किस्मत का खेल: यह मोटिवेशनल कहानी हिंदी में आपके जीवन में प्रेरणा भरने और नई सीख देने के लिए है। पढ़ें यह दिलचस्प कहानी और जानें जीवन के अनमोल सबक।

सूरज की हल्की धूप कमरे में फैल चुकी थी, और मैं ऑफिस जाने की तैयारी में जुटा था। जैसे ही घड़ी ने नौ बजाए, मेरी टेबल पर रखा फोन अचानक बज उठा। स्क्रीन पर एक अज्ञात नंबर चमक रहा था। सोचा, कोई बैंक का कॉल होगा या फिर क्रेडिट कार्ड का ऑफर। थोड़ा झुंझलाते हुए फोन उठाया और कहा, “जी, कहिए।”
दूसरी तरफ से एक महिला की तेज़ आवाज़ सुनाई दी। बोली,
“जी के बच्चे, सुबह नाश्ते के बिना क्यों चले गए ऑफिस? कितनी बार कहा है, रात की लड़ाई को सुबह भूल जाया करो, लेकिन तुम्हें समझ नहीं आती।”
मैं भौंचक्का रह गया। यह कौन थी जो मुझे यूँ डाँट रही थी? मैंने कहा, “माफ़ कीजिए, शायद आपने गलत नंबर डायल कर लिया है।”
लेकिन उसकी बातों में ऐसा गुस्सा था कि मेरी बात सुनने का कोई सवाल ही नहीं था। उसने मेरी बात को अनसुना कर दिया और अपनी क्लास जारी रखी।
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“आज तुम आओ तो घर… ठीक से तुम्हारी तबीयत साफ करती हूँ। अगर तुम्हारे बच्चों का ख्याल न होता, तो कब का तुम्हें दफा कर दिया होता!”
उसकी बातों में ऐसी तेजी थी कि मुझे अपनी हंसी रोकनी मुश्किल हो रही थी। लेकिन, मैं सोच में डूबा हुआ था कि यह कौन महिला है जो मुझे ऐसे डाँट रही है। मेरा तो अभी तक मंगनी का भी कोई सीन नहीं है।
उसके बोलने का अंदाज़ ऐसा था जैसे मैं उसका बरसों पुराना पति हूँ। वह अनाप-शनाप बोले जा रही थी और मैं सिर खुजाते हुए सोच रहा था कि यह कौन सी मासूम आत्मा है जो मुझे बिना वजह सुना रही है।
जब वह कुछ पल के लिए रुकी, तो मैंने धीरे से कहा, “श्रीमती जी, आपने शायद गलत नंबर पर क्लास ले ली है। लेकिन मैं आपका बहुत आभारी हूँ। दो मिनट ही सही, लेकिन आपकी डाँट से मुझे शादीशुदा होने का एहसास हो गया।”
यह सुनते ही वह कुछ पल के लिए चुप हो गई। फिर अचानक खिलखिलाते हुए बोली,
“अरे, मैं भी शादीशुदा नहीं हूँ। मेरी शादी तो बस हाल ही में तय हुई है।”
अब मैं पूरी तरह से चौंक गया। मैंने कहा, “तो फिर यह क्लास किसलिए थी?”
वह हंसते हुए बोली,
“दरअसल, मेरी भाभी ने मज़ाक में कहा था कि शादी के बाद पति को संभालने की प्रैक्टिस करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि किसी भी नंबर पर कॉल कर, अगर उधर से पुरुष की आवाज़ सुनाई दे, तो डाँट लगा दो। इससे प्रैक्टिस भी हो जाएगी और शादीशुदा वाली फीलिंग भी आएगी।”
उसकी बात सुनकर मैं जोर से हँस पड़ा। “वाह! यह तो बड़ा अनोखा तरीका है प्रैक्टिस करने का। लेकिन भाभीजी को यह नहीं पता कि गलती से आपकी प्रैक्टिस कॉल किसी ऐसे बंदे को लग सकती है, जिसकी शादी दूर-दूर तक नहीं हुई।”
वह भी हँसते हुए बोली,
“सही कह रहे हो। वैसे, आपने मुझे बहुत अच्छे से संभाल लिया। लगता है कि आप भी शादी के लिए तैयार हैं।”
मैंने मजाक में कहा, “आपकी प्रैक्टिस के बाद तो अब मुझे भी शादीशुदा होने का आत्मविश्वास आ गया है। लेकिन अगली बार प्रैक्टिस करते वक्त नंबर चेक कर लेना, कहीं आपकी क्लास सुनने वाला इंसान सच में आहत न हो जाए।”
उसने कहा, “बिलकुल सही सलाह है। वैसे, यह मेरी पहली और आखिरी प्रैक्टिस कॉल थी। अब तो असली क्लास पति को ही दूँगी।”
हम दोनों खूब हँसे। उसने आखिर में कहा, “चलो, तुम्हें डिस्टर्ब किया, लेकिन मज़ा भी आया। अब तुम्हें शुभकामनाएँ देती हूँ कि तुम्हारी भी जल्दी से शादी हो जाए।”
मैंने भी हँसते हुए कहा, “धन्यवाद! और आपको भविष्य की शादीशुदा ज़िंदगी के लिए शुभकामनाएँ।”
फोन कट गया, लेकिन यह वाकया मेरे चेहरे पर दिनभर मुस्कान बनाए रखे। यह अजीबोगरीब कॉल, जो शायद किसी और को परेशान कर सकती थी, मेरे लिए हंसी का एक नया बहाना बन गई।
उस दिन मुझे यह समझ आया कि जिंदगी में कुछ चीजें अनजाने में ही खुशी ला सकती हैं। और शायद, यही तो है किस्मत का खेल—जहाँ अजनबियों के साथ भी पलभर की बातचीत आपको अपने दिन का सबसे खास लम्हा दे सकती है।
निष्कर्ष:
ज़िंदगी में हर अनुभव कुछ नया सिखाता है। इस कॉल ने सिखाया कि कभी-कभी अनजाने में होने वाली गलतियाँ भी जिंदगी को खुशनुमा बना सकती हैं।