केंद्र सरकार और किसानों के बीच एक बार फिर तनाव बढ़ता नजर आ रहा है। ‘दिल्ली हमसे दूर नहीं…’ के नारे के साथ किसानों ने सरकार को अपनी मांगों पर ध्यान देने के लिए एक हफ्ते का समय दिया है। भाकियू (भारतीय किसान परिषद) के नेता सुखबीर खलीफा ने स्पष्ट किया है कि अगर मांगें पूरी नहीं हुईं, तो किसान संसद भवन तक मार्च करेंगे।

किसानों की प्रमुख मांगें क्या हैं?
किसानों ने अपनी मांगों की एक सूची सरकार को सौंपी है, जिसमें प्रमुख रूप से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर कानून बनाने की मांग की गई है। इसके अलावा, अधिग्रहण की गई जमीन के लिए उचित मुआवजा, रोजगार के अवसर, और जमीन रहित किसानों के लिए पुनर्वास योजनाएं भी शामिल हैं। किसानों का आरोप है कि सरकार उनकी समस्याओं को अनदेखा कर रही है, जिससे वे सड़कों पर उतरने को मजबूर हुए हैं।
प्रदर्शन की शुरुआत और अब तक की स्थिति
28 नवंबर को, किसानों ने ग्रेटर नोएडा से अपने आंदोलन की शुरुआत की। पहले वे यमुना अथॉरिटी और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी में प्रदर्शन कर चुके हैं। इसके बाद, 1 दिसंबर को नोएडा लिंक रोड पर स्थित दलीत प्रेरणा स्थल (अंबेडकर पार्क) में प्रदर्शन कर रहे किसानों ने दिल्ली की ओर कूच करने का ऐलान किया।
पुलिस ने दिल्ली-नोएडा सीमा पर कई जगह बैरिकेड्स लगाकर उनकी प्रगति को रोकने की कोशिश की। इसके बावजूद, किसानों ने पुलिस बैरिकेड्स को तोड़कर आगे बढ़ने का प्रयास किया। इसके चलते दिल्ली-एनसीआर में कई जगहों पर भारी ट्रैफिक जाम की स्थिति बन गई।
दिल्ली की ओर कूच: क्या हैं किसानों की रणनीति?
किसानों ने रविवार को घोषणा की कि 2 दिसंबर को वे नोएडा के महामाया फ्लाईओवर से दिल्ली की ओर पैदल और ट्रैक्टरों के जरिए मार्च करेंगे। इस मार्च में उत्तर प्रदेश के 20 जिलों से किसान शामिल होंगे, जिनमें गौतम बुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और आगरा प्रमुख हैं।
पुलिस और प्रशासन की तैयारियां
दिल्ली-नोएडा सीमा पर पुलिस ने भारी संख्या में बल तैनात कर दिया है। नोएडा पुलिस आयुक्त शिवहरि मीणा ने बताया कि दिल्ली-एनसीआर में सुरक्षा के मद्देनजर कई चेकपोस्ट बनाए गए हैं।
- रूट डायवर्जन: ट्रैफिक को चिल्ला, डीएनडी, और कालिंदी कुंज बॉर्डर से डायवर्ट किया गया है।
- वाहन प्रतिबंध: यमुना एक्सप्रेसवे से दिल्ली जाने वाले माल वाहनों की आवाजाही पर रोक लगाई गई है।
- सुरक्षा बलों की तैनाती: चिल्ला और डीएनडी बॉर्डर पर भारी पुलिस बल के साथ-साथ आरएएफ (रैपिड एक्शन फोर्स) भी तैनात की गई है।
राष्ट्रीय स्तर पर किसान आंदोलन
यह प्रदर्शन केवल उत्तर प्रदेश और दिल्ली तक सीमित नहीं है। 6 दिसंबर को संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) और अन्य किसान संगठनों ने दिल्ली की ओर कूच करने का ऐलान किया है। इसी दिन तमिलनाडु, केरल, और उत्तराखंड में किसान प्रतीकात्मक प्रदर्शन करेंगे।
पंजाब-हरियाणा के शंभू बॉर्डर पर भी किसान डेरा डाले हुए हैं। 13 फरवरी से वहां रुके किसान भी 6 दिसंबर को दिल्ली की ओर रवाना होंगे। किसान नेताओं का कहना है कि यह आंदोलन केवल उनकी मांगों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे देश के किसानों की आवाज बन चुका है।
किसानों की नाराजगी और सरकार की चुनौती
किसानों का कहना है कि तीन कृषि कानूनों की वापसी के बाद भी उनकी कई प्रमुख समस्याएं ज्यों की त्यों बनी हुई हैं। सरकार ने 2021 में एमएसपी पर कानून बनाने का वादा किया था, लेकिन अब तक इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
भाकियू नेता सुखबीर खलीफा ने कहा, “सरकार ने हमें हर बार आश्वासन दिया है, लेकिन आज तक कुछ नहीं हुआ। अगर हमारी मांगें पूरी नहीं होतीं, तो हम संसद तक मार्च करेंगे। यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा, जब तक हमें न्याय नहीं मिलता।”
प्रदर्शन से जनता को हुई परेशानियां
- ट्रैफिक जाम: दिल्ली-एनसीआर में भारी ट्रैफिक जाम से आम जनता को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे और चिल्ला बॉर्डर पर गाड़ियों की लंबी कतारें देखी गईं।
- आर्थिक गतिविधियों पर असर: माल वाहनों की आवाजाही बाधित होने से व्यापार और उद्योग पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
- यातायात सुरक्षा: रूट डायवर्जन और भारी सुरक्षा के चलते दैनिक यात्रियों को परेशानी हो रही है।
निष्कर्ष
किसानों का यह आंदोलन न केवल सरकार के लिए चुनौती है, बल्कि दिल्ली-एनसीआर के लोगों के लिए भी मुश्किलें खड़ी कर रहा है। सरकार और किसानों के बीच संवाद की कमी इस समस्या को और जटिल बना रही है। अगर सरकार और किसान नेता आपसी बातचीत से समाधान नहीं निकालते, तो यह आंदोलन आने वाले दिनों में और बड़ा रूप ले सकता है। किसानों का कहना है कि यह सिर्फ शुरुआत है, और अगर उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।