बहराइच हिंसा की शुरुआत: उत्तर प्रदेश के बहराइच में 13 अक्टूबर की शाम को एक दर्दनाक घटना घटी, जब दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान मुस्लिम समुदाय के कुछ लोगों ने म्यूजिक बंद करने की मांग की। इसके बाद दोनों समुदायों के बीच विवाद हुआ, जो जल्द ही हिंसक झड़प में बदल गया। इसके बाद मुस्लिम इलाके से दुर्गा प्रतिमा जुलूस निकलने के दौरान पथराव हुआ, जिससे इलाके में माहौल बिगड़ गया। इस हिंसा में एक स्थानीय युवक, रामगोपाल मिश्रा, की गोली लगने से मौत हो गई।
हिंसा के बाद उपद्रव: रविवार की शाम शुरू हुई यह हिंसा धीरे-धीरे बहराइच के हरदी थाना क्षेत्र में फैल गई। भीड़ ने कई दुकानों में तोड़फोड़ की और दो गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया। स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि पुलिस को हालात को काबू में करने के लिए बड़ी संख्या में बल लगाना पड़ा। एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) अमिताभ यश ने खुद हथियार के साथ मोर्चा संभाला और सड़कों पर उतर कर उपद्रवियों को खदेड़ा।
मुस्लिम समुदाय पर लगे आरोप: स्थानीय लोगों के अनुसार, हिंसा की शुरुआत मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा की गई। उन्होंने जुलूस के दौरान पत्थरबाजी की और इसके बाद फायरिंग की गई। इस दौरान रामगोपाल मिश्रा की मृत्यु हो गई। इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर आरोप लगाया गया कि रामगोपाल को पहले प्रताड़ित किया गया, उसे करंट मारा गया और नाखून तक उखाड़े गए। हालांकि पुलिस ने इन आरोपों को बेबुनियाद बताया और पोस्टमॉर्टम में रामगोपाल की मौत का कारण गोली लगना पाया गया।
मुस्लिम आरोपियों की गिरफ्तारी: बहराइच में इस हिंसा के बाद पांच मुस्लिम आरोपियों को नेपाल भागने की कोशिश के दौरान पुलिस ने मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार किया। इस मुठभेड़ में सरफराज और तालिब नाम के दो आरोपियों को गोली लगी और वे घायल हो गए। इनके साथ अब्दुल हमीद, फहीम, राजा उर्फ साहिर, ननकउ और मारुफ को भी गिरफ्तार किया गया है। इन सभी पर हत्या और हिंसा फैलाने का आरोप है।
सरकार और प्रशासन की कार्रवाई: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बहराइच में बिगड़े हालात को देखते हुए खुद इस मामले की निगरानी की। उन्होंने अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए कि कोई भी दोषी बचना नहीं चाहिए। इसके तहत 12 कंपनी पीएसी, 2 कंपनी सीआरपीएफ, 1 कंपनी आरएएफ और गोरखपुर जोन की पुलिस को तैनात किया गया। इसके अलावा, माहौल को शांत करने के लिए 4 आईपीएस, 2 एएसपी और 4 सीओ की तैनाती की गई।
स्थानीय लोगों में आक्रोश: रामगोपाल मिश्रा की हत्या के बाद उनके परिवार और स्थानीय लोगों में भारी आक्रोश है। उन्होंने शव को सड़क पर रखकर प्रदर्शन किया और अंतिम संस्कार से इनकार कर दिया। उनका कहना था कि दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर भी आरोप लगाया कि उन्होंने समय पर कार्रवाई नहीं की और उपद्रवियों को रोकने में विफल रहे।
इलाके में तनावपूर्ण माहौल: बहराइच में हुई इस हिंसा के बाद पूरे इलाके में भय और गुस्से का माहौल है। लोग अपने घरों से बाहर निकलने में डर रहे हैं और दुकानदारों ने अपनी दुकानें बंद कर रखी हैं। पुलिस की भारी मौजूदगी के बावजूद, लोग अब भी खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। इस घटना ने न केवल बहराइच बल्कि पूरे प्रदेश में धार्मिक तनाव को और बढ़ा दिया है।
धर्म और राजनीति की आंच: बहराइच की इस हिंसा ने राजनीतिक और धार्मिक विवादों को भी हवा दी है। इस घटना ने धार्मिक असहिष्णुता और सांप्रदायिक हिंसा के मुद्दों को उजागर कर दिया है। आरोप है कि मुस्लिम समुदाय के कुछ असामाजिक तत्वों ने जानबूझकर विवाद को बढ़ावा दिया, जिससे हालात बेकाबू हो गए। अब देखना यह होगा कि पुलिस और प्रशासन इस मामले में कैसे कार्रवाई करते हैं और न्याय की प्रक्रिया को सुनिश्चित करते हैं।
निष्कर्ष: बहराइच में हुई यह हिंसा सिर्फ एक धार्मिक संघर्ष नहीं है, बल्कि यह हमारे समाज में छिपी उस असहिष्णुता का प्रतीक है जो आपसी मेल-जोल और भाईचारे को तोड़ रही है। जहां एक तरफ लोग दुर्गा प्रतिमा के विसर्जन के दौरान अपनी आस्था का पालन कर रहे थे, वहीं दूसरी तरफ कुछ लोगों ने इस धार्मिक उत्सव को हिंसा का रंग दे दिया। अब यह समय है कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो और शांति और सौहार्द्र का संदेश समाज में फैलाया जाए।