मालदीव की रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने में भारत का समर्थन
राजनाथ सिंह ने मालदीव की रक्षा तैयारियों को बढ़ाने के लिए भारत की पूर्ण समर्थन की बात दोहराई। उन्होंने कहा कि भारत मालदीव को उनकी राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप रक्षा उपकरण और संसाधन उपलब्ध कराने के लिए तत्पर है। यह पहल भारत की ‘पड़ोसी पहले’ नीति और एसएजीएआर (सभी क्षेत्र में सुरक्षा और विकास) के दृष्टिकोण का हिस्सा है।
क्षमता निर्माण में सहयोग
रक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि भारत मालदीव की राष्ट्रीय रक्षा बलों की क्षमता निर्माण में परियोजनाओं, उपकरणों और प्रशिक्षण के माध्यम से सहयोग करता रहेगा। उन्होंने भरोसा दिलाया कि भारत हमेशा मालदीव की विकास आवश्यकताओं और उसके लोगों की भलाई के लिए साथ खड़ा रहेगा।
मालदीव के मंत्री ने भारत की भूमिका की सराहना की
मालदीव के रक्षा मंत्री मोहम्मद ग़स्सान माउमून ने भारत की भूमिका की सराहना करते हुए इसे मालदीव का ‘प्रथम प्रतिक्रियाकर्ता’ कहा। उन्होंने नई दिल्ली को आधुनिक अवसंरचना क्षमताओं और रक्षा एवं सुरक्षा कर्मियों के प्रशिक्षण में मदद के लिए धन्यवाद दिया।
मालदीव की नई सरकार के अनुरोध पर, भारत ने मालदीव को रक्षा उपकरण और स्टोर सौंपे। यह कदम मालदीव की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने के उद्देश्य से उठाया गया है, जिससे द्वीप राष्ट्र की सुरक्षा में और सुधार हो सके।
मालदीव के विदेश मंत्री की भारत यात्रा
मालदीव के रक्षा मंत्री की इस यात्रा से पहले, मालदीव के विदेश मंत्री अब्दुल्ला खलील ने भी भारत का दौरा किया था। उन्होंने भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ व्यापक चर्चा की थी। इस बैठक में जयशंकर ने मालदीव को भारत की ‘पड़ोसी पहले’ नीति का एक “बहुत ठोस” उदाहरण बताया था।
भारत-मालदीव संबंधों में तनाव
हालांकि, भारत-मालदीव संबंधों में एक दौर ऐसा भी आया जब मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने पदभार संभालने के कुछ ही घंटों बाद मालदीव से भारतीय सैन्य कर्मियों की वापसी की मांग की थी। मुइज्जू, जो चीन समर्थक माने जाते हैं, ने नवंबर 2023 में यह मांग की थी, जिससे दोनों देशों के बीच संबंधों में तनाव पैदा हो गया था।
नागरिकों की तैनाती से संबंधों में सुधार
भारतीय सैन्य कर्मियों की जगह नागरिकों को तैनात करने के बाद, दोनों देशों के बीच संबंधों में धीरे-धीरे सुधार हुआ। मुइज्जू ने अक्टूबर में दिल्ली की अपनी यात्रा के दौरान भारत के साथ द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने की कसम खाई, जिससे दोनों देशों के बीच आपसी विश्वास को फिर से स्थापित करने में मदद मिली।
मालदीव की विकास में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका
मालदीव की ओर से यह संकेत भी दिया गया कि वह अपने विकास और सुरक्षा आवश्यकताओं में भारत की मदद को महत्वपूर्ण मानता है। मुइज्जू ने मालदीव में अवसंरचना परियोजनाओं और सुरक्षा बलों के प्रशिक्षण में भारत की भूमिका की सराहना की और द्वीप राष्ट्र की समृद्धि के लिए भारतीय समर्थन की आवश्यकता को स्वीकार किया।
भारत-मालदीव संबंधों की नई दिशा
राजनाथ सिंह की यह यात्रा भारत और मालदीव के बीच संबंधों को एक नई दिशा देने की कोशिश का हिस्सा थी। यह बैठक इस बात का संकेत है कि दोनों देश अपने-अपने क्षेत्रीय और वैश्विक हितों को ध्यान में रखते हुए आपसी सहयोग को और गहरा करने के लिए तैयार हैं। दोनों देशों के बीच मजबूत संबंध न केवल क्षेत्रीय स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि यह दोनों देशों की आर्थिक और सुरक्षा संबंधों को भी नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा।