शादी की पहली रात – मोटिवेशनल कहानी (Motivational Story In Hindi)

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“शादी की पहली रात” एक मोटिवेशनल कहानी है जो नवविवाहित जोड़ों को प्रेरित करती है, अपने रिश्ते में धैर्य और समझदारी को अपनाने के लिए। यह कहानी आपको नई चुनौतियों को कैसे स्वीकार करें, इस पर एक नई दृष्टि प्रदान करेगी।

शादी की पहली रात – मोटिवेशनल कहानी (Motivational Story In Hindi)
शादी की पहली रात – मोटिवेशनल कहानी (Motivational Story In Hindi)

शादी के बाद जब मैं ससुराल पहुंची, तो वहां की भव्यता देखकर मेरी आंखें खुली की खुली रह गईं। हर कोना सजावट और वैभव का अद्भुत नमूना था। पिताजी ने बताया था कि यह परिवार काफी संपन्न है, लेकिन ससुराल में कदम रखते ही मुझे एहसास हुआ कि यह मेरी कल्पना से भी बड़ा और अलग है।

शाम के समय सारे मेहमान धीरे-धीरे विदा हो रहे थे। मैं भी अपनी नई जिंदगी के ख्यालों में खोई हुई थी। तभी मेरी ननंद, जो मुझसे कुछ साल बड़ी थीं, कमरे में आईं। उनका चेहरा उतरा हुआ था और उनके आंखों में गहरी चिंता झलक रही थी।

उन्होंने कहा, “भाभी, मुझे आपसे कुछ जरूरी बात करनी है।”

मैंने थोड़ा चिंतित होकर पूछा, “क्या हुआ दीदी? सब ठीक तो है?”

उन्होंने कहा, “आपसे एक वादा चाहिए। जो भी बात मैं आपको बताऊं, वह हमारे बीच ही रहेगी। अगर यह बाहर निकली तो हमारे घर की इज्जत मिट्टी में मिल जाएगी।”

उनकी बात सुनकर मेरा दिल धड़कने लगा। मैंने सिर हिलाकर हामी भर दी। उन्होंने गहरी सांस ली और धीरे से कहा, “भाई साहब के बारे में एक बात है जो आपको जाननी चाहिए।”

मैंने घबराकर पूछा, “क्या बात है दीदी? आप खुलकर बताइए।”

 

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उन्होंने कहा, “भाई साहब को रात में नींद में चलने की आदत है। कभी-कभी वो अजीब-अजीब चीजें करते हैं और उन्हें सुबह कुछ भी याद नहीं रहता।”

यह सुनकर मैं स्तब्ध रह गई। मेरी सांसें तेज हो गईं और मेरे रोंगटे खड़े हो गए। मैंने पूछा, “क्या? और यह आप मुझे अब बता रही हैं?”

उन्होंने कहा, “मुझे समझ नहीं आ रहा था कि आपको कैसे बताऊं। लेकिन मैंने सोचा कि आपको पहले से पता होना चाहिए ताकि आप सावधान रहें।”

मैंने गहरी सांस लेते हुए पूछा, “तो क्या मुझे उनसे इस बारे में बात करनी चाहिए?”

उन्होंने कहा, “नहीं भाभी, उन्हें खुद नहीं पता कि वो ऐसा करते हैं। यह उनकी आदत बचपन से है। हमने डॉक्टर से भी सलाह ली है, पर कोई खास इलाज नहीं है। बस आपको सतर्क रहना होगा।”

मैंने सिर हिलाया और कहा, “ठीक है दीदी, मैं ध्यान रखूंगी।”

उस रात, जब मैं सोने गई, तो मन में एक अजीब सा डर था। क्या सच में ऐसा होगा? क्या मैं संभाल पाऊंगी? लेकिन मैंने खुद को समझाया कि मुझे हिम्मत रखनी होगी।

रात के बीच में अचानक मेरी नींद खुली। मैंने देखा कि मेरे पति बिस्तर पर नहीं थे। मेरा दिल जोर से धड़कने लगा। मैंने उठकर उन्हें ढूंढना शुरू किया। वो ड्रॉइंग रूम में खिड़की के पास खड़े थे और बाहर देख रहे थे।

मैंने धीरे से उनके पास जाकर उनका हाथ पकड़ा और कहा, “आप यहां क्यों खड़े हैं? चलिए वापस बिस्तर पर।” उन्होंने कुछ नहीं कहा, बस चुपचाप मेरे साथ कमरे में लौट आए। उनकी आंखों में अजीब सी शांति थी, जैसे कुछ हुआ ही न हो।

सुबह जब उन्होंने मुझसे पूछा कि रात को क्या हुआ, तो मैंने मुस्कुराते हुए कहा, “कुछ खास नहीं, बस नींद में शायद आप उठ गए थे।”

उन्होंने हंसकर कहा, “ओह, शायद थकान की वजह से।”

उस दिन मुझे समझ आया कि यह बात सच में गंभीर है, लेकिन मुझे इसे अपने जीवन का हिस्सा मानकर संभालना होगा। धीरे-धीरे मैंने इस आदत को समझना और इसे संभालना सीख लिया।

हर रात मैं सतर्क रहती और सुनिश्चित करती कि वह कहीं भी न जाएं। कभी-कभी वह कुछ अजीब हरकतें करते, लेकिन मुझे पता था कि यह उनकी आदत का हिस्सा है। मैंने कभी उन्हें इस बारे में कुछ नहीं कहा, क्योंकि मैं नहीं चाहती थी कि वह खुद को असहज महसूस करें।

मेरी ननंद की बात ने मुझे यह सिखाया कि परिवार में कई बातें ऐसी होती हैं जिन्हें हमें समझदारी और धैर्य के साथ संभालना होता है। हर परिवार में कुछ न कुछ अनोखा होता है, और हमें उसे अपनाने और संभालने की जिम्मेदारी उठानी पड़ती है।

शादी की पहली रात ने मुझे यह सीख दी कि जीवन में कई बार हमें अनचाहे और अनजाने हालातों का सामना करना पड़ता है। लेकिन उन्हें समझदारी और धैर्य के साथ संभालना ही हमारा कर्तव्य है। अब यह बात मेरे लिए सामान्य हो गई थी, और मैंने इसे अपने जीवन का हिस्सा मान लिया था।

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