क्या वेट्टैयन फिल्म में राजनीकांत और अमिताभ बच्चन की जोड़ी फिर से फैंस को प्रभावित कर पाई? जानिए इस फिल्म की कहानी, एक्टिंग और बॉक्स ऑफिस पर इसकी सफलता के बारे में हमारी विस्तृत समीक्षा।
साउथ के सुपरस्टार रजनीकांत और बॉलीवुड के शहंशाह अमिताभ बच्चन की जोड़ी को देखने के लिए दर्शक हमेशा उत्सुक रहते हैं। यही कारण है कि जब ‘वेट्टैयन’ फिल्म की घोषणा हुई, तो दर्शकों की उम्मीदें आसमान छूने लगीं। 33 साल बाद एक बार फिर दोनों दिग्गज अभिनेता एक ही स्क्रीन पर साथ नजर आए हैं, लेकिन क्या फिल्म इन उम्मीदों पर खरी उतरी है? इस सवाल का जवाब जानने के लिए हमने फिल्म का गहराई से रिव्यू किया और दर्शकों की प्रतिक्रिया भी समझने की कोशिश की।

कहानी का कमजोर प्लॉट और पुराना फॉर्मूला
फिल्म की कहानी एक्शन-ड्रामा शैली में है, जो एक सख्त आईपीएस अधिकारी वेट्टैयन (रजनीकांत) और एक न्यायप्रिय डीजीपी सत्यदेव (अमिताभ बच्चन) के संघर्ष पर आधारित है। कहानी में कुछ ऐसे मुद्दों को छूने की कोशिश की गई है, जो पहले ही कई फिल्मों में देखे जा चुके हैं, जैसे कि पुलिस के अंदर के भ्रष्टाचार, कानून और व्यवस्था, और एक्स्ट्राजुडिशियल किलिंग्स। हालांकि, निर्देशक टीजे ज्ञानवेल ने इसे अलग तरीके से पेश करने की कोशिश की है, लेकिन कमजोर स्क्रिप्ट और लंबी कहानी ने इसे दर्शकों के लिए उबाऊ बना दिया।
फिल्म की गति और स्क्रीनप्ले: कब तक खींचते रहेंगे?
फिल्म का पहला हाफ धीमा है और दर्शकों की उम्मीदों के विपरीत, यह उस तरह का रोमांच पैदा नहीं कर पाती, जैसा एक रजनीकांत-स्टारर फिल्म से उम्मीद की जाती है। इंटरवल तक पहुंचते-पहुंचते, कहानी का प्रवाह इतना धीमा हो जाता है कि दर्शकों के लिए इसे समझना मुश्किल हो जाता है। कहानी की दिशा कई बार भटकती नजर आती है और कुछ दृश्यों को जबरदस्ती डाला गया महसूस होता है, जो फिल्म की पकड़ को और कमजोर कर देता है।
रजनीकांत की अदाकारी: थलाइवर ने इस बार निराश किया?
रजनीकांत, जिन्हें उनके फैंस ‘थलाइवर’ कहकर बुलाते हैं, ने हमेशा से ही अपने किरदारों के जरिए लोगों को दीवाना बनाया है। लेकिन ‘वेट्टैयन’ में, उनका किरदार पुराने ढर्रे पर ही घूमता नजर आता है। उनके फैंस इस बार उनसे कुछ खास और अनोखा चाहते थे, लेकिन यहां भी वही पुराना एक्शन, वही स्टाइल और वही संवाद देखने को मिलता है। उनकी एंट्री सीन में जोश की कमी साफ नजर आती है, और जैसे-जैसे फिल्म आगे बढ़ती है, ऐसा लगता है कि उन्होंने बस अपने किरदार को निभा दिया है, उसे जिया नहीं।
अमिताभ बच्चन की मौजूदगी: कुछ खास नहीं!
अमिताभ बच्चन का तमिल इंडस्ट्री में डेब्यू फिल्म का एक बड़ा आकर्षण था, लेकिन उनके किरदार में गहराई की कमी है। डीजीपी सत्यदेव के रूप में, वह एक सख्त अधिकारी की भूमिका में नजर आते हैं, लेकिन उनकी संवाद अदायगी और एक्सप्रेशन में कहीं न कहीं वास्तविकता की कमी महसूस होती है। रजनीकांत और अमिताभ के बीच के कुछ टकराव के दृश्य भी प्रभावी नहीं बन पाए। ऐसा लगता है कि बिग बी जैसे महान अभिनेता का इस्तेमाल इस फिल्म में बखूबी नहीं किया गया।
सपोर्टिंग कास्ट की परफॉर्मेंस: उभर नहीं पाई
फिल्म में अन्य कलाकारों जैसे कि फहाद फासिल, राणा दग्गुबाती और मंजू वॉरियर ने भी अपने किरदार निभाए हैं, लेकिन किसी भी किरदार को वह स्पेस नहीं मिला, जो उन्हें उभार सके। फहाद फासिल जैसे बेहतरीन अभिनेता को एक बहुत ही साधारण भूमिका दी गई है, जो उनकी प्रतिभा के साथ न्याय नहीं करती। राणा दग्गुबाती का किरदार भी कहानी में कहीं खो सा जाता है और उनकी मौजूदगी केवल नाम मात्र की रह जाती है। मंजू वॉरियर की एक्टिंग ठीक-ठाक है, लेकिन फिल्म में उनका ट्रैक बेमतलब का और उबाऊ लगता है।
डायरेक्शन: टीजे ज्ञानवेल की कमजोर पकड़
‘वेट्टैयन’ के निर्देशक टीजे ज्ञानवेल, जिन्हें ‘जय भीम’ जैसी बेहतरीन फिल्म के लिए जाना जाता है, इस बार अपनी पकड़ खोते नजर आए। उन्होंने एक बड़े स्टार कास्ट के साथ एक बड़ी कहानी कहने की कोशिश की, लेकिन कहानी का कंफ्यूजिंग टोन, बिखरा हुआ निर्देशन, और बिना सिर-पैर के प्लॉट ट्विस्ट ने फिल्म को कमजोर बना दिया। उन्होंने रजनीकांत और अमिताभ की जोड़ी का सही तरह से इस्तेमाल नहीं किया और कहानी में ऐसे मोड़ डालने की कोशिश की, जो पहले से ही पूर्वानुमानित लगते हैं।
एक्शन सीन और संगीत: औसत से नीचे
जहां रजनीकांत की फिल्मों में एक्शन और थ्रिल हमेशा से खास आकर्षण का केंद्र रहा है, वहीं ‘वेट्टैयन’ में एक्शन सीन औसत दर्जे के ही नजर आते हैं। कुछ सीन जैसे कि रजनीकांत का हाई-वोल्टेज एक्शन या फिर अमिताभ के साथ टकराव के दृश्य प्रभावशाली हो सकते थे, अगर इन्हें बेहतर तरीके से फिल्माया गया होता। फिल्म का संगीत भी खास असर नहीं डालता। अनिरुद्ध रविचंदर का म्यूजिक कुछ गानों को छोड़कर साधारण ही प्रतीत होता है। बैकग्राउंड स्कोर भी कहानी के साथ न्याय नहीं करता और कई जगहों पर फिल्म का प्रभाव खत्म कर देता है।
बॉक्स ऑफिस पर प्रदर्शन: क्या कर पाएगी धमाका?
फिल्म ने पहले दिन 70 करोड़ की ओपनिंग की है, जो कि रजनीकांत की पिछली फिल्म ‘जेलर’ से 10 करोड़ कम है। हालांकि, फैंस की दीवानगी और सोशल मीडिया पर पब्लिक रिव्यू को देखते हुए, आने वाले दिनों में फिल्म की कमाई बढ़ सकती है। लेकिन केवल स्टार पावर के दम पर, क्या यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर लंबे समय तक टिक पाएगी? यह सवाल अभी भी बना हुआ है। ट्रेड एनालिस्ट का मानना है कि फिल्म का भविष्य पूरी तरह से वर्ड-ऑफ-माउथ और फैंस की प्रतिक्रिया पर निर्भर करेगा।
क्यों देखें यह फिल्म?
अगर आप रजनीकांत और अमिताभ बच्चन के फैन हैं और उन्हें एक ही फ्रेम में देखना चाहते हैं, तो यह फिल्म जरूर देखें। लेकिन अगर आप एक अच्छी कहानी, दमदार एक्टिंग और प्रभावशाली निर्देशन की उम्मीद कर रहे हैं, तो ‘वेट्टैयन’ शायद आपको निराश कर सकती है। फिल्म में कुछ अच्छे मोमेंट्स हैं, लेकिन कुल मिलाकर यह उम्मीदों पर खरी नहीं उतरती।
निष्कर्ष: क्या वेट्टैयन देखनी चाहिए?
अंत में, वेट्टैयन एक असफल प्रयास प्रतीत होता है। रजनीकांत और अमिताभ बच्चन जैसे दिग्गज कलाकारों की मौजूदगी के बावजूद, यह फिल्म एक साधारण एक्शन ड्रामा के रूप में सामने आती है। यदि आप दो दिग्गजों को एक साथ देखने के लिए तैयार हैं और कुछ हल्की-फुल्की एक्शन का आनंद लेना चाहते हैं, तो शायद यह फिल्म आपके लिए हो। लेकिन अगर आप एक गहन कहानी और प्रभावी प्रदर्शन की तलाश में हैं, तो वेट्टैयन को देखना आपकी मेहनत और समय दोनों के लिए नकारात्मक साबित हो सकता है।