मध्य पूर्व में तनाव का माहौल लगातार गर्म होता जा रहा है, और इजरायल ने अपने पड़ोसी देश ईरान को एक नई चेतावनी जारी की है। इजरायल के नव-नियुक्त रक्षा मंत्री इसराइल काट्ज़ ने सोमवार, 11 नवंबर को कहा कि ईरान के परमाणु ठिकाने पहले से कहीं अधिक इजरायली हमलों के लिए खुले हैं। काट्ज़ ने सोशल मीडिया पर इस मुद्दे पर अपने विचार साझा करते हुए इसे इजरायल के लिए “अस्तित्व को खत्म करने का एक महत्वपूर्ण अवसर” करार दिया।

ईरान पर बढ़ता इजरायली दबाव
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए काट्ज़ ने यह स्पष्ट किया कि इजरायल अब ईरान के परमाणु ठिकानों पर आक्रमण करने के लिए काफ़ी तैयार है। उन्होंने इजरायली रक्षा बलों (IDF) के जनरल स्टाफ फोरम के साथ अपनी पहली बैठक में यह भी जोर देकर कहा कि “ईरान अब पहले से कहीं अधिक हमलों के लिए खुला है।” इस दौरान उन्होंने कहा कि इजरायल के पास अपने सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्य को हासिल करने का एक ऐतिहासिक अवसर है – ईरान के परमाणु कार्यक्रम को नष्ट कर, इजरायल की सुरक्षा को सुनिश्चित करना।
इजरायल का मानना है कि ईरान गुप्त रूप से परमाणु हथियार विकसित कर रहा है, जबकि ईरान का दावा है कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है। दोनों देशों के बीच इस परमाणु विवाद के कारण तनाव में लगातार वृद्धि हो रही है। 2015 में हुए परमाणु समझौते से अमेरिका के हटने के बाद से यह विवाद और भी गहराता जा रहा है। ईरान ने यूरेनियम संवर्धन की दर को 60 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है, जो परमाणु हथियार निर्माण के लिए आवश्यक 90 प्रतिशत के स्तर के क़रीब है। यह कदम क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए बड़ा खतरा बन गया है, और इजरायल इसे अपने अस्तित्व के लिए एक बड़ा खतरा मानता है।
दो राष्ट्रों के बीच बढ़ता टकराव
हाल के महीनों में, ईरान और इजरायल के बीच संघर्ष में कई बार मिसाइल हमले हुए हैं। इस साल दो बार ईरान ने इजरायली क्षेत्र पर मिसाइल हमले किए, जिनके जवाब में इजरायल ने 26 अक्टूबर को ईरान के सैन्य ठिकानों पर बमबारी की थी। काट्ज़ ने इन हमलों का हवाला देते हुए कहा कि इजरायल का हवाई बल ईरान के सबसे उन्नत रक्षा प्रणालियों से भी कहीं अधिक सक्षम है। उन्होंने कहा कि अब ऐसा अवसर है कि इजरायल अपने उद्देश्य को पूरा कर सकता है और देश पर मंडरा रहे खतरे को समाप्त कर सकता है।
काट्ज़ ने अपने बयान में यह भी कहा कि वर्तमान में इजरायल की सुरक्षा और राजनयिक स्थिति इतनी मजबूत है कि वह ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर निर्णायक कदम उठा सकता है। उनका मानना है कि इजरायल की राष्ट्रीय रक्षा नीति में एक व्यापक सहमति है कि ईरान के परमाणु कार्यक्रम को रोका जाना चाहिए और यह संभव भी है। इस रणनीति में न केवल सैन्य, बल्कि राजनयिक मोर्चे पर भी सहयोग शामिल है, जिससे कि आने वाले समय में ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर पूर्ण रूप से अंकुश लगाया जा सके।
हिजबुल्लाह के साथ संघर्ष की स्थिति पर इजरायल की स्पष्टता
काट्ज़ ने अपने बयान में यह भी स्पष्ट कर दिया कि इजरायल हिजबुल्लाह के साथ किसी भी प्रकार का संघर्ष विराम तब तक नहीं करेगा, जब तक कि हिजबुल्लाह यह वादा नहीं करता कि वह लेबनान में लिटानी नदी के उत्तर में ही रहेगा। इसके अलावा, इजरायल इस बात पर भी जोर दे रहा है कि वह हिजबुल्लाह के हथियारों की तस्करी पर रोक लगाने के लिए अधिकारिक रूप से सैन्य कार्रवाई कर सके। इजरायल का दावा है कि हिजबुल्लाह के पास लगभग 150,000 रॉकेट हैं, और इस स्थिति ने क्षेत्र में स्थिरता के लिए एक गंभीर खतरा उत्पन्न कर दिया है।
कई वर्षों से इजरायल ने सीरिया में हिजबुल्लाह की हथियारों की तस्करी पर अंकुश लगाने की कोशिश की है, लेकिन वर्तमान संकट से पहले हिजबुल्लाह का रॉकेट शस्त्रागार बढ़ता गया है। इजरायली रक्षा नीति के अंतर्गत हिजबुल्लाह की हथियारों की तस्करी पर आक्रमण को “युद्धों के बीच की लड़ाई” कहा गया है, जिसमें इजरायल इस्लामी गणराज्य के सैन्य ठिकानों पर बार-बार हमले करता रहा है।
क्या इजरायल का हमला वास्तव में संभव है?
इजरायल के पूर्व प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट और यायर लापिड ने भी ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले की सिफारिश की थी, विशेष रूप से 26 अक्टूबर को। हालांकि, उस समय इजरायली सरकार ने एयर फोर्स को हरी झंडी देने के बजाय ईरान के लगभग 20 बैलिस्टिक मिसाइल निर्माण और रक्षा ठिकानों पर हमला करने का आदेश दिया। यह अब भी एक सवाल बना हुआ है कि क्या इजरायल सच में ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर सीधे हमला करने के लिए तैयार है, खासकर ऐसे समय में जब इस पर एक व्यापक राष्ट्रीय सहमति तो है, पर सरकार की नीति अभी अस्पष्ट है।
आगे की राह: ईरान के साथ बढ़ते तनाव का अंत?
काट्ज़ के इस बयान के बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय में चर्चा का माहौल है कि क्या इजरायल और ईरान के बीच तनाव का समाधान किसी प्रकार से निकाला जा सकता है। इजरायल का मानना है कि ईरान की परमाणु क्षमता उसके अस्तित्व के लिए एक गंभीर खतरा है, और यदि इसे तुरंत नहीं रोका गया तो क्षेत्रीय अस्थिरता के और बढ़ने की संभावना है। हालांकि, यह देखा जाना बाकी है कि इस स्थिति में अन्य बड़े देश जैसे अमेरिका, रूस और चीन क्या भूमिका निभाएंगे।
विश्लेषकों का मानना है कि यदि इजरायल ने ईरान के खिलाफ सीधे तौर पर हमला किया, तो इसका असर पूरे मध्य पूर्व क्षेत्र में देखा जा सकता है, जिसमें अन्य पड़ोसी देश भी खिंच सकते हैं। ऐसे में वैश्विक स्तर पर इस स्थिति पर नजर बनाए रखना आवश्यक है, क्योंकि किसी भी बड़े हमले का असर केवल इजरायल और ईरान तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इससे अंतरराष्ट्रीय राजनीति में भी व्यापक बदलाव आ सकते हैं।
निष्कर्ष
कुल मिलाकर, इजरायल का यह बयान दर्शाता है कि वह ईरान के खिलाफ किसी भी स्तर पर जाने को तैयार है, लेकिन यह स्थिति किस दिशा में बढ़ेगी, यह स्पष्ट नहीं है। मध्य पूर्व का यह संकट वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए बड़ी चुनौती प्रस्तुत कर रहा है, और सभी की निगाहें अब इस बात पर टिकी हैं कि क्या दोनों देशों के बीच तनाव किसी शांतिपूर्ण समाधान की ओर बढ़ेगा या यह और अधिक गहराएगा।