब है सुख-दुख में साथ रहना। एक-दूसरे का साथ देना, चाहे कोई भी परिस्थिति हो।”

पापा की बातें सुनकर मेरा गुस्सा शर्म में बदल गया। मुझे समझ में आया कि आदित्य ने जो किया, वह सिर्फ उसके कर्तव्य के कारण नहीं था, बल्कि उस प्रेम के कारण था जो उसने मुझसे किया था। उसने कभी भी मुझसे कुछ नहीं छिपाया और न ही अपनी मुश्किलें मुझसे साझा की। मुझे अब यह एहसास हुआ कि हमें जो कुछ भी मिला था, वह दोनों के संघर्षों और बलिदानों का परिणाम था। वह सिर्फ अपने कर्तव्यों को निभा रहा था, लेकिन मैंने उसे कभी सराहा नहीं।

अब मेरा गुस्सा और निराशा पूरी तरह से खत्म हो गई थी। मैंने आदित्य को फोन किया और उससे माफी मांगी। मैंने उसे कहा, “मुझे साथ ले चलो, मुझे अपनी गलती का एहसास हुआ है।” आदित्य ने मुझसे तुरंत माफी स्वीकार की और हम दोनों के बीच के सारे मुद्दे खत्म हो गए। वह मुझे फिर से अपने घर ले आया, और हम दोनों ने एक-दूसरे से वादा किया कि अब हम किसी भी मुश्किल का सामना साथ में करेंगे।

आज भी जब हम किसी परेशानी से गुजरते हैं, तो हम एक-दूसरे का साथ नहीं छोड़ते। हम जानते हैं कि रिश्ते सिर्फ अच्छे दिनों तक नहीं चलते, बल्कि जब मुश्किलें आती हैं, तब उनका असली रूप सामने आता है। और यही प्यार की असली परीक्षा है – एक-दूसरे के साथ खड़ा रहना, चाहे कुछ भी हो।

हम दोनों अब पहले से ज्यादा समझदारी से एक-दूसरे की मदद करते हैं। हमारे बीच का प्यार अब और भी गहरा हो गया है। हमारी शादी अब सिर्फ एक रिश्ते का नाम नहीं, बल्कि एक सशक्त साझेदारी बन चुकी है, जिसमें दोनों एक-दूसरे की परेशानियों को समझते हैं और एक-दूसरे का साथ नहीं छोड़ते। यह प्यार और संघर्ष की सच्चाई है।

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