म्यूचुअल फंड में निवेश का सही तरीका: SIP या Lump Sum?

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म्यूचुअल फंड में निवेश का सही तरीका: SIP या Lump Sum? जानिए दोनों के फायदे और सही निवेश विकल्प। निवेश के लिए बेहतर रणनीतियों की जानकारी।

हर निवेशक के मन में यह सवाल हमेशा रहता है कि निवेश करने का सही तरीका क्या है? क्या हम छोटे-छोटे अमाउंट से लगातार निवेश करें जैसे ₹500 या ₹5000 प्रति माह, जिसे हम SIP (Systematic Investment Plan) कहते हैं, या फिर एक बार में एक बड़ा अमाउंट जैसे ₹5000 या ₹5 लाख निवेश करें, जिसे Lump Sum निवेश कहते हैं।

म्यूचुअल फंड में निवेश का सही तरीका: SIP या Lump Sum?
म्यूचुअल फंड में निवेश का सही तरीका: SIP या Lump Sum?

तो चलिए, इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि SIP और Lump Sum में से कौन सा विकल्प आपके लिए बेहतर है और इन दोनों के बीच मुख्य अंतर क्या है। साथ ही हम यह भी जानेंगे कि इन्वेस्टमेंट का सही समय कब होता है और कौन सी रणनीति किसके लिए सही है। हम पावर ऑफ कंपाउंडिंग को भी समझेंगे और साथ ही CAGR (Compound Annual Growth Rate) और ER (Earnings Rate) के महत्वपूर्ण कॉन्सेप्ट्स को भी।

क्या है SIP और Lump Sum?

पहले हम समझते हैं SIP और Lump Sum क्या होते हैं। SIP एक ऐसी रणनीति है जिसमें आप एक निश्चित राशि हर महीने निवेश करते हैं, चाहे बाजार का हाल कैसा भी हो। इसे नियमित निवेश कहा जाता है। Lump Sum में आप एक बार में पूरी राशि निवेश करते हैं, जैसे ₹1 लाख या ₹5 लाख। इसमें आप एक साथ पूरी राशि को निवेश करते हैं और उसके बाद आप उसमें बदलाव नहीं करते।

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हमारे पहले उदाहरण की कहानी

अब, 1992 की बात करते हैं।विजय और सुरेश दो अच्छे दोस्त थे, जिनकी शादी हो चुकी थी और दोनों प्राइवेट कंपनी में काम कर रहे थे। एक दिन कंपनी से उन्हें बोनस मिला। सुरेश ने टीवी पर देखा कि स्टॉक मार्केट बहुत तेजी से ऊपर जा रहा है और बहुत सारे लोग यहां से पैसा कमा रहे हैं। उसे अपने दोस्त के एक ब्रोकर ने कहा कि वह वीडियोकॉन के स्टॉक में निवेश करे। सुरेश ने ₹1 लाख का Lump Sum निवेश किया। वहीं विजय ने SIP की रणनीति अपनाई और ₹1000 प्रति माह का SIP सेट किया। विजय ने एक म्यूचुअल फंड चुना जिसका रिटर्न सेंसेक्स इंडेक्स जितना था।

अब, 25 साल बाद, यानी 2017 में, सुरेश के स्टॉक का पूरा पोर्टफोलियो ख़त्म हो चुका था। वह स्टॉक अब एक पैनी स्टॉक बन चुका था। हालांकि, विजय के ₹1000 के SIP ने बहुत अच्छा रिटर्न दिया। विजय ने 25 सालों में ₹3 लाख निवेश किए और उसका निवेश ₹32 लाख में बदल गया, जो कि 15% का रिटर्न था। यहां, एक महत्वपूर्ण बात यह सामने आई कि सुरेश को 8% का रिटर्न मिला, जबकि विजय को 15% का। इसका कारण यह था कि विजय ने लगातार निवेश किया, जिससे उसे लंबी अवधि में बेहतर रिटर्न मिला।

कंपाउंडिंग की शक्ति और उसका प्रभाव

यहां पर एक और महत्वपूर्ण कांसेप्ट आता है: पावर ऑफ कंपाउंडिंग। इसका मतलब है कि आपका निवेश समय के साथ बढ़ता है, और आप केवल अपनी मूल राशि पर नहीं बल्कि पहले से मिले रिटर्न पर भी रिटर्न कमा रहे होते हैं। अगर हम CAGR (Compound Annual Growth Rate) की बात करें तो यह विजय के लिए बहुत अच्छा रहा। SIP के जरिए वह लगातार निवेश करता रहा और उसका पैसा हर साल बढ़ता गया।

दूसरी कहानी का उदाहरण

अब हम 2008 की ओर बढ़ते हैं। रॉकी और सनी दो दोस्त हैं। रॉकी को ₹2 लाख मिले थे और उसने अपनी सारी राशि एक बाइक खरीदने में खर्च कर दी। वहीं सनी ने ₹5000 की SIP शुरू कर दी और अपना पैसा म्यूचुअल फंड में निवेश किया।

दूसरी ओर, रॉकी ने अपने पैसों को स्टॉक मार्केट में निवेश करने का फैसला किया। उसने ₹1 लाख रॉयल एनफील्ड की पैरेंट कंपनी, एचडीएफसी के शेयरों में निवेश किया। बाकी ₹1 लाख उसने एक इंडेक्स फंड में डाल दिए।

यहां सनी ने SIP के जरिए लगातार निवेश किया, जबकि रॉकी ने एक बार में बड़ा निवेश किया। 2018 तक सनी का निवेश ₹30 लाख में बदल चुका था, जबकि रॉकी का निवेश ₹20 लाख से ऊपर नहीं जा पाया।

SIP vs Lump Sum: कौन सा बेहतर है?

अब, सवाल यह उठता है कि इन दोनों में से कौन सा तरीका बेहतर है? SIP या Lump Sum?

अगर आप बाजार के उतार-चढ़ाव से डरते हैं और आपको लगातार निवेश करना पसंद है, तो SIP आपके लिए सबसे बेहतर तरीका है। SIP आपको समय के साथ निवेश करने का मौका देता है और आपको बाजार के गिरने पर भी लाभ प्राप्त होता है। वहीं अगर आप लंबी अवधि के लिए निवेश करने के लिए तैयार हैं और आपको एक बार में बड़ा निवेश करना अच्छा लगता है, तो Lump Sum एक अच्छा विकल्प हो सकता है।

राइट टाइम और स्ट्रेटेजी का चुनाव

निवेश करने का सही समय बेहद अहम होता है। जबकि SIP को आप किसी भी समय शुरू कर सकते हैं, वहीं Lump Sum निवेश के लिए बाजार की स्थिति पर नजर रखना जरूरी है। यदि बाजार गिरावट की स्थिति में है, तो यह Lump Sum निवेश करने का एक अच्छा मौका हो सकता है, क्योंकि इस दौरान आप ज्यादा स्टॉक्स खरीद सकते हैं।

SIP के साथ, आप बाजार के उतार-चढ़ाव से खुद को बचा सकते हैं और लंबे समय में अच्छे रिटर्न की उम्मीद कर सकते हैं।

निष्कर्ष

SIP और Lump Sum दोनों ही निवेश के तरीके अपने-अपने फायदे रखते हैं, लेकिन अगर आप चाहते हैं कि आपका निवेश धीरे-धीरे बढ़े और जोखिम कम हो, तो SIP आपके लिए ज्यादा उपयुक्त होगा। वहीं, अगर आपकी निवेश की योजना लंबी अवधि के लिए है और आप जोखिम लेने में सक्षम हैं, तो Lump Sum एक अच्छा विकल्प हो सकता है।

मुझे उम्मीद है कि आपको इस ब्लॉग के माध्यम से इन्वेस्टमेंट के सही तरीकों के बारे में बहुत कुछ जानने को मिला होगा। अगर आपको यह जानकारी पसंद आई हो, तो कृपया इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करें और हमारे साथ जुड़े रहें!

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