क्या नीतीश कुमार ‘इंडिया’ गठबंधन में शामिल होंगे, या बीजेपी के साथ उनका भविष्य सुरक्षित रहेगा? बिहार की सियासी गर्मी के बीच यह सवाल चर्चा का विषय बन चुका है। 2025 के विधानसभा चुनावों से पहले, नीतीश कुमार के अगले कदमों को लेकर राजनीतिक गलियारों में अटकलें तेज हो गई हैं।

बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव (Bihar Election 2025) की सियासी सरगर्मियों के बीच एक बार फिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) को लेकर अटकलों का दौर शुरू हो गया है। क्या नीतीश कुमार एनडीए (NDA) से अलग होकर एक बार फिर पाला बदलने का मन बना रहे हैं? या फिर वे अपनी पुरानी राजनीतिक राह पर चलते रहेंगे? इस सवाल का जवाब अब तक साफ नहीं है, लेकिन हाल ही में बिहार में उठी कुछ नई सियासी हलचलों ने इस बात को और भी गंभीर बना दिया है।
आरजेडी का नीतीश कुमार को ऑफर: चुनावी साल में क्या है मंशा?
बिहार में 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव से ठीक पहले राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को एक सियासी ऑफर दिया है, जिसने बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है। आरजेडी के विधायक और लालू यादव के करीबी भाई वीरेंद्र ने एक बयान दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर नीतीश कुमार सांप्रदायिक ताकतों को छोड़कर आते हैं तो उनका स्वागत किया जाएगा। इस बयान के बाद से यह कयास लगाए जाने लगे हैं कि क्या नीतीश कुमार एक बार फिर अपने पुराने सहयोगी यानी इंडिया गठबंधन (India Bloc) के साथ जा सकते हैं।
वीरेंद्र का कहना था कि “राजनीति में कुछ भी संभव है, ना कोई स्थायी दोस्त होता है, ना दुश्मन। बिहार में खेला हुआ है और आगे भी हो सकता है।” उनके इस बयान ने यह संकेत दिया है कि बिहार में सियासी बदलाव की संभावना को नकारा नहीं किया जा सकता है।
नीतीश कुमार के दिल्ली दौरे की संभावना
इन सियासी हलचलों के बीच, सीएम नीतीश कुमार रविवार को दिल्ली जाने की तैयारी कर रहे हैं। खबरें हैं कि उनका यह दौरा कुछ राजनीतिक दलों के नेताओं से मुलाकात के लिए हो सकता है। दिल्ली जाने का यह समय ऐसे मोड़ पर आया है जब बिहार में एनडीए और जेडीयू के बीच तल्खी की खबरें भी आ रही हैं। खासतौर पर केंद्रीय मंत्री अमित शाह के अंबेडकर पर दिए बयान को लेकर बिहार में सियासी बयानबाजी तेज हो गई है। इसके बाद, नीतीश कुमार का अचानक अस्वस्थ हो जाना और फिर उनके द्वारा बयान न दिए जाने ने इन अटकलों को और हवा दी है।
तेजस्वी यादव का बयान: क्या नीतीश कुमार को अब सरकार चलाने की क्षमता नहीं?
इन सियासी घटनाक्रमों के बीच, आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने भी नीतीश कुमार के बारे में एक विवादास्पद बयान दिया है। तेजस्वी यादव ने ट्वीट करते हुए कहा कि “चंद दिन पहले तक चिराग पासवान, मांझी जी, सम्राट चौधरी जैसे नेता सीएम नीतीश कुमार को मानसिक रूप से अस्वस्थ बताते थे, लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि सरकार की स्थिति पर सवाल उठाने की जरूरत है।” तेजस्वी ने यह भी कहा कि बिहार में कुछ रिटायर्ड अधिकारी और नेता दिल्ली में बैठकर अपने फायदे के लिए फैसले ले रहे हैं और उनका बिहार से कोई लेना-देना नहीं है।
उनके इस बयान ने बिहार की राजनीति में और भी विवाद खड़ा कर दिया है। तेजस्वी ने यहां तक कहा कि नीतीश कुमार अब निर्णय लेने के लायक नहीं रहे हैं और उनकी जगह अन्य लोग बिहार सरकार चला रहे हैं।
नीतीश कुमार की चुप्पी और बढ़ती सियासी अटकलें
नीतीश कुमार की चुप्पी भी बिहार की सियासत में एक बड़ा सवाल बन चुकी है। जब भी नीतीश कुमार ने अपनी चुप्पी अपनाई है, तब कभी न कभी सियासी बदलाव देखने को मिला है। पटना से दिल्ली तक अब यह कयास लगाए जा रहे हैं कि नीतीश कुमार पाला बदलने की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं।
अगर नीतीश कुमार एनडीए से अलग होते हैं, तो उनकी जगह इंडिया ब्लाक में ही हो सकती है, जहां पहले से ही तेजस्वी यादव सीएम पद के लिए खड़े हैं। ऐसे में अगर नीतीश कुमार इंडिया ब्लाक में शामिल होते हैं, तो उनके लिए सीएम पद की दावेदारी मुश्किल हो सकती है, क्योंकि तेजस्वी यादव पहले से ही वहां प्रमुख दावेदार हैं।
क्या नीतीश कुमार NDA छोड़ सकते हैं?
हालांकि, नीतीश कुमार का एनडीए से अलग होना आसान नहीं है। जेडीयू के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय झा और पार्टी के अन्य नेताओं ने अमित शाह के अंबेडकर पर दिए बयान का समर्थन किया है और पार्टी के कई नेता भाजपा के साथ खड़े हैं। नीतीश कुमार के लिए एनडीए छोड़कर किसी नए गठबंधन में शामिल होना जोखिम भरा हो सकता है।
इसके अलावा, नीतीश कुमार यह भी जानते हैं कि भाजपा उनकी सबसे बड़ी सहयोगी पार्टी रही है। भले ही उन्होंने कई बार भाजपा को गच्चा दिया हो, लेकिन भाजपा ने हमेशा उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बनाए रखा। ऐसे में अगर वे एनडीए छोड़ते हैं, तो उन्हें एक भरोसेमंद सहयोगी मिलना कठिन हो सकता है।
‘इंडिया’ में CM पद की कोई वैकेंसी नहीं
इस बीच, नीतीश कुमार यह भी समझते हैं कि अगर वे एनडीए से अलग होते हैं, तो उनके पास ‘इंडिया’ ब्लाक ही एकमात्र विकल्प होगा। लेकिन, ‘इंडिया’ में पहले से ही तेजस्वी यादव सीएम पद के प्रमुख दावेदार हैं, और अब वहां सीएम पद के लिए कोई जगह नहीं बची है। पिछली बार जब नीतीश कुमार ने तेजस्वी यादव के खिलाफ दावेदारी की कोशिश की थी, तो उनका मुंह जल चुका था। ऐसे में नीतीश कुमार को यह भी महसूस हो रहा होगा कि ‘इंडिया’ में भी उनके लिए सम्मानजनक स्थान मिलना मुश्किल हो सकता है।
नीतीश कुमार को यह भी भली-भांति समझ में आता है कि ‘इंडिया’ में उन्हें वह सम्मान मिलना मुश्किल है, जो बीजेपी ने उन्हें हमेशा दिया है। तेजस्वी यादव की मौजूदगी और उनका सीएम बनने की इच्छाशक्ति यह संकेत देती है कि अगर नीतीश कुमार ‘इंडिया’ में शामिल होते हैं तो उनका सीएम बनना शायद संभव नहीं होगा।
नीतीश कुमार की राजनीतिक पारी और भविष्य
नीतीश कुमार की राजनीतिक पारी की शुरुआत से लेकर अब तक कई उतार-चढ़ाव रहे हैं, लेकिन उन्होंने हमेशा अपनी स्थिति को मजबूत किया है। चाहे वह 2005 का चुनाव हो या फिर 2020 का, नीतीश कुमार ने हमेशा अपनी राजनीतिक समझ से बिहार की राजनीति को प्रभावित किया है। यह कहना भी गलत नहीं होगा कि उनका भविष्य बीजेपी के साथ ही जुड़ा हुआ है, क्योंकि उन्होंने बीजेपी के साथ गठबंधन कर अपने राजनीतिक भविष्य को सुरक्षित किया है।
हालांकि, अगर नीतीश कुमार एनडीए से अलग होते हैं तो उनके लिए नए विकल्प खुल सकते हैं, लेकिन यह भी सच है कि उन्हें उस रास्ते पर चलने से पहले कई बार सोचना पड़ेगा। ‘इंडिया’ गठबंधन में नीतीश कुमार के लिए जगह बनाना मुश्किल होगा, क्योंकि उनके लिए वहां कोई खास मौका नहीं है।
निष्कर्ष
बिहार की राजनीति में इस समय कई घटनाक्रम हो रहे हैं और आगामी चुनावों के मद्देनजर कई अटकलें लगाई जा रही हैं। सीएम नीतीश कुमार की चुप्पी और आरजेडी के बयानों से यह साफ हो रहा है कि बिहार में राजनीतिक हलचल बढ़ गई है। हालांकि, नीतीश कुमार के लिए एनडीए से अलग होना आसान नहीं होगा, क्योंकि उनका राजनीतिक भविष्य बीजेपी से जुड़ा हुआ है। बिहार की राजनीति में बदलाव के संकेत जरूर मिल रहे हैं, लेकिन यह देखना होगा कि नीतीश कुमार आगे किस दिशा में जाते हैं।