हिजबुल्लाह का भविष्य अंधकारमय: क्या नईम कासिम बचा पाएंगे संगठन?

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इजरायली हमले में हिजबुल्लाह के प्रमुख नेता हसन नसरल्लाह के मारे जाने के बाद संगठन ने अपने नए नेता का चुनाव कर लिया है। हिजबुल्लाह के डिप्टी सेक्रेटरी नईम कासिम को नसरल्लाह के उत्तराधिकारी के रूप में चुना गया है।

इस बदलाव के साथ हिजबुल्लाह ने इजरायल को एक संदेश दिया है कि संगठन अपने मकसद से पीछे नहीं हटेगा और अपने कार्य को जारी रखेगा।

हिजबुल्लाह का भविष्य अंधकारमय: क्या नईम कासिम बचा पाएंगे संगठन?
हिजबुल्लाह का भविष्य अंधकारमय: क्या नईम कासिम बचा पाएंगे संगठन?

इजरायली हमले में नसरल्लाह समेत कई वरिष्ठ नेता मारे गए

हाल ही में इजरायल द्वारा किए गए हमलों में हिजबुल्लाह का शीर्ष नेतृत्व लगभग खत्म हो गया। इस हमले में संगठन के प्रमुख हसन नसरल्लाह, हाशेम सफीद्दीन, संस्थापक सदस्य फौद शुकर, और प्रमुख कमांडर अली कराकी सहित कई अन्य महत्वपूर्ण नेता मारे गए। इसके अलावा ड्रोन यूनिट के प्रमुख मोहम्मद सरूर, मिसाइल यूनिट के चीफ इब्राहिम कुबैसी और वरिष्ठ ऑपरेशनल कमांडर इब्राहिम अकील भी इस हमले में जान गंवा चुके हैं। माना जा रहा था कि इन हमलों के बाद नईम कासिम इजरायल का अगला टारगेट हो सकते हैं, लेकिन अभी तक वह सुरक्षित हैं।

नईम कासिम का नया दायित्व

नईम कासिम को हिजबुल्लाह का नया चीफ बनाए जाने से संगठन में स्थिरता बनाए रखने की कोशिश की जा रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस वक्त कासिम ईरान में हैं, जहाँ से उन्होंने संगठन के लोगों को संदेश भेजते हुए अपना संकल्प जताया। वह ईरान में हिजबुल्लाह समर्थक कई नेताओं के साथ लगातार संपर्क में हैं और संगठन को नेतृत्व देने का काम कर रहे हैं।

इजरायल को दी कड़ी चेतावनी

हसन नसरल्लाह की मौत के बाद नईम कासिम ने इजरायल को लेकर कई कड़े बयान दिए हैं। अब तक कासिम ने तीन भाषण दिए हैं, जिसमें उन्होंने साफ किया कि जब तक युद्धविराम की कोई स्पष्ट स्थिति नहीं बनती, हिजबुल्लाह अपने अभियानों को जारी रखेगा। उनका पहला भाषण बेरूत में रिकॉर्ड किया गया था और इसके बाद के दो भाषण उन्होंने तेहरान में दिए। 15 अक्टूबर को अपने भाषण में कासिम ने इजरायल को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि हिजबुल्लाह अपने नेताओं की शहादत को व्यर्थ नहीं जाने देगा और उनका संघर्ष जारी रहेगा।

कौन हैं नईम कासिम?

नईम कासिम हिजबुल्लाह के शुरुआती सदस्यों में से हैं और संगठन के निर्माण में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है। कासिम ने 1970 के दशक में लेबनान यूनिवर्सिटी से रसायन विज्ञान की पढ़ाई की थी, और इसके साथ ही उन्होंने इस्लामी विद्वान अयातुल्लाह मोहम्मद हुसैन फदलल्लाह के अधीन धार्मिक शिक्षा भी प्राप्त की थी। कासिम ने 1974 से 1988 तक एसोसिएशन फॉर इस्लामिक धार्मिक शिक्षा के प्रमुख के रूप में भी सेवा की, जहाँ उन्होंने हिजबुल्लाह के स्कूलों के नेटवर्क की देखरेख की।

संगठन में उनके कद का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 1991 में उन्हें हिजबुल्लाह का उप महासचिव चुना गया और वे तब से संगठन की शूरा परिषद में कार्यरत हैं। यह परिषद हिजबुल्लाह की प्रमुख कार्यकारी इकाई है, जहाँ से संगठन के सभी बड़े फैसले लिए जाते हैं।

कासिम का भविष्य और संगठन की दिशा

नईम कासिम का नेतृत्व हिजबुल्लाह के लिए एक नए युग की शुरुआत है। संगठन के नए प्रमुख होने के नाते कासिम के सामने कई चुनौतियाँ होंगी, जिसमें सबसे बड़ी चुनौती इजरायल के खिलाफ अपने संगठन को एकजुट रखना है। इजरायल के हमलों से हिजबुल्लाह के संरचनात्मक ढांचे को भारी नुकसान हुआ है, और इसके बावजूद कासिम ने संगठन के लोगों में जोश भरने का काम किया है।

मध्य-पूर्व में बढ़ता तनाव

नईम कासिम के चुने जाने के बाद हिजबुल्लाह और इजरायल के बीच तनाव और भी बढ़ सकता है। हिजबुल्लाह का यह कदम यह दिखाता है कि संगठन के ऊपर ईरान का प्रभाव और मजबूत हुआ है। मध्य-पूर्व में तनाव की यह स्थिति ईरान, सीरिया, और इजरायल के बीच तनाव को और बढ़ा सकती है, जो पहले से ही एक अस्थिर क्षेत्र है।

कासिम का मुख्य लक्ष्य हिजबुल्लाह को संरक्षित करना और इजरायल से बदला लेना हो सकता है, लेकिन इसके साथ ही वह संगठन के भीतर स्थिरता और अपने समर्थकों में विश्वास बनाए रखने की भी कोशिश करेंगे। हिजबुल्लाह के साथ-साथ पूरे क्षेत्र पर भी इस नियुक्ति का असर देखा जा सकता है।

नए नेता की ओर से संदेश

नईम कासिम ने अपने संदेश में हिजबुल्लाह के समर्थकों से कहा कि वे निडर रहें और संगठन के उद्देश्यों के प्रति वफादार रहें। उन्होंने यह भी कहा कि हिजबुल्लाह अपने नेताओं की शहादत को भूलेगा नहीं और यह संघर्ष उनके बलिदान का सम्मान है। हिजबुल्लाह की इस नई नेतृत्व की घोषणा ने इजरायल को एक स्पष्ट संकेत दिया है कि संगठन अभी भी अपने मिशन को पूरा करने के लिए पूरी तरह से तैयार है।

निष्कर्ष

हिजबुल्लाह का यह नया कदम न केवल संगठन के अंदरुनी ढांचे को मजबूत करने की कोशिश है, बल्कि यह एक सख्त संदेश भी है। नईम कासिम के नेतृत्व में हिजबुल्लाह का भविष्य किस दिशा में जाएगा, यह देखने वाली बात होगी, लेकिन यह निश्चित है कि संगठन ने एक अनुभवी और दृढ़ संकल्पी नेता को चुना है, जो आने वाली चुनौतियों का सामना कर सकेगा।

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