भूमिकाएं बदलीं, लेकिन मंज़िल वही: फडणवीस का महाराष्ट्र की सियासत पर बड़ा बयान

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महाराष्ट्र में हाल ही में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद देवेंद्र फडणवीस ने एक बार फिर से राज्य की राजनीति को नया मोड़ दिया। सियासी उथल-पुथल के बीच उनकी सरकार ने सचिवालय में जिम्मेदारी संभालते हुए साफ संकेत दिया कि यह गठबंधन आने वाले पाँच सालों तक राज्य को स्थिर सरकार देगा। फडणवीस, उनके डिप्टी अजित पवार और एकनाथ शिंदे के एक साथ काम करने की बात पर उन्होंने कहा, “हमारी भूमिकाएं बदल गई हैं, लेकिन दिशा और गति वही है।”

भूमिकाएं बदलीं, लेकिन मंज़िल वही: फडणवीस का महाराष्ट्र की सियासत पर बड़ा बयान
भूमिकाएं बदलीं, लेकिन मंज़िल वही: फडणवीस का महाराष्ट्र की सियासत पर बड़ा बयान

‘2019 से 2022 तक सियासी उठापटक का दौर’

सीएम फडणवीस ने महा विकास अघाड़ी (MVA) पर निशाना साधते हुए कहा कि “2019 से 2022 के बीच राज्य में काफी बदलाव देखे गए हैं। लेकिन अब उम्मीद है कि भविष्य में ऐसी चौंकाने वाली घटनाएं नहीं होंगी।”
फडणवीस के इस बयान का इशारा साफ तौर पर 2023 के शिवसेना विभाजन की ओर था। जब एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे से बगावत कर पार्टी को दो हिस्सों में बाँट दिया था। यही नहीं, इसके बाद अजित पवार ने भी शरद पवार की NCP को झटका देते हुए भाजपा के साथ हाथ मिला लिया। इन घटनाओं ने महाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़ा भूचाल ला दिया था।

 

‘हम तीनों के बीच तालमेल मजबूत’

देवेंद्र फडणवीस ने अपने बयान में यह भी साफ किया कि सत्ता में उनकी भूमिका भले ही बदलती रही हो, लेकिन तीनों नेताओं (फडणवीस, अजित पवार और शिंदे) के बीच का तालमेल और समझ बरकरार है। उन्होंने कहा,
“2014 में मैं मुख्यमंत्री था, शिंदे हमारे साथ थे। 2019 में 72 घंटे के लिए अजित दादा और मैं मुख्यमंत्री व डिप्टी सीएम बने। इसके बाद शिंदे मुख्यमंत्री बने और अब मैं मुख्यमंत्री हूँ, जबकि वो दोनों डिप्टी सीएम हैं।”

फडणवीस का यह बयान राजनीतिक विरोधियों को स्पष्ट संदेश देता है कि सत्ता के केंद्र में भले ही चेहरे बदलें, लेकिन गठबंधन की दिशा और कार्यशैली पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

 

शपथ ग्रहण के साथ हुई नई शुरुआत

गुरुवार को शपथ ग्रहण समारोह के दौरान तीनों नेताओं ने एक मजबूत और निर्णायक सरकार का वादा किया। देवेंद्र फडणवीस ने इस मौके पर कहा,
“यह सरकार तेजी से फैसले लेने वाली है। महाराष्ट्र जिस रफ्तार से आगे बढ़ रहा है, हम इसे और तेज करेंगे।”

उधर, विधानसभा में भी नवनिर्वाचित विधायकों के शपथ ग्रहण के साथ राजनीतिक गहमागहमी तेज हो गई। विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव को लेकर भी चर्चाएं गरम हैं। भाजपा के वरिष्ठ नेता सुधीर मुनगंटीवार और पूर्व अध्यक्ष राहुल नार्वेकर के बीच कड़ा मुकाबला होने की संभावना है।

 

शिवसेना (UBT) का विरोध जारी

शिवसेना (UBT) नेता आदित्य ठाकरे ने सरकार पर तीखा हमला करते हुए कहा कि लोकतंत्र की हत्या हुई है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह जीत जनता के समर्थन की नहीं बल्कि EVM की गड़बड़ी का नतीजा है। आदित्य ठाकरे का बयान साफ तौर पर सत्तारूढ़ गठबंधन के खिलाफ विपक्ष की नाराजगी को दर्शाता है।
उन्होंने कहा,
“अगर यह जनादेश सही होता तो लोग सड़कों पर जश्न मना रहे होते। लेकिन ऐसा कहीं भी नहीं हुआ। यह जनता के साथ धोखा है।”

 

‘चौंकाने वाली घटनाएं’ और महायुति का आत्मविश्वास

फडणवीस ने अपने बयान में जिन चौंकाने वाली घटनाओं की बात की, वो वास्तव में महाराष्ट्र की राजनीति के बड़े मोड़ थे।

  1. शिवसेना का विभाजन: एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में बगावत से उद्धव ठाकरे की सरकार गिरी।
  2. NCP में बगावत: अजित पवार ने शरद पवार से अलग होकर भाजपा के साथ गठबंधन किया।

इन दो घटनाओं ने न केवल MVA को धराशायी किया बल्कि भाजपा-शिवसेना (शिंदे गुट)-NCP (अजित पवार गुट) का महायुति गठबंधन मजबूती से सत्ता में लौट आया।

 

लोकसभा और विधानसभा चुनावों की तैयारी

महायुति सरकार के स्थिर होने के बाद फडणवीस ने कहा कि उनका लक्ष्य सुशासन और विकास रहेगा। उन्होंने कहा, “यह जीत राज्य में सुशासन की जीत है।”
सत्तारूढ़ गठबंधन ने लोकसभा चुनावों में शुरुआती झटकों के बाद रणनीति बदलते हुए विधानसभा में बड़ी जीत हासिल की। फडणवीस के नेतृत्व में अब सरकार अगले पाँच सालों तक राजनीतिक स्थिरता और विकास के एजेंडे पर काम करेगी।

 

अगले कदम: विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव और मंत्रिमंडल विस्तार

विशेष सत्र के दौरान विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव होने की संभावना है। इसके अलावा मंत्रिमंडल विस्तार पर भी फैसला लिया जाएगा। भाजपा विधायक सुधीर मुनगंटीवार का नाम अध्यक्ष पद के लिए सबसे मजबूत दावेदार के रूप में उभर रहा है।

विधानसभा सत्र को लेकर शिवसेना नेता उदय सामंत ने कहा कि सरकार का फोकस विकास पर रहेगा। उन्होंने कहा,
“यह मुख्यमंत्री का अधिकार है कि किसे मंत्री बनाया जाए। हम सभी मिलकर महाराष्ट्र को विकास की नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे।”

 

विपक्ष की भूमिका और सियासी माहौल

हालाँकि महायुति सरकार ने सत्ता में आते ही मजबूत शुरुआत की है, लेकिन विपक्ष की भूमिका भी महत्वपूर्ण होगी। महा विकास अघाड़ी के नेता लगातार सरकार को निशाने पर ले रहे हैं। विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए फडणवीस ने कहा,
“जनता ने हमें जनादेश दिया है। हमारी प्राथमिकता राज्य के विकास और जनता की भलाई है।”

 

निष्कर्ष

देवेंद्र फडणवीस, अजित पवार और एकनाथ शिंदे की महायुति सरकार ने महाराष्ट्र में राजनीतिक स्थिरता का वादा किया है। फडणवीस के नेतृत्व में गठबंधन मजबूत दिखाई दे रहा है। हालाँकि विपक्ष के सवाल और आरोप सरकार के लिए चुनौती बने रहेंगे।
अब यह देखना होगा कि आने वाले दिनों में महायुति सरकार कैसे राज्य के विकास के वादों को पूरा करती है और विपक्ष की चुनौतियों का सामना करती है।

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