2 बजे की एक खतरनाक मुलाकात: यह कहानी आपको सिखाएगी कि कैसे एक छोटी सी गलती बड़े सबक दे सकती है। पढ़ें मोटिवेशनल स्टोरी हिंदी में।

एक दिन रात के करीब 11 बजे, मेरी गर्लफ्रेंड का मैसेज आया: “आज रात 2 बजे मेरे घर पर आना। पीछे का दरवाजा खुला रहेगा।” उसकी यह बात सुनकर मन में कई सवाल उठे, लेकिन मैं समझ गया कि वह मुझसे मिलना चाहती है। हम दोनों के बीच में कभी-कभी ऐसे ही राज़ होते थे, जिनका खुलासा हम सिर्फ एक-दूसरे के साथ ही करते थे।
हमने अपनी पूरी प्लानिंग शुरू कर दी। सबसे पहले तो मैंने अपने फोन को साइलेंट मोड में डाला, ताकि कोई भी बाहरी आवाज हमें परेशान न करे। फिर, उसे याद दिलाया कि हम दोनों को अपनी सुरक्षा का ख्याल रखना चाहिए, तो मैंने प्रोटेक्शन लेकर आने की बात की। इस पर वह भी सहमत हो गई। हमें मिलना था, लेकिन हमें यह भी ध्यान रखना था कि कोई बाहरी दखल न हो, ताकि हम दोनों बिना किसी तनाव के समय बिता सकें।
फिर मैं सोने की कोशिश करने लगा, लेकिन मन में उथल-पुथल मची हुई थी। घड़ी की सुइयाँ जैसे धीमे-धीमे चलते हुए समय को और लंबा बना रही थीं। समय का खेल बहुत अजीब होता है, खासकर तब जब आप किसी खास मौके का इंतजार कर रहे हों। धीरे-धीरे जैसे-तैसे, मैंने 2 बजे का इंतजार करना शुरू किया। घड़ी की सुइयाँ मानो मेरे ही साथ खेल रही थीं, और समय धीरे-धीरे कटता जा रहा था।
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जैसे ही घड़ी ने 2 बजाए, मैं अपने घर से बाहर निकल पड़ा। रास्ता खौ़फनाक नहीं था, लेकिन मन में एक अजीब सी घबराहट थी। मुझे पूरी तरह से यकीन था कि यह सब ठीक हो जाएगा, लेकिन फिर भी मेरे मन में कोई न कोई डर जरूर था। रास्ते में मेरी गति थोड़ी बढ़ गई थी। उसके घर पहुँचने में मुझे लगभग पाँच मिनट ही लगे। मुझे भरोसा था कि पीछे का दरवाजा खुला रहेगा, जैसे उसने कहा था, और वाकई ऐसा ही हुआ। दरवाजा खुला था, जैसे वह वादा कर चुकी थी।
मैंने धीरे-धीरे कदम अंदर रखा और अपने कदमों को और भी धीमा किया। हर कदम में एक नया डर था, जैसे कोई हमें देख न ले। जैसे ही मैं कमरे के पास पहुँचा, उसने धीरे से कमरे का दरवाजा बंद कर दिया। मुझे राहत मिली कि अब कोई समस्या नहीं आएगी, लेकिन मैं अब भी डरा हुआ था। कमरे के अंदर आते ही, जैसे ही दरवाजा बंद हुआ, कुछ पल के लिए सब कुछ शांत हो गया। लेकिन फिर, मेरे माथे पर पसीने की बूंदें साफ दिखने लगी थीं।
वह मुझे सांत्वना देने लगी, “टेंशन मत लो, सब गहरी नींद में सो रहे हैं, कोई चिंता की बात नहीं है।” मैंने मुस्कुराते हुए सिर हिलाया, लेकिन मन में अभी भी कई सवाल थे। हम दोनों एक-दूसरे के करीब आने लगे, पर तभी अचानक बाहर से दरवाजे की आवाज आई।
मेरी गर्लफ्रेंड का चेहरा एकदम सफेद हो गया। उसके चेहरे पर डर साफ दिख रहा था। वह चुपके से बाहर झांकने गई और देखा कि उसके पिताजी खड़े थे। मेरी धड़कनें तेज़ हो गईं। मुझे लगा कि अब सब खत्म हो जाएगा। जैसे ही उसने देखा कि पिताजी बाहर खड़े हैं, वह मुझसे फुसफुसाते हुए बोली, “तुम अभी चले जाओ।”
मेरे पास कोई विकल्प नहीं था। मैंने सिर झुका लिया और चुपके से बाहर निकलने का प्रयास किया। दरवाजे की दरार से बाहर निकलते हुए, मैंने देखा कि उसकी पिताजी ने महसूस किया कि कोई बाहर गया है। वह तुरंत बाहर आए और चारों ओर देखने लगे। अंधेरे में कुछ दिखाई नहीं दिया, और वह वापस कमरे में लौट गए और दरवाजा बंद कर लिया।
मैंने राहत की साँस ली, लेकिन डर अभी भी मुझे घेरे हुए था। जैसे-तैसे मैं अपने घर की राह पकड़ने लगा। मेरा मन बहुत घबराया हुआ था, लेकिन जैसे-तैसे मैंने घर का रास्ता तय किया। घर पहुँचते ही, मेरी गर्लफ्रेंड का मैसेज आया, “सब ठीक है?”
मैंने गुस्से में जवाब दिया, “तेरे चक्कर में आज मैं किसी मुसीबत में फंस जाता, और तेरी भी बदनामी होती।” उस दिन के बाद, मैंने कभी भी इस तरह का जोखिम नहीं उठाया। अब हम मिलते हैं, तो बाहर मिलते हैं, और इस तरह की स्थिति से दूर रहते हैं।
इस घटना ने मुझे सिखाया कि कभी भी किसी भी हालात में अपने परिवार और खुद की सुरक्षा से समझौता नहीं करना चाहिए। यह एक पल था, जिसने हमारे रिश्ते को और मजबूत किया, क्योंकि हम दोनों ने समझा कि सही समय और सही जगह पर मिलना ही बेहतर होता है।