रतन टाटा की अंतिम यात्रा: अंतिम संस्कार और श्रद्धांजलियां

रतन टाटा की अंतिम यात्रा: अंतिम संस्कार और श्रद्धांजलियां
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रतन टाटा का निधन देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उद्योग जगत में अपने योगदान के लिए प्रसिद्ध रतन टाटा ने बुधवार की शाम को मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में अंतिम सांस ली। उनका निधन 86 वर्ष की आयु में हुआ, और इस खबर ने पूरे देश में शोक की लहर दौड़ा दी। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बताया कि रतन टाटा का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है।

रतन टाटा की अंतिम यात्रा: अंतिम संस्कार और श्रद्धांजलियां
रतन टाटा की अंतिम यात्रा: अंतिम संस्कार और श्रद्धांजलियां

एक महान व्यक्तित्व का अवसान

रतन टाटा का जीवन प्रेरणादायक था। उनका जन्म 28 दिसंबर 1937 को हुआ था। वे टाटा ग्रुप के चेयरमैन रहे और उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने नई ऊंचाइयों को छुआ। वे न केवल एक व्यवसायी थे, बल्कि एक दरियादिल इंसान भी थे। जब भी देश पर संकट आया, जैसे सुनामी या कोरोना महामारी, वे हमेशा आगे आते थे और सहायता करते थे।

उनका निधन उद्योग और समाज के लिए एक बड़ा नुकसान है। रतन टाटा ने अपने जीवन में कई उपलब्धियां हासिल की हैं, जो उन्हें अद्वितीय बनाती हैं। उन्होंने टाटा समूह को ना केवल व्यावसायिक दृष्टि से विकसित किया, बल्कि लोगों के प्रति अपनी संवेदनशीलता और परोपकार के लिए भी जाने गए।

जीवन की शुरुआत और शिक्षा

रतन टाटा का पालन-पोषण उनके दादा- दादी के संरक्षण में हुआ। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा के बाद 1959 में आर्किटेक्चर और स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। इसके बाद वे अमेरिका के कॉर्नेल यूनिवर्सिटी गए और 1962 में भारत लौटे। लौटने के बाद उन्होंने टाटा स्टील में एक कर्मचारी के रूप में काम करना शुरू किया, जहां उन्होंने व्यवसाय की बारीकियों को समझा।

टाटा समूह का नेतृत्व

रतन टाटा को 21 वर्ष की उम्र में 1991 में टाटा समूह का चेयरमैन नियुक्त किया गया। उन्होंने समूह को एक नई दिशा दी और इसे वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाया। टाटा ने 1996 में टाटा टेलीसर्विसेज की स्थापना की और 2004 में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) को सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध किया। उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने कई सफलताएँ प्राप्त कीं, जो आज भी याद की जाती हैं।

सामाजिक कार्य और परोपकार

रतन टाटा का मानना था कि व्यवसाय का उद्देश्य केवल लाभ कमाना नहीं होना चाहिए, बल्कि समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को भी निभाना चाहिए। उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य, और समाज सेवा के क्षेत्र में कई ट्रस्ट स्थापित किए। उनके ट्रस्ट आर्थिक तंगी से जूझने वाले छात्रों को स्कॉलरशिप प्रदान करते हैं, जो उनके प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

उनकी दानशीलता का उदाहरण यह है कि वे कई गैर सरकारी संगठनों और एनिमल शेल्टर्स को भी सहायता देते थे। रतन टाटा के लिए काम का मतलब पूजा करना था और वे हमेशा अपने कर्मचारियों की भलाई के लिए तत्पर रहते थे।

रतन टाटा के व्यक्तित्व की विशेषताएँ

रतन टाटा की सबसे बड़ी विशेषता उनका शांत और सौम्य स्वभाव था। वे अपने कर्मचारियों और सहयोगियों के साथ हमेशा प्यार और सम्मान से पेश आते थे। उनका कहना था, “यदि आपको किसी काम में सफलता पाना है, तो उस काम की शुरुआत भले ही आप अकेले करें, लेकिन उसे बुलंदियों पर पहुंचाने के लिए लोगों का साथ जरूरी है।”

रतन टाटा का जीवन सरल और सहज था। उनके शौक में पियानो बजाना, विमान उड़ाना और नई कारों का अनुभव करना शामिल था। उन्होंने कहा था कि वे अपने रिटायरमेंट के बाद अपने शौकों को पूरा करना चाहते हैं।

समर्पण और सम्मान

रतन टाटा को उनके योगदान के लिए भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण (2000) और पद्म विभूषण (2008) से सम्मानित किया गया। ये सम्मान उनके जीवन में किए गए कार्यों की मान्यता हैं। उनकी ईमानदारी, नैतिक नेतृत्व और परोपकार के प्रतीक के रूप में उनकी पहचान बनी रहेगी।

उनके निधन की खबर सबसे पहले उद्योगपति हर्ष गोयनका ने सोशल मीडिया पर साझा की। उन्होंने लिखा, “घड़ी की टिक-टिक बंद हो गई। टाइटन नहीं रहे।”

शोक संदेश

रतन टाटा के निधन पर अनेक लोगों ने शोक व्यक्त किया।

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “टाटा एक दूरदर्शी बिजनेस लीडर, दयालु आत्मा और एक असाधारण इंसान थे।”
  • राहुल गांधी ने कहा, “रतन टाटा ने बिजनेस और परोपकार दोनों पर कभी न मिटने वाली छाप छोड़ी है।”
  • मुकेश अंबानी ने कहा, “ये भारत के लिए बहुत दुखद दिन है। रतन टाटा का जाना ना सिर्फ टाटा ग्रुप, बल्कि हर भारतीय के लिए बड़ा नुकसान है।”

अंतिम यात्रा

रतन टाटा का पार्थिव शरीर नेशनल सेंटर फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स (NCPA) में रखा गया है, जहां अंतिम दर्शन के लिए आम लोगों को आमंत्रित किया गया है। उनके अंतिम संस्कार को राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा।

रतन टाटा का निधन सिर्फ एक व्यक्तिगत क्षति नहीं, बल्कि एक युग का अंत है। उन्होंने जो प्रेरणा और मार्गदर्शन दिया, वह हमेशा हमारे दिलों में जीवित रहेगा। उनका योगदान और दृष्टिकोण आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा।

निष्कर्ष

रतन टाटा का जीवन एक आदर्श था, जिसमें समर्पण, संवेदनशीलता और साहस की गाथा थी। उनके द्वारा स्थापित किए गए मूल्य और नैतिकता का पालन हमें हमेशा प्रेरित करता रहेगा। उनके निधन से जो खालीपन बना है, उसे भरना मुश्किल है, लेकिन उनके कार्य और विचार हमेशा हमारे साथ रहेंगे।

रतन टाटा का नाम हमेशा भारतीय उद्योग जगत में स्वर्णाक्षरों में लिखा जाएगा। उन्होंने हमें सिखाया कि सफलता का अर्थ केवल धन और प्रतिष्ठा नहीं है, बल्कि समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को निभाना भी है। उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा।

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