ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते तनाव के बीच, ईरान ने अपने तेल ठिकानों की सुरक्षा को लेकर चेतावनी दी है। जानिए इजरायल की रणनीति, अमेरिका की भूमिका और हालिया लेबनान हमलों के प्रभाव। क्या यह संघर्ष वैश्विक स्थिरता को खतरे में डाल सकता है?

हाल ही में, ईरान और इजरायल के बीच चल रही तनातनी ने एक नया मोड़ ले लिया है। ईरान ने इजरायल पर 200 मिसाइलें छोड़ी हैं, लेकिन इसके बावजूद इजरायल ने अभी तक कोई प्रतिशोधी हमला नहीं किया है। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने पिछले शुक्रवार को हमले की धमकी दी थी, जिससे यह संकेत मिला कि वे ईरान के खिलाफ एक सशस्त्र प्रतिक्रिया की योजना बना रहे हैं। लेकिन यह प्रश्न उठता है कि इजरायल ने हमले की घोषणा करने के बावजूद इसे क्यों टाल दिया?
ईरान का कड़ा संदेश
ईरान ने स्पष्ट किया है कि अगर उसके तेल के ठिकानों पर हमला हुआ, तो खाड़ी के अन्य देशों के तेल ठिकाने भी सुरक्षित नहीं रहेंगे। ईरान के इस बयान ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता बढ़ा दी है। उनका तर्क है कि यदि इस प्रकार के हमले हुए, तो इससे वैश्विक तेल बाजार पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा और एक नई युद्ध की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
अमेरिका की भूमिका
अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अमेरिका ने इजरायल को सलाह दी है कि वह ईरान के न्यूक्लियर ठिकानों पर हमला न करे। इसके बाद इजरायल ने ईरान के तेल ठिकानों को निशाना बनाने की योजना बनाई। इस स्थिति ने खाड़ी देशों को चिंतित कर दिया है, जिससे वे अमेरिका पर दबाव डालने लगे हैं कि वह इजरायल को ईरान पर हमला करने से रोके।
सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और कतर जैसे खाड़ी देशों ने अमेरिका से स्पष्ट किया है कि वे इजरायल को ईरान पर हमला करने के लिए अपने एयर स्पेस का उपयोग नहीं करने देंगे। यदि इस स्थिति में युद्ध का माहौल बना, तो केवल खाड़ी देश ही नहीं, बल्कि अमेरिका भी इस संघर्ष में घिसट जाएगा।
लेबनान में इजरायली हमले
इजरायल ने हाल ही में लेबनान की राजधानी बेरूत में दो जगहों पर हवाई हमले किए हैं, जिसमें कम से कम 18 लोगों की मौत हो गई है और 92 लोग घायल हुए हैं। लेबनान के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, इन हमलों से कई आवासीय इमारतें बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गईं, जिनमें से एक पूरी तरह से ढह गई। इजराइली सेना ने इस पर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की, लेकिन यह हमले उस समय हुए जब इजरायल ने लेबनान में ईरान समर्थित हिज्बुल्ला के खिलाफ अपने हमलों का दायरा बढ़ा दिया है।
भविष्य की दिशा
ईरान का कड़ा रुख और उसके तेल के ठिकानों पर हमले की संभावित प्रतिक्रिया ने इजरायल को एक चक्रव्यूह में फंसा दिया है। नेतन्याहू सरकार को यह सोचने पर मजबूर होना पड़ रहा है कि क्या वह ईरान पर हमला कर सकती है, जबकि उसकी प्रतिक्रिया का दायरा अत्यधिक व्यापक हो सकता है। ईरान की यह चेतावनी स्पष्ट करती है कि अगर किसी भी प्रकार का सैन्य आक्रमण हुआ, तो इसके गंभीर परिणाम होंगे, जो वैश्विक स्थिरता को भी खतरे में डाल सकते हैं।
इस तरह के संघर्षों के चलते, भारत समेत अन्य देशों को भी वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों और सुरक्षा पर गंभीर विचार करना होगा। इजरायल और ईरान के बीच इस तनावपूर्ण स्थिति का असर न केवल मध्य पूर्व बल्कि पूरे विश्व पर पड़ सकता है। ऐसे में, अंतरराष्ट्रीय समुदाय को समझदारी और संयम के साथ इस मुद्दे को सुलझाने की आवश्यकता है।
इस जटिल स्थिति में, केवल समय ही बताएगा कि क्या इजरायल ईरान के खिलाफ हमले का निर्णय लेगा या फिर इसे टालने में सफलता हासिल करेगा। लेकिन जो भी हो, यह स्पष्ट है कि यह संघर्ष न केवल क्षेत्रीय बल्कि वैश्विक स्थिरता के लिए भी खतरा बन सकता है।