इस्राइल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव के बीच रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान की तुर्कमेनिस्तान में होने वाली अहम मुलाकात पर चर्चा। दोनों देशों के बीच बढ़ते संबंध वैश्विक राजनीति के दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण हैं, खासकर इस्राइल-ईरान तनाव के बीच।

इस्राइल-ईरान तनाव के बीच पुतिन से मिलेंगे ईरानी राष्ट्रपति, जानिए क्यों अहम है ये मुलाकात
इस्राइल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव के बीच रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान की आगामी मुलाकात काफी चर्चा में है। यह मुलाकात तुर्कमेनिस्तान में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान होगी और दोनों नेताओं के बीच होने वाली बातचीत के कई अहम मायने हैं। मौजूदा समय में ईरान और इस्राइल के बीच तनाव अपने चरम पर है, और इस स्थिति में रूस और ईरान के रिश्तों की मजबूती वैश्विक राजनीति के नजरिए से बेहद महत्वपूर्ण हो गई है।
बदलते समीकरणों में रूस-ईरान की नजदीकी
सोवियत संघ के समय में ईरान और रूस एक दूसरे के कट्टर आलोचक माने जाते थे, लेकिन वर्तमान समय में हालात काफी बदल चुके हैं। पश्चिमी देशों द्वारा दोनों पर लगाए गए प्रतिबंधों ने दोनों देशों को एक दूसरे के करीब लाने का काम किया है। ईरान को अमेरिकी प्रतिबंधों के चलते हथियारों की आपूर्ति के लिए एक मजबूत साझेदार की जरूरत है, और रूस, जो यूक्रेन युद्ध के बाद वैश्विक स्तर पर अलग-थलग पड़ा है, इस भूमिका को निभाने के लिए तैयार है।
सीरिया: साझा हितों का केंद्र
रूस और ईरान के बीच नजदीकियों का एक और बड़ा कारण सीरिया में उनकी साझी रुचि है। सीरिया में मौजूदा सरकार को सत्ता में बनाए रखने में रूस महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, जबकि ईरान भी सीरियाई सरकार का मजबूत समर्थक है। सीरिया में जारी संघर्ष में इस्राइल द्वारा किए जा रहे हमलों के खिलाफ ईरान और रूस दोनों एक पेज पर हैं। पश्चिमी देश, विशेष रूप से अमेरिका, सीरिया की मौजूदा सरकार को हटाना चाहते हैं, जबकि रूस और ईरान सीरियाई सरकार के समर्थक बने हुए हैं।
इस्राइल-ईरान तनाव के बीच हथियारों का सौदा
इस्राइल और ईरान के बीच हवाई हमले और जवाबी धमकियों का दौर पिछले कुछ दिनों में काफी बढ़ गया है। अमेरिका ने इस्राइल के पक्ष में खुलकर समर्थन करने का ऐलान किया है, जिससे ईरान के लिए खतरा और बढ़ गया है। ऐसे में ईरान रूस के साथ अपने रिश्तों को और मजबूत कर रहा है ताकि किसी भी संभावित युद्ध की स्थिति में हथियारों की आपूर्ति सुनिश्चित हो सके। आज ईरान रूस से हथियारों का तीसरा सबसे बड़ा आयातक है। इसके अलावा, रूस-यूक्रेन युद्ध में भी ईरान ने रूस को बड़े पैमाने पर ड्रोन्स की सप्लाई की है। दोनों देशों के बीच हथियारों के बड़े सौदे हुए हैं, जो दोनों देशों के रक्षा संबंधों को और गहरा करते हैं।
इस्राइल-ईरान संघर्ष और पुतिन-पेजेश्कियान की मुलाकात की अहमियत
पश्चिम एशिया में तनावपूर्ण माहौल को देखते हुए पुतिन और पेजेश्कियान की मुलाकात का महत्व बढ़ गया है। रूस और ईरान दोनों पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों का सामना कर रहे हैं, और ऐसे में दोनों के बीच मजबूत होते रिश्ते वैश्विक शक्ति संतुलन को प्रभावित कर सकते हैं। ईरान के लिए रूस एक ऐसा देश बनकर उभरा है, जो उसे न केवल हथियारों की आपूर्ति कर सकता है, बल्कि वैश्विक मंच पर भी समर्थन प्रदान कर सकता है। दूसरी ओर, रूस को भी एक मजबूत सहयोगी की जरूरत है, जो यूक्रेन संघर्ष के बाद पश्चिमी देशों के खिलाफ उसका समर्थन कर सके।
इस मुलाकात का उद्देश्य केवल द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना नहीं है, बल्कि यह वैश्विक राजनीति और पश्चिम एशिया में बदलते समीकरणों का संकेत भी है। सीरिया, इस्राइल और यूक्रेन जैसे मुद्दों पर दोनों देशों के हित एक जैसे हैं, और इसीलिए यह मुलाकात कई मायनों में अहम है।
निष्कर्ष
रूस और ईरान की बढ़ती नजदीकियों ने वैश्विक राजनीति में एक नया मोड़ लाया है। दोनों देशों के बीच मजबूत होते संबंध केवल हथियारों के सौदों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि यह पश्चिमी देशों के खिलाफ एक नए गठबंधन के उभरने का संकेत भी हो सकता है। इस्राइल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव के बीच पुतिन और पेजेश्कियान की मुलाकात निश्चित रूप से आने वाले समय में पश्चिम एशिया और वैश्विक राजनीति पर गहरा असर डाल सकती है।