भारतीय शेयर बाजार शुक्रवार को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) के फैसले के बाद हल्की गिरावट के साथ बंद हुआ। सेंसेक्स में 56.74 अंक की गिरावट आई, जो 0.07% कम होकर 81,709.12 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 30.60 अंक गिरकर 0.12% कम होकर 24,677.80 पर बंद हुआ। इस दौरान बैंकिंग और आईटी सेक्टर में बिकवाली का रुख देखा गया, वहीं ऑटो और मेटल सेक्टर में खरीदारी जारी रही।

रेपो दर में स्थिरता और सीआरआर में कटौती
RBI ने अपनी मौद्रिक नीति में बदलाव करते हुए रेपो दर को 6.5% पर अपरिवर्तित रखा। इसके साथ ही, सीआरआर (कैश रिजर्व रेशियो) में 50 आधार अंकों की कटौती करते हुए इसे 4% कर दिया। इस निर्णय से बैंकिंग प्रणाली में 1.16 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त तरलता आई, जो आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और महंगाई को नियंत्रित करने की दिशा में एक सटीक कदम माना जा रहा है। RBI ने इस निर्णय के माध्यम से यह संकेत दिया कि वह महंगाई पर नियंत्रण रखने के साथ-साथ आर्थिक विकास को भी बढ़ावा देना चाहता है।
बाजार का प्रदर्शन और निवेशकों के लिए संकेत
आरबीआई के इस फैसले ने भारतीय शेयर बाजार में स्थिरता बनाए रखी। निवेशकों ने मेटल और ऑटो सेक्टर में ज्यादा निवेश किया, जबकि बैंकिंग और आईटी सेक्टर में थोड़ी बिकवाली देखी गई। इस दौरान विदेशी निवेशकों (FII) के बढ़ते निवेश ने भी बाजार को सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ाया।
निफ्टी बैंक इंडेक्स 94.05 अंक गिरकर 53,509.50 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स में बढ़त दर्ज की गई। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स में 263.05 अंक (0.45%) की बढ़त आई, वहीं निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स में 158.55 अंक (0.82%) की बढ़त देखने को मिली। यह संकेत देता है कि मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में निवेशकों की रुचि बनी हुई है।
FII का बढ़ता निवेश और बाजार का रुझान
DII (डोमेस्टिक इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स) के मुकाबले FII (फॉरेन इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स) का निवेश बढ़ा है, जो बाजार के लिए एक सकारात्मक संकेत है। विदेशी निवेशकों ने इस सप्ताह शुद्ध नकदी प्रवाह के रूप में लगभग 14,000 करोड़ रुपये का निवेश किया। इसके कारण बाजार में स्थिरता बनी रही और मिडकैप-स्मॉलकैप शेयरों ने बेहतर प्रदर्शन किया।
टॉप गेनर्स और लूजर्स
सेंसेक्स में टॉप गेनर्स में टाटा मोटर्स, एक्सिस बैंक, मारुति, एलएंडटी और आईटीसी शामिल रहे, जिनमें अच्छी खासी बढ़त देखने को मिली। वहीं, भारती एयरटेल, एशियन पेंट्स, इंडसइंड बैंक, बजाज फिनसर्व और इंफोसिस को लूजर्स में जगह मिली। इन कंपनियों के शेयरों में बिकवाली देखने को मिली।
RBI की नीति और विशेषज्ञों की राय
RBI के इस फैसले को लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि यह निर्णय वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच महंगाई को काबू में रखने और विकास को बढ़ावा देने के लिए एक संतुलित कदम है। वॉटरफील्ड एडवाइजर्स के विपुल भोवर का कहना है कि RBI का यह कदम उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) पर काबू पाने और आर्थिक वृद्धि को बनाए रखने की दिशा में सही कदम है।
वहीं, Green Portfolio के संस्थापक और फंड मैनेजर दिवम शर्मा का मानना है कि CRR में कटौती से बैंकों को तरलता मिलेगी और इससे बैंकिंग प्रणाली को सकारात्मक असर पड़ेगा। उनका यह भी कहना है कि बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र में इस कदम का सकारात्मक असर देखने को मिलेगा।
Wright Research के संस्थापक और फंड मैनेजर सोनम श्रीवास्तव ने इस फैसले को बाजार के लिए एक आत्मविश्वास का संकेत बताया है। उनका कहना है कि RBI की यह नीति बाजार के लिए एक सकारात्मक रुख है, और यह सुनिश्चित करती है कि भारत का वित्तीय सिस्टम स्थिर रहेगा।
CRR में कटौती का प्रभाव
CRR (कैश रिजर्व रेशियो) में 50 आधार अंकों की कटौती से भारतीय बैंकिंग सिस्टम को तरलता मिलेगी, जिससे बैंकों के पास ज्यादा फंड्स होंगे। इससे बैंकों को अधिक लोन देने की क्षमता मिलेगी, जो आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करेगा। इसके साथ ही, यह कदम खासकर इन्फ्रास्ट्रक्चर और हाउसिंग जैसे सेक्टरों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।
बाजार की दिशा और भविष्य
विशेषज्ञों का मानना है कि RBI की इस नीति के बाद भारतीय बाजार में स्थिरता बनी रहेगी, और निवेशकों को मेटल और ऑटो सेक्टर में ज्यादा लाभ देखने को मिल सकता है। हालांकि, वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों को देखते हुए बाजार में सतर्कता बनाए रखना जरूरी है। इस सप्ताह निफ्टी में 3.2%, मिडकैप में 3.5% और स्मॉलकैप में 3.3% की बढ़त रही। ऐसे में आने वाले समय में निवेशकों को सतर्क रहते हुए निवेश करने की सलाह दी जा रही है।
निष्कर्ष
RBI के फैसले के बाद भारतीय शेयर बाजार में स्थिरता बनी रही, और निवेशकों को मेटल और ऑटो सेक्टर में अच्छे अवसर मिले। हालांकि, बैंकिंग और आईटी सेक्टर में थोड़ी बिकवाली देखी गई। CRR में कटौती से बैंकों को तरलता मिलेगी, और बाजार में स्थिरता बनी रहेगी। निवेशकों को सलाह दी जा रही है कि वे सतर्क रहते हुए अपने निवेश निर्णय लें, खासकर वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं को ध्यान में रखते हुए। RBI का यह कदम भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक संतुलित कदम साबित हो सकता है, जो महंगाई को काबू में रखते हुए आर्थिक विकास को भी बढ़ावा देगा।