एक मुलाकात’ एक प्रेरणादायक कहानी (Motivational Story In Hindi) है, जो रिश्तों की गहराई, समझ, और सही फैसले लेने की कला सिखाती है। इसे पढ़ें और अपने जीवन को नई दिशा दें।

“बेटा तेरे लिए लड़की पसंद कर रहे हैं… अब तक तो तुम्हें ये छूट दे रखी थी कि कोई पसंद है तो बता दो, पर तुमने कभी किसी का ज़िक्र ही नहीं किया। अब हमें एक लड़की पसंद आ रही है, तेरी ताई जी के रिश्ते में है। देखा-सुना परिवार है। बस एक बार तू भी आकर मिल ले… बातें कर लें, फिर हम शादी पक्की कर देंगे।” सुमित्रा देवी ने अपने बेटे अक्षय से कहा।
“क्या माँ! अभी कोई उम्र है शादी की? मुझे कुछ दिन चैन से तो रहने दो… देखा नहीं भैया कितने उतावले थे ब्याह को। सुंदर-सुशील कन्या कहकर तुम नेहा भाभी को घर ले आईं। फिर क्या हुआ, भूल गईं क्या? पहले सब पता कर लो, फिर ही मैं शादी के लिए सोचूँगा। अभी ऑफिस में हूँ, काम ख़त्म कर लेने दो।” अक्षय ने खीझते हुए फ़ोन रख दिया।
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सुमित्रा देवी फ़ोन बंद होते ही भुनभुनाने लगीं, “ये लड़का भी ना… यहाँ रहता तो कान खींचकर मना लेती, पर इतनी दूर रहता है कि कुछ कर नहीं सकती।”
पास बैठे अशोक जी, जो अब तक अख़बार पढ़ रहे थे, ने पूछा, “क्या हुआ सुमित्रा जी? बेटे ने क्या कहा?”
“क्या बोलेगा? बड़े भाई की शादी की बात छेड़कर मेरा मुँह बंद करवा दिया।” सुमित्रा देवी खिन्न होकर बोलीं।
“वैसे सुमित्रा, बेटा बोल तो सही ही रहा है। हम रिश्तेदारों की सोच कर रिश्ता जोड़ लेते हैं, पर बाद में गच्चा खा जाते हैं। एक बार ना कर देते तो आज इतने रिश्ते ख़राब तो नहीं होते।” अशोक जी ने सुमित्रा देवी के हाथ पर सांत्वना का हाथ रखते हुए कहा।
अक्षय मुंबई में एक बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी में काम करता था। उसके दिन की शुरुआत मीटिंग्स और प्रोजेक्ट्स से होती और रातें लैपटॉप के सामने ख़त्म होतीं। रिश्तों की उलझन से दूर रहना उसने अपनी प्राथमिकता बना ली थी। लेकिन माँ-बाप की इच्छाएँ उसकी सोच पर कभी-कभी भारी पड़ जाती थीं।
उधर, सुमित्रा देवी को अक्षय की शादी की चिंता खाए जा रही थी। उन्होंने ताई जी के बताए परिवार के बारे में और जानकारी जुटाई। लड़की का नाम रिद्धिमा था, और वह एक शिक्षिका थी। सुमित्रा देवी ने अक्षय से दोबारा बात करने का फैसला किया।
“अक्षय, तुम्हें रिद्धिमा से मिलना ही होगा। मैंने उससे और उसके परिवार से बात की है। लड़की समझदार और सलीकेदार है। मुझे पूरा भरोसा है कि तुम्हें वह पसंद आएगी।” सुमित्रा देवी ने फ़ोन पर कहा।
अक्षय ने पहले तो टालने की कोशिश की, लेकिन माँ की जिद के आगे वह हार गया। “ठीक है माँ, इस हफ्ते मैं ऑफिस से छुट्टी लेकर आ जाऊँगा। पर मैं किसी दबाव में आकर शादी नहीं करूँगा।”
अक्षय और रिद्धिमा की मुलाकात एक कैफे में रखी गई। अक्षय के मन में पहले से ही एक नकारात्मक धारणा थी। लेकिन रिद्धिमा से मिलने के बाद उसकी सोच बदलने लगी। रिद्धिमा आत्मविश्वास से भरी हुई, स्पष्ट विचारों वाली लड़की थी। वह भी इस शादी के लिए उतनी ही अनिच्छुक थी जितना कि अक्षय।
“मुझे पता है कि ये मुलाकात हमारे माता-पिता की योजना का हिस्सा है,” रिद्धिमा ने मुस्कुराते हुए कहा। “लेकिन मैं चाहती हूँ कि हम दोनों खुद इस बारे में निर्णय लें, बिना किसी दबाव के।”
अक्षय ने राहत की साँस ली। “आप बिल्कुल सही कह रही हैं। मैं भी किसी दबाव में आकर कोई फैसला नहीं करना चाहता।”
उस मुलाकात के बाद अक्षय और रिद्धिमा ने एक-दूसरे को बेहतर तरीके से जानने का फैसला किया। वे नियमित रूप से मिलते और बात करते। रिद्धिमा की सादगी और विचारशीलता ने अक्षय को प्रभावित किया। उधर, अक्षय की ईमानदारी और परिपक्वता रिद्धिमा को पसंद आई।
दोनों ने धीरे-धीरे महसूस किया कि उनके विचार, लक्ष्य और जीवन के प्रति दृष्टिकोण काफी हद तक मिलते-जुलते हैं। अक्षय ने माँ से कहा, “माँ, मुझे लगता है कि आप सही कह रही थीं। रिद्धिमा वाकई में एक बेहतरीन इंसान हैं। मैं शादी के लिए तैयार हूँ।”
जब यह खबर सुमित्रा देवी को मिली, तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उन्होंने तुरंत रिद्धिमा के परिवार से बात की और शादी की तारीख तय कर दी। शादी सादगी से हुई, लेकिन उसमें दोनों परिवारों की खुशी झलक रही थी।
शादी के बाद अक्षय और रिद्धिमा का जीवन सहजता से चलने लगा। दोनों ने एक-दूसरे को समझा और अपनी-अपनी जिम्मेदारियों को निभाया। रिद्धिमा ने अक्षय के व्यस्त जीवन में एक संतुलन लाया, और अक्षय ने रिद्धिमा के सपनों को उड़ान दी।
यह कहानी सिर्फ एक शादी की नहीं, बल्कि रिश्तों की गहराई और आपसी समझ की भी थी। सुमित्रा देवी और अशोक जी ने भी सीखा कि बच्चों को समय और स्वतंत्रता देने से रिश्ते और मजबूत होते हैं।
रिश्तों को जबरदस्ती थोपने की बजाय उन्हें समय और स्पेस देना चाहिए। जो रिश्ता समझ और आपसी सहमति से बनता है, वही टिकाऊ होता है। अक्षय और रिद्धिमा की कहानी इस बात का उदाहरण है कि रिश्ते सिर्फ जिम्मेदारी नहीं, बल्कि साथ चलने का एक खूबसूरत सफर होते हैं।