दिल्ली में प्रदूषण का स्तर इस समय खतरनाक स्थिति में पहुंच चुका है। राजधानी की हवा इतनी जहरीली हो गई है कि सांस लेना भी मुश्किल हो रहा है। सोमवार को दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 494 पर पहुंच गया, जबकि कुछ क्षेत्रों में यह 500 तक दर्ज किया गया। यह नवंबर के हाल के वर्षों में सबसे खराब प्रदूषण एपिसोड में से एक माना जा रहा है।

दिल्ली की जहरीली हवा और WHO के मानक
WHO के मानकों के अनुसार, PM2.5 का स्तर 15 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर और PM10 का स्तर 45 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से अधिक नहीं होना चाहिए। लेकिन दिल्ली में PM2.5 का स्तर 354 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर और PM10 का स्तर WHO मानकों से 12 गुना अधिक दर्ज किया गया। यह आंकड़े इस बात को साबित करते हैं कि दिल्ली की हवा इस समय सांस लेने लायक भी नहीं है।
सबसे ज्यादा प्रदूषण वाले क्षेत्र
दिल्ली के 38 एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशनों के अनुसार, द्वारका और नजफगढ़ में AQI 500 तक पहुंच गया है। राजधानी के सभी क्षेत्रों में AQI 400 से ऊपर दर्ज किया गया, जो ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है।
वायु प्रदूषण बढ़ने के कारण
पर्यावरण विशेषज्ञ सुनील दहिया के अनुसार, पिछले सप्ताह का प्रदूषण स्तर पिछले पांच वर्षों में सबसे अधिक है। उन्होंने बताया कि स्थायी प्रदूषण स्रोतों पर ठोस कार्रवाई न होने और पराली जलाने के बढ़ते मामलों ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है। इसके साथ ही प्रतिकूल मौसमीय परिस्थितियां भी प्रदूषण के स्तर को बढ़ा रही हैं।
ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) का चौथा चरण लागू
दिल्ली में GRAP का चौथा चरण लागू कर दिया गया है। इसके तहत निम्नलिखित उपाय किए जा रहे हैं:
- निर्माण कार्यों पर प्रतिबंध: सभी निर्माण और तोड़फोड़ गतिविधियां प्रतिबंधित कर दी गई हैं, केवल रक्षा, मेट्रो, रेलवे, हवाईअड्डे और स्वास्थ्य सेवाओं से संबंधित परियोजनाओं को छूट दी गई है।
- डीजल वाहनों पर रोक: BS-IV और उससे नीचे के डीजल वाहनों का प्रवेश बंद कर दिया गया है, सिवाय आवश्यक सेवाओं और आपातकालीन सेवाओं के।
- स्कूलों में ऑनलाइन कक्षाएं: प्राथमिक विद्यालयों को बंद कर दिया गया है और कक्षा 10 और 12 को छोड़कर अन्य सभी के लिए ऑनलाइन कक्षाएं शुरू कर दी गई हैं।
IMD का पूर्वानुमान और पीला अलर्ट
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने पीला अलर्ट जारी किया है। विभाग ने अगले छह दिनों तक हवा की गुणवत्ता ‘गंभीर’ या ‘बहुत खराब’ श्रेणी में बने रहने का अनुमान जताया है। सोमवार सुबह पालम में दृश्यता 100 मीटर और सफदरजंग में 150 मीटर तक दर्ज की गई।
स्मॉग टावर: समाधान या विफलता?
दिल्ली में वायु प्रदूषण कम करने के लिए 2021 में दो स्मॉग टावर लगाए गए थे। इनमें से एक कनॉट प्लेस और दूसरा आनंद विहार में है। हालांकि, ये टावर वर्तमान में निष्क्रिय पड़े हैं। 23 करोड़ रुपये की लागत से बनाए गए इन टावरों के 40 पंखे महीनों से बंद हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इन टावरों का नियमित रखरखाव न होने और बिजली आपूर्ति में बाधा के कारण ये बेकार साबित हो रहे हैं।
स्थायी समाधान की जरूरत
विशेषज्ञों के अनुसार, दिल्ली के चारों ओर ‘रिंग फॉरेस्ट’ यानी एक किलोमीटर चौड़ा जंगल बनाने से वायु प्रदूषण पर काफी हद तक काबू पाया जा सकता है। इसके अलावा, पराली जलाने पर सख्त प्रतिबंध, वाहनों से होने वाले उत्सर्जन को कम करना, और स्मॉग टावरों को सही तरीके से संचालित करना भी आवश्यक है।
दिल्ली-हरियाणा में स्कूल बंद
हरियाणा सरकार ने कक्षा 5 तक के सभी स्कूलों को बंद कर दिया है और ऑनलाइन कक्षाओं का आदेश दिया है। दिल्ली में भी यही कदम उठाए गए हैं। यह बच्चों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए एक जरूरी कदम है।
दिल्ली की जनता पर प्रभाव
प्रदूषण के इस गंभीर स्तर का असर सबसे अधिक बच्चों, बुजुर्गों और बीमार लोगों पर पड़ रहा है। सांस की बीमारियां, आंखों में जलन और त्वचा की समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। लोगों को सलाह दी जा रही है कि वे घर के अंदर ही रहें और आवश्यक होने पर ही बाहर निकलें।
क्या हमें उम्मीद है?
दिल्ली का वायु प्रदूषण हर साल सर्दियों में एक बड़ा संकट बन जाता है। लेकिन स्थायी समाधान की दिशा में ठोस कदम उठाने की जरूरत है। सरकार, पर्यावरण विशेषज्ञ और जनता को मिलकर काम करना होगा ताकि भविष्य में ऐसी खतरनाक परिस्थितियों से बचा जा सके।
दिल्ली के प्रदूषण को कम करने के लिए सिर्फ सरकार ही नहीं, बल्कि हर नागरिक की जिम्मेदारी बनती है। आइए, हम सभी मिलकर इस गंभीर समस्या का समाधान ढूंढें और अपने भविष्य को सुरक्षित बनाएं।