क्या सास और बहू कभी सच्चे रिश्ते में बदल पाएंगे?

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क्या सास और बहू कभी सच्चे रिश्ते में बदल पाएंगे? जानिए सास-बहू के रिश्ते की उलझन और तनाव को सुलझाने के उपाय, जो रिश्तों में प्यार और समझ को बढ़ा सकते हैं।

क्या सास और बहू कभी सच्चे रिश्ते में बदल पाएंगे?
क्या सास और बहू कभी सच्चे रिश्ते में बदल पाएंगे?

सुमन नामक युवती का विवाह हुआ और वह अपने पति आदित्य और सास मीरा देवी के साथ ससुराल में रहने लगी। ससुराल में शुरुआत के कुछ दिन सामान्य रहे, लेकिन जल्द ही सुमन को यह महसूस होने लगा कि उसकी सास मीरा देवी के साथ उसकी बिल्कुल नहीं बन रही। मीरा देवी पुराने खयालों वाली थी और सुमन के विचार आधुनिक। धीरे-धीरे, उनकी सोच और जीवनशैली के बीच अंतर उनके झगड़ों का कारण बनने लगा।

सुमन को मीरा देवी की छोटी-छोटी बातें चुभने लगीं। मीरा देवी भी सुमन के जवाब देने के अंदाज़ से नाराज रहती। दिन, महीने, और फिर साल बीतने लगे। दोनों के बीच दूरी इतनी बढ़ गई कि सुमन अपनी सास से नफरत करने लगी। सुमन के लिए सबसे कठिन समय वह होता, जब उसे भारतीय परंपराओं के अनुसार दूसरों के सामने मीरा देवी का सम्मान करना पड़ता।

सुमन ने आदित्य से भी इस बारे में शिकायत की, लेकिन आदित्य अक्सर अपनी माँ का पक्ष लेते। इससे सुमन और अधिक आहत होती।

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एक दिन झगड़ा इतना बढ़ गया कि सुमन ने गुस्से में ससुराल छोड़ दिया और मायके आ गई। वहाँ उसने अपनी माँ और पिता के सामने रो-रो कर अपनी व्यथा सुनाई। वह अपनी सास से इतना परेशान थी कि उसने अपने पिता से कहा,
“पापा, मुझे कोई जहरीली दवा दे दीजिए। मैं जाकर उस बुढ़िया को पिला दूंगी। अब मैं किसी भी कीमत पर उसके साथ नहीं रह सकती।”

सुमन के पिता, जो आयुर्वेद के डॉक्टर थे, बेटी की हालत देखकर चिंतित हुए। उन्होंने सुमन के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा,
“बेटा, अगर तुम अपनी सास को ज़हर खिला दोगी, तो पुलिस तुम्हें पकड़ लेगी। साथ ही मुझे भी, क्योंकि ज़हर मैं दूंगा। लेकिन ऐसा करना सही नहीं होगा।”

सुमन ने कहा,
“पापा, मैं कुछ नहीं जानती। अब मैं उसकी शक्ल तक नहीं देखना चाहती। मुझे ज़हर देना ही होगा।”

पिता ने थोड़ी देर सोचा और कहा,
“ठीक है, जैसा तुम चाहती हो। लेकिन मेरी एक शर्त है। जैसा मैं कहूँगा, तुम्हें वैसा ही करना होगा। क्या यह तुम्हें मंजूर है?”

सुमन ने तुरंत हामी भर दी।

पिता ने उसे एक जड़ी-बूटी का मिश्रण दिया और कहा,
“यह ज़हर नहीं है, लेकिन धीरे-धीरे असर करेगा। तुम्हें इसे अपनी सास को हर दिन खाना बनाते समय देना होगा। लेकिन इसके साथ तुम्हें कुछ और करना होगा। तुम्हें अपनी सास से प्यार और सम्मान से पेश आना होगा, ताकि किसी को शक न हो। तुम उससे झगड़ा करना छोड़ दो और हमेशा मुस्कान के साथ बात करो। अगर वह कुछ कहें, तो विनम्रता से जवाब दो। इससे कोई भी यह नहीं कह सकेगा कि तुम उसे नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रही हो।”

सुमन ने पिता की योजना पर सहमति जताई और ससुराल लौट गई।

सुमन ने धीरे-धीरे अपनी सास के साथ अपने व्यवहार में बदलाव करना शुरू किया। वह रोज़ अपने पिता द्वारा दी गई दवा खाने में मिलाकर मीरा देवी को देती और उनके साथ प्यार से पेश आती। वह अब मीरा देवी की बातों को ध्यान से सुनती और उनकी पसंद का ख्याल रखती। अगर मीरा देवी कभी गुस्से में कुछ कह देती, तो सुमन विनम्रता से जवाब देती।

धीरे-धीरे, मीरा देवी भी सुमन के इस बदले हुए व्यवहार को महसूस करने लगी। जहाँ पहले वह सुमन को हर बात पर टोकती थी, अब वह उसकी तारीफ करने लगी। मीरा देवी ने घर के अन्य सदस्यों से कहा,
“सुमन बहुत समझदार और प्यारी बहू है। मैं उससे पहले गलत तरीके से पेश आई। अब मैं चाहती हूँ कि हम एक-दूसरे को समझें।”

सुमन के लिए यह बदलाव अप्रत्याशित था। उसे अहसास हुआ कि सास के साथ उसका रिश्ता बेहतर हो रहा है। अब वे दोनों एक-दूसरे के साथ ज्यादा समय बिताने लगीं। मीरा देवी, जो पहले सुमन की हर छोटी-बड़ी गलती निकालती थी, अब उसकी मदद करने लगी।

छह महीने बीत गए। सुमन और मीरा देवी के बीच का रिश्ता अब मजबूत हो चुका था। मीरा देवी अब सुमन को बेटी की तरह मानने लगी थी। एक दिन सुमन अपने मायके गई और पिता से कहा,
“पापा, मैं आपको धन्यवाद देना चाहती हूँ। आपकी दी हुई दवा ने सचमुच चमत्कार कर दिया। अब मेरी सास मुझसे बहुत प्यार करती हैं, और मैं भी उन्हें बहुत मानने लगी हूँ। लेकिन एक बात समझ नहीं आ रही – आपने जो दवा दी थी, वह इतनी असरदार कैसे थी?”

पिता मुस्कुराए और बोले,
“बेटा, वह दवा ज़हर नहीं थी। वह तो सिर्फ एक सामान्य जड़ी-बूटी थी, जिसका कोई असर नहीं था। असली जादू तुम्हारे बदलते व्यवहार का था। जब तुमने अपनी सास के प्रति प्यार और सम्मान दिखाया, तो उन्होंने भी अपने दिल के दरवाजे तुम्हारे लिए खोल दिए। यह जीवन का सबसे बड़ा सबक है – नफरत से नफरत बढ़ती है, लेकिन प्यार से हर रिश्ता सुधर सकता है।”

सुमन को अपनी गलती का अहसास हुआ। उसने समझा कि मीरा देवी के साथ उसके झगड़ों की वजह केवल उनके विचारों का टकराव था, न कि कोई व्यक्तिगत दुश्मनी। उसने यह भी महसूस किया कि प्यार, सम्मान, और धैर्य किसी भी रिश्ते को मजबूत बनाने की कुंजी हैं।

अब सुमन अपने ससुराल में बेहद खुश थी। मीरा देवी और बहू के बीच का रिश्ता एक आदर्श बन चुका था। मीरा देवी अब हर जगह कहती,
“मेरी बहू सुमन मेरी सबसे बड़ी ताकत है। वह मेरी बेटी से बढ़कर है।”

सुमन के लिए यह बदलाव एक नई शुरुआत थी। उसने सिख लिया था कि रिश्तों में नफरत के लिए जगह नहीं होनी चाहिए। प्यार और समझदारी से हर समस्या का समाधान संभव है।

यह कहानी हमें सिखाती है कि जीवन में हर समस्या का समाधान प्यार और धैर्य में छिपा होता है। हमारे रिश्ते हमारी सोच का प्रतिबिंब होते हैं। जब हम दूसरों को समझने और उन्हें स्वीकार करने की कोशिश करते हैं, तो वही रिश्ते हमारे जीवन की सबसे बड़ी ताकत बन जाते हैं।

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