बांग्लादेश में इस्कॉन (इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शसनेस) के खिलाफ कट्टरपंथी मुस्लिम मौलानाओं द्वारा की गई धमकियों से बांग्लादेश के हिंदू समुदाय में डर और असुरक्षा की भावना बढ़ गई है। मौलानाओं ने स्पष्ट रूप से कहा है कि यदि सरकार इस्कॉन पर प्रतिबंध नहीं लगाती, तो बांग्लादेश के मुसलमान खुद इस्कॉन का खात्मा करेंगे और उनके अनुयायियों का सर कलम करेंगे। बांग्लादेश में एक बार फिर कट्टरपंथियों ने हिन्दुओं को निशाना बनाते हुए उनकी धार्मिक स्थलों को ध्वस्त करने की धमकियां दी हैं। सड़कों पर उतरी हजारों की भीड़ ने ‘इस्कॉन को मिटा दो’ जैसे उन्मादी नारे लगाए और हिन्दुओं के नरसंहार की धमकी दी। इस संकटपूर्ण स्थिति में, बांग्लादेश के हिन्दू अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए मदद की उम्मीद में भारत सरकार की ओर देख रहे हैं।

ढाका की सड़कों पर कई मौलानाओं ने हिन्दुओं के खिलाफ उग्र तकरीरें कीं और इस्कॉन के खिलाफ हिंसा की धमकियां दीं। एक तरफ, सरकार ने कट्टरपंथियों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की, दूसरी ओर, यह भी हैरान करने वाली बात है कि इस तरह की धमकियां खुलेआम दी जा रही हैं। यह घटनाएँ बांग्लादेश के उस मौजूदा राजनीतिक माहौल को दर्शाती हैं, जहां कट्टरपंथी विचारधारा के लोग बिना किसी डर के सार्वजनिक रूप से धर्मनिरपेक्षता और विविधता को चुनौती दे रहे हैं।
क्या है इस्कॉन पर बांग्लादेश में बढ़ते हमलों का कारण?
बांग्लादेश में इस्कॉन पर बढ़ते हमलों का मुख्य कारण कट्टरपंथी मुस्लिम उलेमाओं का यह मानना है कि इस्कॉन भारत के एजेंट के रूप में काम कर रहा है। वे इसे बांग्लादेश की आंतरिक राजनीति में हस्तक्षेप करने का एक उपकरण मानते हैं। चट्टग्राम में इस्कॉन के खिलाफ एक मुहिम शुरू हुई थी, जिसके बाद वहां के हिन्दू समाज को सोशल मीडिया पर कट्टरपंथी विचारों के प्रचार का विरोध करना पड़ा। बांग्लादेश की पुलिस और सेना ने हिन्दू समुदाय के खिलाफ जमकर हिंसा की, और कई हिन्दू नागरिकों को उनके घरों से खींचकर पीटा।
विश्व हिन्दू परिषद (VHP) ने बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचारों की कड़ी निंदा की है और भारत सरकार से बांग्लादेश के हिन्दू समुदाय की सुरक्षा के लिए कदम उठाने की अपील की है। इस कड़ी में भारतीय मुस्लिम नेताओं ने भी आवाज़ उठाई है, समाजवादी पार्टी के सांसद मोहिबुल्लाह नदवी ने कहा कि भारत सरकार को बांग्लादेश के हिन्दुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए। अगर वहां हिन्दुओं पर अत्याचार नहीं रुकते तो भारत को बांग्लादेश के हिन्दुओं को शरण देना चाहिए।
क्या असल में हिन्दू समुदाय निशाना है?
हालांकि इस्कॉन एक धार्मिक संगठन है, जो भगवान श्री कृष्ण के भजन और भगवद्गीता का प्रचार करता है, लेकिन बांग्लादेश में इसे सिर्फ एक बहाना बनाकर हिन्दू समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है। बांग्लादेश में हिन्दू समुदाय को डराने और उनकी धार्मिक पहचान को कमजोर करने की साजिश चल रही है। एक ओर जहां कट्टरपंथी इस्लामिक विचारधारा के लोग बांग्लादेश को एक इस्लामिक राष्ट्र बनाने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर बांग्लादेश की वर्तमान सरकार कट्टरपंथियों के दबाव में है और उनकी हरकतों को नजरअंदाज कर रही है।
यह बांग्लादेश के राजनीतिक परिप्रेक्ष्य को और अधिक जटिल बना देता है, क्योंकि बांग्लादेश का इतिहास इस्लामिक कट्टरवाद से दूर रहा है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में कट्टरपंथियों के बढ़ते प्रभाव ने इस देश की राजनीति में नए मोड़ का संकेत दिया है। बांग्लादेश के हिन्दू समुदाय के पास एकजुट रहने के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचा है, क्योंकि वे एक असुरक्षित वातावरण में जी रहे हैं।
भारत सरकार की भूमिका और हिन्दू समाज का भविष्य
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में महाराष्ट्र के रायगढ़ में इस्कॉन के साधु संतों से मुलाकात की और बांग्लादेश में हिन्दू समुदाय की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई। उन्होंने बांग्लादेश में हिन्दू समुदाय को हर संभव मदद देने का वादा किया। हालांकि, भारत सरकार के समर्थन के बावजूद बांग्लादेश के हिन्दू समाज के लिए स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। इस स्थिति में यह सवाल उठता है कि क्या बांग्लादेश की सरकार कट्टरपंथियों पर नियंत्रण कर पाएगी या फिर हिन्दू समुदाय का जीवन वहां असुरक्षित बना रहेगा।
वर्तमान में बांग्लादेश में चल रहे कट्टरपंथी संघर्ष और हिन्दू समुदाय पर हो रहे अत्याचारों के बावजूद, बांग्लादेश के लिए यह समय की परीक्षा है। अगर सरकार कट्टरपंथियों के खिलाफ निर्णायक कदम उठाती है, तो स्थिति में सुधार हो सकता है। लेकिन अगर ऐसा नहीं होता है, तो बांग्लादेश के हिन्दू समुदाय को निरंतर संघर्ष और सुरक्षा की चिंता बनी रहेगी।