पढ़िए एक पिता और बेटी की भावनात्मक विदाई की कहानी, जो उनके बीच गहरे संबंध और प्यार को दर्शाती है, एक ऐसे पल में जो उनके जीवन को बदल देता है। अनुभव कीजिए उस पिता की दिल से जुड़ी भावनाओं को, जब वह अपनी बेटी को अलविदा कहता है।

उसके पापा उसे छोड़ने आये थे। एक छोटी सी लेकिन भावुक सीनरी थी – एक पिता अपनी बेटी को नई शुरुआत के लिए विदा दे रहा था। वह लड़की पूरी तरह से तैयार थी। उसके चेहरे पर कुछ तनाव था, लेकिन साथ ही आत्मविश्वास भी था। शायद वह किसी नए सफर पर जा रही थी, एक ऐसी जगह जहां उसे अपनी पहचान बनाने का मौका मिलेगा।
अपनी सीट पर बैठ जाने के बाद उसने अपने पिता से कहा, “डैडी आप जाइये अब, ट्रेन तो 15 मिनट खड़ी रहेगी यहाँ 15 मिनट का स्टॉपेज है।” उसकी आवाज़ में एक तरह का आदेश था, जैसे वह अपनी जिम्मेदारी निभा रही हो, और पिता को अपनी जगह पर छोड़ देना चाहती थी।
पिता ने उसे एक लंबी नज़र से देखा और फिर धीरे से कहा, “कोई बात नहीं बेटा, 15 मिनट और तेरे साथ बिता लूँगा, अब तो तुम्हारे क्लासेज शुरू हो रहे हैं, काफी दिन बाद आओगी तुम।” पिता की आवाज में एक हल्की सी उदासी थी, जिसे वह खुद भी छुपा नहीं पा रहे थे। बेटी के जाने का दुख उनके दिल में था, लेकिन उन्हें यह भी पता था कि बेटी को अपनी ज़िंदगी की ओर बढ़ने का पूरा हक है।
लड़की शायद अध्ययन कर रही होगी, क्योंकि उसकी उम्र और वेशभूषा से यह स्पष्ट था कि वह विवाहित नहीं थी। उसकी आँखों में भविष्य के सपने थे, और उसके चेहरे पर एक नई दुनिया में कदम रखने की उम्मीद भी। उसने कुछ देर तक खिड़की से बाहर देखा और फिर ट्रेन का दरवाज़ा बंद कर दिया।
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ट्रेन चलने लगी तो उसने खिड़की से बाहर प्लेटफार्म पर खड़े पिता को हाथ हिलाकर बाय कहा। यह एक सामान्य सी विदाई थी, लेकिन जैसे ही ट्रेन ने गति पकड़नी शुरू की, एक असामान्य दृश्य सामने आया।
“बाय डैडी…. अरे ये क्या हुआ आपको! अरे नहीं प्लीज,” लड़की के शब्दों में अचानक घबराहट थी। उसके पापा की आँखों में आंसू थे। उन्होंने अपनी आँखों को झपकते हुए रुमाल से आंसू पोंछने की कोशिश की। यह पल उसकी पूरी जिंदगी का हिस्सा बन चुका था – उस पल में, उसके पिता को यह अहसास हो रहा था कि उनकी बच्ची अब एक नई दुनिया में कदम रखने जा रही थी।
ट्रेन अपनी रफ्तार पकड़ती जा रही थी और पिता रुमाल से आंसू पोंछते हुए स्टेशन से बाहर जा रहे थे। लड़की की आँखों में पिता के लिए एक ममता थी, लेकिन उसका चेहरा शांत था, जैसे उसने खुद को इस पल के लिए तैयार कर लिया था।
लड़की ने फोन लगाया, “हेलो मम्मी.. ये क्या है यार! जैसे ही ट्रेन स्टार्ट हुई, डैडी तो रोने लग गये.. अब मैं नेक्स्ट टाइम कभी भी उनको सी-ऑफ के लिए नहीं कहूँगी, भले अकेली आ जाऊँगी ऑटो से.. अच्छा बाय.. पहुंचते ही कॉल करुँगी, डैडी का ख्याल रखना ओके।”
फोन पर मम्मी से बात करते वक्त लड़की के शब्दों में हल्की सी बेफिक्री थी, जैसे वह अपने अंदर के भावनाओं को किसी और तरीके से संभालने की कोशिश कर रही हो। वह नहीं चाहती थी कि मम्मी को यह पता चले कि उसके दिल में कहीं न कहीं पिता के लिए दर्द था।
मैं कुछ देर तक लड़की को सिर्फ इस आशा से देखता रहा कि पारदर्शी चश्मे से झांकती उन आँखों से मुझे अश्रुधारा दिख जाए, लेकिन मुझे निराशा ही हाथ लगी। उन आँखों में नमी भी नहीं थी। ऐसा लग रहा था कि उसने पूरी स्थिति को नियंत्रण में ले लिया था। शायद वह यह समझ चुकी थी कि जीवन में बदलाव आना जरूरी है, और यह एक नई शुरुआत थी।
कुछ देर बाद लड़की ने फिर किसी को फोन लगाया – “हेलो जानू, कैसे हो… मैं ट्रेन में बैठ गई हूँ..हाँ अभी चली है यहाँ से, कल अर्ली-मोर्निंग पहुँच जाउंगी.. लेने आ जाना.” इस बार उसकी आवाज़ में हल्का सा प्यार था, जैसे वह किसी अपने से बात कर रही हो। उसने अपनी आँखों में अपने पिता को याद किया, लेकिन साथ ही अपने प्रियजन से भी बात कर ली। यह उसका तरीका था अपनी भावनाओं को एक नया रूप देने का, एक नया रंग देने का।
यह एक सामान्य सा दिन था, एक लड़की अपने भविष्य के लिए ट्रेन में बैठी थी और उसके पिता ने उसे विदाई दी थी। लेकिन इन छोटे-छोटे पलों में एक बड़ी सच्चाई छिपी हुई थी – यह जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा था, जिसमें हमें अपने परिजनों से विदा लेनी होती है और खुद को नए रास्तों पर चलने के लिए तैयार करना होता है।
पिता का रोना एक दुख भरा दृश्य था, लेकिन वही पिता एक दिन अपनी बेटी की सफलता पर गर्व करेंगे। वे शायद इस समय को हमेशा के लिए याद करेंगे, लेकिन वे यह भी जानेंगे कि यह पल उनके और उनकी बेटी के लिए एक मील का पत्थर था।
लड़की का आत्मविश्वास और बिना आंसुओं के बाहर देखना शायद इस बात का प्रतीक था कि उसने अपने भविष्य को गले लगा लिया था। वह जानती थी कि उसके सामने ढेर सारी चुनौतियाँ होंगी, लेकिन वह भी जानती थी कि उसके साथ उसका परिवार और उनके आशीर्वाद हैं।
यह कहानी एक साधारण लेकिन प्रेरणादायक विदाई की है, जिसमें हमें अपने पलों को ठीक से जीने का संदेश मिलता है। जीवन में कभी-कभी हमें अपने प्रियजनों से अलग होना पड़ता है, लेकिन वह प्यार और ममता हमेशा हमारे साथ रहती है। और यही हमें अपने रास्ते पर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है।