द साबरमती रिपोर्ट: मूवी रिव्यू

Admin
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साल 2002 के गोधरा कांड पर आधारित फिल्म द साबरमती रिपोर्ट, जिसकी काफी समय से चर्चा हो रही थी, अब सिनेमाघरों में प्रदर्शित हो गई है। यह फिल्म एक संवेदनशील विषय को छूती है, लेकिन कमजोर स्क्रीनप्ले और कहानी के चलते दर्शकों को झकझोरने में असफल रही है। निर्देशक धीरज सरना, जो टीवी इंडस्ट्री में अपनी पहचान बना चुके हैं, ने इस फिल्म के माध्यम से एक महत्वपूर्ण मुद्दा उठाने की कोशिश की है, लेकिन इसका प्रभाव दर्शकों पर गहराई से नहीं पड़ता।

The Sabarmati Report
ऐक्टर: विक्रांत मैसी, राशि खन्ना, रिद्धि डोगरा
डायरेक्टर: धीरज सरना
श्रेणी: हिंदी, इतिहास, ड्रामा, थ्रिलर
अवधि: 2 घंटे 0 मिनट

कहानी की झलक

फिल्म की कहानी एक हिंदी एंटरटेनमेंट पत्रकार समर कुमार (विक्रांत मैसी) के इर्द-गिर्द घूमती है। समर, जो अपने क्षेत्र में गंभीर पत्रकारिता करने की कोशिश करता है, अक्सर अपने अंग्रेजी बोलने वाले सहयोगियों द्वारा उपेक्षित होता है। वहीं दूसरी तरफ, न्यूज एंकर मनिका राजपुरोहित (रिद्धि डोगरा) अपने तेज-तर्रार एंकरिंग स्टाइल और प्रभावशाली अंग्रेजी की वजह से इंडस्ट्री में एक खास मुकाम रखती है।

कहानी गोधरा कांड के समय शुरू होती है, जब समर और मनिका इस घटना को कवर करने गुजरात पहुंचते हैं। रिपोर्टिंग के दौरान समर को कुछ ऐसे सबूत हाथ लगते हैं, जो इस कांड की सच्चाई सामने ला सकते हैं। लेकिन चैनल की राजनीति और मनिका की महत्वाकांक्षा के चलते सच्चाई को दबा दिया जाता है। समर के खिलाफ साजिश रचकर उसे नौकरी से निकाल दिया जाता है, जिससे उसकी जिंदगी बिखर जाती है।

पांच साल बाद, नानावटी कमीशन की रिपोर्ट आने के बाद चैनल की नई रिपोर्टर अमृता (राशि खन्ना) को गोधरा कांड पर नई रिपोर्ट तैयार करने भेजा जाता है। अमृता को समर के पुराने फुटेज मिलते हैं, जो घटना के पीछे के सच को उजागर कर सकते हैं। कहानी यह जानने के इर्द-गिर्द घूमती है कि क्या अमृता और समर इस सच्चाई को दुनिया के सामने ला पाते हैं।

फिल्म की समीक्षा

निर्देशक धीरज सरना ने एक गंभीर विषय को थ्रिलर अंदाज में पेश करने की कोशिश की है, लेकिन यह प्रयास अधूरा रह जाता है। फिल्म की शुरुआत धीमी है और इंटरवल तक कहानी मुख्य मुद्दे पर नहीं आ पाती। गोधरा कांड जैसे संवेदनशील विषय पर आधारित फिल्म में दर्शकों को गहराई और सच्चाई का अहसास कराने की उम्मीद होती है, लेकिन यहां कहानी पहले से ज्ञात तथ्यों को दोहराती नजर आती है।

फिल्म का नैरेटिव कई जगह प्रीची (संदेश देने की कोशिश में जबरन नसीहत देने वाला) लगता है। मीडिया हाउस और न्यूज रूम के चित्रण में वास्तविकता की कमी दिखती है। क्लाइमेक्स भी अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतरता।

अभिनय का विश्लेषण

  • विक्रांत मैसी: समर के रूप में विक्रांत ने अपनी गहरी और संवेदनशील अदाकारी से प्रभावित किया है। उनकी आंखों और हावभाव में किरदार की पीड़ा झलकती है।
  • रिद्धि डोगरा: मैन्युपुलेटिव न्यूज एंकर मनिका के किरदार में उन्होंने प्रभावशाली प्रदर्शन किया है। उनका ठंडा और कुटिल स्वभाव किरदार को जीवंत बनाता है।
  • राशि खन्ना: अमृता के रूप में राशि ने सहज अभिनय किया है, लेकिन उनके किरदार को और बेहतर तरीके से विकसित किया जा सकता था।

सहयोगी कलाकारों के किरदारों को पर्याप्त गहराई नहीं दी गई, जिससे वे कहानी का मजबूत आधार नहीं बन पाते।

तकनीकी पक्ष और संगीत

फिल्म में गोधरा कांड के दौरान ट्रेन जलने के दृश्यों में वीएफएक्स का अच्छा उपयोग किया गया है, लेकिन कुछ अन्य दृश्य बेहतर तकनीकी सहायता की मांग करते हैं।
संगीत की बात करें, तो ‘राजा राम’ गाना प्रभावित करता है, लेकिन बाकी बैकग्राउंड स्कोर औसत है।

क्या देखनी चाहिए यह फिल्म?

‘द साबरमती रिपोर्ट’ एक गंभीर विषय पर आधारित है और विक्रांत मैसी तथा रिद्धि डोगरा का अभिनय फिल्म को देखने लायक बनाता है। हालांकि, कमजोर कहानी और थ्रिलर के अभाव के कारण यह दर्शकों को लंबे समय तक बांधकर रखने में विफल रहती है।

यदि आप इतिहास और ड्रामा शैली की फिल्में पसंद करते हैं, तो इसे एक बार देख सकते हैं। लेकिन अगर आप गोधरा कांड के बारे में पहले से गहरी जानकारी रखते हैं, तो यह फिल्म आपको कुछ नया नहीं देगी।

रेटिंग: 3/5
निर्णय: अच्छे अभिनय और संवेदनशील विषय पर आधारित है, लेकिन कमजोर स्क्रीनप्ले फिल्म को कमजोर बना देता है।

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