दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है, जिससे आम जनता के स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ा है। बुधवार को दिल्ली के कई हिस्सों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 418 तक पहुंच गया, जो इस मौसम में अब तक का सबसे ज्यादा है। इसी कारण प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार से 5वीं तक के सभी सरकारी और निजी स्कूलों को तत्काल बंद करने की मांग की है। सचदेवा का कहना है कि इस गंभीर स्थिति में बच्चों को वायु प्रदूषण के हानिकारक प्रभावों से बचाना अत्यावश्यक है।

प्रदूषण का स्तर और स्थिति
बुधवार को दिल्ली में कई जगहों पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो गई थी कि विजिबिलिटी शून्य पर पहुंच गई। भारतीय जनता पार्टी के नेताओं का कहना है कि दिल्ली सरकार प्रदूषण नियंत्रण में असफल रही है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, दिल्ली के 36 निगरानी स्टेशनों में से 30 ने वायु गुणवत्ता को ‘गंभीर’ श्रेणी में दर्ज किया है। भाजपा नेताओं का दावा है कि PM 2.5 और PM 10 का स्तर गंभीर श्रेणी से भी ऊपर जा चुका है, जिससे दिल्ली की हवा एक ‘गैस चेंबर’ में तब्दील हो गई है।
बच्चों और बुजुर्गों पर बुरा असर
इस बढ़ते प्रदूषण का सबसे ज्यादा असर बच्चों और बुजुर्गों पर देखा जा रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, बच्चे और बुजुर्ग, वायु प्रदूषण के प्रभावों के प्रति ज्यादा संवेदनशील होते हैं। इस कारण बच्चों के लिए स्कूल जाना बेहद कठिन और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। सचदेवा ने कहा कि सरकार की ओर से अभी तक प्रदूषण से राहत के लिए कोई विशेष दवाइयाँ या उपचार की व्यवस्था नहीं की गई है। उन्होंने लोगों की सेहत को ध्यान में रखते हुए दिल्ली सरकार से बच्चों को सुरक्षित वातावरण देने की अपील की है।
वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) क्या होता है?
AQI यानी एयर क्वालिटी इंडेक्स, वायु की गुणवत्ता को मापने का पैमाना है। AQI को 0 से 500 तक के पैमाने पर मापा जाता है, जहाँ 0-50 के बीच AQI को ‘अच्छा’ माना जाता है और 401 से ऊपर के AQI को ‘गंभीर’ श्रेणी में रखा जाता है। दिल्ली में मंगलवार को 24 घंटे की औसत AQI 334 रही और बुधवार सुबह यह 366 तक पहुंच गई। वायु गुणवत्ता के ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंचने का मतलब है कि दिल्लीवासियों को सांस से जुड़ी गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
IMD का अपडेट
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने जानकारी दी है कि बुधवार सुबह दिल्ली का न्यूनतम तापमान 17 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया, जो औसत से थोड़ा नीचे है। वहीं, हवा की गति धीमी होने के कारण प्रदूषक कण वातावरण में अधिक समय तक रुके रहते हैं, जिससे प्रदूषण का स्तर और बढ़ जाता है। इस परिस्थिति में आने वाले दिनों में भी हवा की गुणवत्ता में सुधार होने की संभावना कम है।
बच्चों और खुद को सुरक्षित कैसे रखें?
प्रदूषण के इस स्तर पर सांस संबंधी समस्याएं बढ़ सकती हैं। इस स्थिति में प्रदूषण से बचाव के लिए निम्नलिखित उपाय करना जरूरी है:
- मास्क का उपयोग: जब भी बाहर जाएं, N95 या अन्य उच्च गुणवत्ता वाला मास्क पहनें जो प्रदूषक कणों को सांस में जाने से रोके।
- घर पर ही रहें: बच्चों, बुजुर्गों और अस्थमा या अन्य सांस की समस्याओं से जूझ रहे लोगों को जितना हो सके घर के अंदर रहने की सलाह दी जाती है।
- वायु शुद्धिकरण: घर के अंदर एयर प्यूरीफायर का उपयोग करें, जो घर की हवा को शुद्ध रखने में मदद कर सकता है।
लंग्स की क्षमता बढ़ाने वाली एक्सरसाइज
प्रदूषण से प्रभावित होते समय शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाना भी जरूरी है। इसके लिए निम्नलिखित एक्सरसाइज करें:
- गहरी सांस लें और छोड़ें: धीरे-धीरे गहरी सांस लें और छोड़ें। यह फेफड़ों को अधिक ऑक्सीजन प्रदान करने में सहायक हो सकता है।
- होंठों को गोल करना: होंठों को गोल बनाकर धीरे-धीरे सांस लें और धीरे-धीरे छोड़ें। इसे 5-10 मिनट तक दोहराएं।
- प्राणायाम: प्राणायाम भी एक अच्छा तरीका है, जो फेफड़ों की कार्यक्षमता को बेहतर बनाता है। हालांकि, यह ध्यान रखें कि कोई भी व्यायाम डॉक्टर की सलाह के बाद ही करें।
केंद्र और राज्य सरकार की भूमिका
दिल्ली में प्रदूषण के इस खतरनाक स्तर तक पहुंचने के पीछे कई कारण हैं, जैसे वाहनों से निकलने वाला धुआं, पराली जलाना और निर्माण कार्य। भाजपा का आरोप है कि दिल्ली सरकार प्रदूषण को रोकने में विफल रही है। भाजपा नेता सचदेवा ने AAP सरकार पर आरोप लगाया है कि उनके प्रदूषण-रोधी योजनाओं में कमी के कारण दिल्ली के नागरिकों को ‘गैस चेंबर’ जैसी स्थिति का सामना करना पड़ रहा है।
वहीं, दिल्ली सरकार का कहना है कि वह इस स्थिति से निपटने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। सरकार ने लोगों से वाहनों का कम उपयोग करने और सार्वजनिक परिवहन को प्राथमिकता देने की अपील की है। इसके अलावा, सरकार पराली जलाने वाले राज्यों से भी अपील कर रही है कि वे किसानों को इसके विकल्प उपलब्ध करवाएं ताकि पराली जलाने की घटनाओं में कमी आए।
स्कूलों को बंद करने का क्या होगा असर?
दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा द्वारा पांचवीं कक्षा तक के स्कूलों को बंद करने की मांग के बाद, बच्चों की सुरक्षा को लेकर चर्चा तेज हो गई है। बच्चों के स्कूल बंद होने से उनकी पढ़ाई पर तो असर पड़ेगा, लेकिन वर्तमान स्वास्थ्य संकट को देखते हुए यह एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस निर्णय में जल्दबाजी न करके, सरकार को ध्यानपूर्वक विचार करना चाहिए और अन्य समाधान खोजने की कोशिश करनी चाहिए ताकि बच्चों की पढ़ाई और स्वास्थ्य दोनों को सुरक्षित रखा जा सके।
निष्कर्ष
दिल्ली में बढ़ता प्रदूषण सभी नागरिकों के स्वास्थ्य के लिए चिंता का विषय बन गया है। इस गंभीर स्थिति को देखते हुए सरकार और आम जनता दोनों को ही आवश्यक कदम उठाने चाहिए। घर पर रहें, मास्क पहनें, और बच्चों व बुजुर्गों का विशेष ध्यान रखें। साथ ही, वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए दिल्ली सरकार और अन्य संबंधित एजेंसियों को भी अपने प्रयास तेज करने होंगे ताकि राजधानी के लोग एक सुरक्षित और स्वस्थ वातावरण में रह सकें।