एसआईपी(SIP) की शक्ति: छोटे मासिक निवेश से बड़ा रिटर्न

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सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान, जिसे आमतौर पर SIP कहते हैं, एक ऐसा निवेश माध्यम है जो हर महीने नियमित रूप से निवेश करने के सिद्धांत पर काम करता है। SIP के ज़रिए निवेशकों को इस बात की चिंता करने की ज़रूरत नहीं होती कि शेयर मार्केट ऊपर है या नीचे, क्योंकि SIP का असली उद्देश्य है अनुशासन में रहकर लगातार निवेश करते रहना। इससे निवेशक को लंबे समय में कंपाउंडिंग के लाभ मिलते हैं।

एसआईपी(SIP) की शक्ति: छोटे मासिक निवेश से बड़ा रिटर्न
एसआईपी(SIP) की शक्ति: छोटे मासिक निवेश से बड़ा रिटर्न

जब आप SIP के माध्यम से म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं, तो हर महीने एक तय तारीख पर आपके खाते से निर्धारित राशि कट जाती है और उससे यूनिट्स खरीदी जाती हैं। उदाहरण के तौर पर, मान लीजिए कि आप हर महीने 5,000 रुपए निवेश करते हैं। मार्केट की स्थिति चाहे जैसी भी हो, आपका निवेश हमेशा नियमित रहता है, जिससे समय के साथ आपके फंड की वैल्यू बढ़ती है।

SIP से रिटर्न कैसे मिलता है?

SIP में कंपाउंडिंग का फायदा आपको तब मिलता है जब आप लंबे समय तक निवेशित रहते हैं। SIP में निवेश किए गए पैसे से समय-समय पर यूनिट्स खरीदी जाती हैं, और समय के साथ जैसे-जैसे यूनिट्स की नेट एसेट वैल्यू (NAV) बढ़ती है, आपकी निवेश की गई राशि भी बढ़ती है। उदाहरण के लिए, अगर आपने किसी फंड में 2013 में 10,000 रुपए प्रति महीने निवेश करना शुरू किया था और उसकी NAV उस समय 10 थी, तो आपको 1,000 यूनिट्स मिले। समय के साथ अगर NAV 45 तक पहुंच जाती है, तो आपके यूनिट्स की वैल्यू 45,000 हो जाएगी।

यहाँ आपको कंपाउंडिंग का फायदा मिलता है, क्योंकि आपके निवेशित पैसे पर हर साल मुनाफा मिलता है और वह मुनाफा अगले साल मूलधन में जुड़ कर और अधिक मुनाफा उत्पन्न करता है। इसे ही कंपाउंडिंग कहते हैं, जो समय के साथ रिटर्न को बढ़ाता है।

SIP बनाम लम्पसम (Lumpsum) निवेश

बहुत सारे निवेशक अक्सर सोचते हैं कि SIP से लम्पसम निवेश से बेहतर रिटर्न कैसे मिलता है। दरअसल, जब आप एक ही बार में बड़ी रकम निवेश करते हैं, तो आप उसी समय के मार्केट प्राइस पर निर्भर हो जाते हैं। मार्केट ऊपर हो तो लाभ होता है, लेकिन अगर मार्केट नीचे जाए तो नुकसान भी हो सकता है। जबकि SIP में, आप हर महीने एक निश्चित राशि निवेश करते हैं। इस तरह आपको “रुपी कॉस्ट एवरेजिंग” का फायदा मिलता है, जहाँ आपको हर महीने अलग-अलग प्राइस पर यूनिट्स मिलते हैं, जिससे आपके निवेश की औसत कीमत पर प्रभाव पड़ता है। इससे आपको मार्केट के उतार-चढ़ाव का असर नहीं झेलना पड़ता और रिटर्न्स में स्थिरता बनी रहती है।

SIP से जुड़े ज़रूरी बिंदु

SIP शुरू करते समय कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना चाहिए:

  1. लंबी अवधि का नजरिया रखें: SIP में निवेश करते समय कम से कम 5-7 साल का नजरिया रखें। लंबे समय में यह एक सुरक्षित और भरोसेमंद तरीका साबित होता है।
  2. डिसिप्लिन का पालन करें: SIP का असली फायदा अनुशासित निवेश से ही मिलता है। मार्केट की स्थिति कैसी भी हो, नियमित निवेश करते रहना चाहिए।
  3. रिस्क प्रोफाइल को समझें: SIP के माध्यम से अलग-अलग तरह के म्यूचुअल फंड्स में निवेश किया जा सकता है, जैसे इक्विटी, डेट और हाइब्रिड। अपने रिस्क प्रोफाइल के अनुसार फंड चुनें।
  4. नियमित समीक्षा करें: समय-समय पर अपने पोर्टफोलियो की समीक्षा करें ताकि आपके निवेश के लक्ष्यों के अनुसार उसमें बदलाव किया जा सके।

SIP से मिलने वाला संभावित रिटर्न

अब बात करते हैं कि SIP से कैसे अच्छे रिटर्न्स प्राप्त होते हैं। आमतौर पर म्यूचुअल फंड्स 12-15% का औसत रिटर्न देते हैं। मान लीजिए आपने 2013 में हर महीने 5,000 रुपए SIP में निवेश करना शुरू किया था और 2021 तक उसे जारी रखा। यदि उस म्यूचुअल फंड ने आपको 12% सालाना रिटर्न दिया है, तो आपके कुल निवेश (करीब 4,90,000 रुपए) की वैल्यू लगभग 11 लाख रुपए हो सकती है।

यहाँ ध्यान देने वाली बात यह है कि जितनी लंबी अवधि के लिए आप निवेश करते हैं, उतना ही कंपाउंडिंग का फायदा मिलता है। इसी कारण SIP को एक अनुशासित और प्रभावी निवेश तरीका माना जाता है।

SIP में कंपाउंडिंग और अनुशासन का महत्व

कंपाउंडिंग का असर SIP में सबसे अधिक देखने को मिलता है। कंपाउंडिंग का मतलब है कि आपके द्वारा कमाया गया ब्याज भी निवेशित रहता है और उस पर भी ब्याज मिलता है। उदाहरण के लिए, यदि आप हर महीने 10,000 रुपए निवेश करते हैं और म्यूचुअल फंड 12% सालाना रिटर्न देता है, तो 10 साल में आपका निवेश लगभग 23 लाख तक हो सकता है। यह आपके निवेशित राशि से कहीं अधिक होगा, और इसका श्रेय कंपाउंडिंग को जाता है।

इसके अलावा SIP में अनुशासन का भी बहुत महत्व है। यदि आप नियमित रूप से निवेश करते हैं, तो आपको इस बात की चिंता नहीं होती कि मार्केट ऊपर जा रहा है या नीचे। मार्केट की उतार-चढ़ाव में भी आपका निवेश बढ़ता रहता है। इसलिए अनुशासन में रहकर नियमित निवेश करना SIP का सबसे बड़ा फायदा है।

SIP कैसे शुरू करें?

SIP शुरू करना बहुत आसान है। इसके लिए आप किसी भी म्यूचुअल फंड हाउस में जाकर SIP के लिए अप्लाई कर सकते हैं। आपको केवल अपनी केवाईसी पूरी करनी होगी, जैसे आधार कार्ड, पैन कार्ड, और बैंक डीटेल्स देना।

आप अपने बैंक से ऑटो-डेबिट ऑप्शन सेट कर सकते हैं, जिससे हर महीने आपकी निवेश राशि अपने आप कट जाएगी। आजकल कई डिजिटल प्लेटफॉर्म भी उपलब्ध हैं जो SIP शुरू करने की सुविधा देते हैं। ऑनलाइन माध्यम से SIP शुरू करने में केवल कुछ मिनट का समय लगता है।

SIP में कितना निवेश करना चाहिए?

SIP में कितना निवेश करना चाहिए, यह आपके वित्तीय लक्ष्यों और मासिक बजट पर निर्भर करता है। SIP में शुरुआत छोटे अमाउंट से भी की जा सकती है, जैसे 500 या 1,000 रुपए प्रति माह। जैसे-जैसे आपकी आय बढ़ती है, आप अपने SIP का अमाउंट भी बढ़ा सकते हैं। SIP में धीरे-धीरे निवेश बढ़ाना एक समझदारी भरा कदम हो सकता है, क्योंकि इससे आपकी कुल निवेश राशि भी बढ़ेगी और आपको अधिक रिटर्न भी मिलेगा।

कुछ म्यूचुअल फंड नीचे हैं

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निष्कर्ष

SIP एक बहुत ही सरल और अनुशासित निवेश माध्यम है, जिससे आप लंबे समय में अच्छे रिटर्न प्राप्त कर सकते हैं। इसके ज़रिए आप कंपाउंडिंग का लाभ उठा सकते हैं और मार्केट के उतार-चढ़ाव से प्रभावित हुए बिना निवेश कर सकते हैं। SIP में आपको केवल निवेशित रहना होता है और समय-समय पर इसे बढ़ाने का भी अवसर मिलता है।

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