रेलवे सफर की कहानी न केवल यात्रा के रोमांच को दिखाती है, बल्कि जिंदगी की एक गहरी सीख भी देती है। यह कहानी एक रेलवे सफर की है, जहां एक अनजान सहयात्री ने जिंदगी को नई दिशा दी। पढ़ें पूरी कहानी।

घर से निकलते वक्त सुबह का उजाला हो चुका था। मैंने बैग में कुछ कपड़े और किताबें रखीं और जल्दी-जल्दी रेलवे स्टेशन की ओर बढ़ा। स्टेशन पर लोगों की चहल-पहल थी। कोई अपनी मंजिल की ओर भाग रहा था, तो कोई प्लेटफॉर्म पर चाय की चुस्की ले रहा था। अनाउंसमेंट हुआ, “गाड़ी नंबर 12952, मुंबई जाने वाली ट्रेन प्लेटफॉर्म नंबर तीन पर आ रही है।”
मैंने घड़ी देखी, अभी ट्रेन आने में 20 मिनट का वक्त था। पास की बेंच पर बैठकर किताब खोल ली, लेकिन स्टेशन की गहमा-गहमी ने पढ़ने का मन ही नहीं होने दिया। किसी का सामान गिरा था, जिसे वह हड़बड़ी में उठा रहा था। बच्चों की किलकारियां, कुलियों की आवाजें और गाड़ी के आने का इंतजार—सभी कुछ जीवंत था।
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ट्रेन ने स्टेशन पर प्रवेश किया। भीड़ का समंदर एक बार फिर उमड़ पड़ा। जैसे-तैसे मैंने स्लीपर बोगी में कदम रखा। सीट ढूंढ़कर बैठा ही था कि ट्रेन चल पड़ी। खिड़की से बाहर देखा, लोग ट्रेन में चढ़ने के लिए भाग रहे थे। कुछ लोग चढ़ने में सफल हो गए, तो कुछ ट्रेन के रुकने की प्रार्थना करते रह गए।
दो मिनट बाद, मैंने महसूस किया कि मेरे सामने एक लड़की आकर खड़ी हो गई। उसने हल्की आवाज में कहा, “क्या मैं यहां बैठ सकती हूं?”
“हां, हां, बैठ जाइए। आपकी सीट कहां है?” मैंने पूछा।
उसने झिझकते हुए जवाब दिया, “मेरे पास जनरल टिकट है।”
“फिर तो टीटी आएगा, आप टिकट बनवा लेना। शायद कोई सीट मिल जाए,” मैंने सुझाव दिया।
वह हल्का सा मुस्कुराई और बोली, “ठीक है। वैसे आपको कहां जाना है?”
“मुझे मुंबई जाना है। और आप?”
“मैं भी मुंबई जा रही हूं।”
हम दोनों कुछ देर खामोश रहे। खिड़की के बाहर दृश्य बदल रहे थे। ट्रेन की रफ्तार के साथ खेत, नदी, और पेड़ पीछे छूटते जा रहे थे। थोड़ी देर बाद, मैंने बातचीत का सिलसिला फिर शुरू किया।
“आप मुंबई क्यों जा रही हैं?”
“वहां एक खास दोस्त से मिलने,” उसने मुस्कुराते हुए कहा।
“ओह, दोस्त?” मैंने हंसते हुए पूछा।
“हां, दोस्त।” उसकी मुस्कान अब और गहरी हो गई थी।
फिर उसने हल्के अंदाज में पूछा, “आप मुंबई क्यों जा रहे हैं?”
“काम से। और थोड़ा घूमने का भी मन है,” मैंने कहा।
हम दोनों के बीच यह हल्की-फुल्की बातचीत शुरू हो चुकी थी। ट्रेन की यात्रा अब पहले से कम उबाऊ लग रही थी। मैंने सोचा, शायद इस सफर में कुछ ऐसा होगा, जो मुझे जिंदगी भर याद रहेगा।