दिल्ली में चुनावी घमासान: वोट कटने के मुद्दे पर AAP और BJP आमने-सामने

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दिल्ली की राजनीति में एक बार फिर गर्मी आ गई है, और इस बार वजह है वोट कटने का मुद्दा। राजधानी में विधानसभा चुनावों से पहले ही सियासी घमासान शुरू हो गया है। आम आदमी पार्टी (AAP) ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से हटवाने का गंभीर आरोप लगाया है। इस मामले को लेकर बुधवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में AAP का प्रतिनिधिमंडल चुनाव आयोग पहुंचा।

दिल्ली में चुनावी घमासान: वोट कटने के मुद्दे पर AAP और BJP आमने-सामने
दिल्ली में चुनावी घमासान: वोट कटने के मुद्दे पर AAP और BJP आमने-सामने

3000 पेजों के सबूत लेकर पहुंचे AAP नेता

AAP का कहना है कि भाजपा कार्यकर्ता योजनाबद्ध तरीके से मतदाताओं के नाम काटने के लिए आवेदन कर रहे हैं। आरोपों के समर्थन में अरविंद केजरीवाल और उनकी टीम ने चुनाव आयोग के अधिकारियों को 3000 पन्नों के दस्तावेज सौंपे। इस प्रतिनिधिमंडल में पार्टी के प्रमुख नेता आतिशी, संजय सिंह, पंकज गुप्ता, जस्मीन शाह और रीना गुप्ता शामिल थे।

चुनाव आयोग से बाहर निकलने के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए केजरीवाल ने भाजपा पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह से लोकतंत्र की हत्या करने की साजिश है। केजरीवाल ने कहा, “भाजपा जानबूझकर गरीबों, अनुसूचित जातियों और पूर्वांचल के लोगों को निशाना बना रही है। ये लोग झुग्गी बस्तियों और कच्ची कॉलोनियों में रहते हैं, और भाजपा को लगता है कि ये वोट उनके खिलाफ जाएंगे।”

भाजपा पर गंभीर आरोप

मुख्यमंत्री केजरीवाल के मुताबिक, शाहदरा में भाजपा के एक पदाधिकारी ने चोरी-छिपे 11,008 लोगों के नाम वोटर लिस्ट से हटवाने के लिए आवेदन किया। जनकपुरी विधानसभा में भाजपा के कार्यकर्ताओं ने 4,874 वोट कटवाने के लिए आवेदन दिए हैं। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ कुछ उदाहरण हैं, जबकि ऐसे सैकड़ों मामले राजधानी के हर विधानसभा क्षेत्र से सामने आ रहे हैं।

केजरीवाल ने चुनाव आयोग से मांग की कि मतदाताओं के नाम काटने की इस प्रक्रिया पर तुरंत रोक लगाई जाए। उन्होंने कहा, “हमारी मांग है कि इस साजिश में शामिल भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं के खिलाफ FIR दर्ज की जाए। कोई भी नाम काटने से पहले फील्ड इन्क्वायरी करवाई जाए और सभी राजनीतिक दलों को उसमें शामिल किया जाए।”

चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया

AAP के आरोपों पर चुनाव आयोग ने संज्ञान लिया है और आश्वासन दिया है कि बिना सही प्रक्रिया के किसी का नाम वोटर लिस्ट से नहीं हटाया जाएगा। आयोग ने कहा है कि अगर किसी का नाम डिलीट करना जरूरी होता है तो उसके लिए फॉर्म-7 भरना पड़ेगा। इसके बाद फील्ड इन्क्वायरी की जाएगी, जिसमें BLO के साथ सभी पार्टियों के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे।

चुनाव आयोग के इस आश्वासन के बावजूद AAP नेताओं ने कहा कि उन्हें इस प्रक्रिया पर पूरी तरह से भरोसा नहीं है। पार्टी का आरोप है कि भाजपा के इशारे पर चुनाव आयोग भी ढील बरत रहा है।

सात विधानसभा क्षेत्रों में 22,649 वोट कटने का आरोप

AAP के वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया और सांसद राघव चड्ढा ने मीडिया के सामने सात प्रमुख विधानसभा क्षेत्रों का आंकड़ा रखा। उनके मुताबिक इन क्षेत्रों में कुल 22,649 मतदाताओं के नाम काटे गए हैं।

  1. जनकपुरी – 7,055 वोट
  2. करावल नगर – 3,861 वोट
  3. तुगलकाबाद – 4,016 वोट
  4. पालम – 1,641 वोट
  5. मुस्तफाबाद – 534 वोट
  6. हरि नगर – 637 वोट
  7. राजौरी गार्डन – 1,274 वोट

सिसोदिया ने कहा कि इन सभी क्षेत्रों में भाजपा से जुड़े लोगों ने योजनाबद्ध तरीके से मतदाताओं के नाम काटने के आवेदन दिए हैं। उन्होंने कहा, “भाजपा को लगता है कि वह दिल्ली में चुनाव जीत नहीं सकती, इसलिए वह मतदाताओं के अधिकार छीनकर लोकतंत्र की हत्या करने पर तुली हुई है।”

भाजपा का पलटवार

वहीं, भाजपा ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। भाजपा के प्रवक्ता ने कहा कि AAP सिर्फ लोगों को गुमराह करने के लिए झूठे आरोप लगा रही है। उन्होंने कहा कि वोटर लिस्ट का पुनरीक्षण एक नियमित प्रक्रिया है और इसमें किसी तरह की गड़बड़ी की बात निराधार है।

भाजपा का कहना है कि आम आदमी पार्टी अपनी नाकामी छिपाने के लिए बेवजह भाजपा पर आरोप लगा रही है। उन्होंने कहा, “दिल्ली के लोग AAP की असलियत समझ चुके हैं और अब वह चुनाव हारने के डर से इस तरह के ड्रामे कर रही है।”

आम जनता की प्रतिक्रिया

इस पूरे मामले पर दिल्ली के मतदाताओं में भी गहरी नाराजगी है। कई लोग चुनाव आयोग के दफ्तर पहुंचकर अपनी शिकायतें दर्ज करवा रहे हैं। एक मतदाता ने कहा, “मेरा नाम बिना किसी वजह के वोटर लिस्ट से हटा दिया गया। ये हमारे अधिकारों का हनन है।”

दूसरी ओर, कुछ लोग मानते हैं कि वोटर लिस्ट की सफाई जरूरी है, लेकिन इसका इस्तेमाल राजनीतिक हथकंडे के रूप में नहीं होना चाहिए।

क्या कहता है चुनावी कानून?

भारतीय चुनाव आयोग के नियमों के मुताबिक, वोटर लिस्ट से किसी भी मतदाता का नाम हटाने के लिए वैध कारण और सबूत होना जरूरी है। इसके लिए फॉर्म-7 का उपयोग किया जाता है। अगर किसी का नाम हटाया जाता है, तो फील्ड इन्क्वायरी के बाद ही अंतिम निर्णय लिया जाता है।

निष्कर्ष

दिल्ली में वोट कटने का मुद्दा आने वाले विधानसभा चुनावों में बड़ा सियासी मुद्दा बनता दिख रहा है। आम आदमी पार्टी इसे भाजपा की साजिश बता रही है, जबकि भाजपा इसे AAP का झूठा प्रचार करार दे रही है। चुनाव आयोग के आश्वासन के बावजूद मतदाताओं के मन में संशय बना हुआ है।

अब देखना यह होगा कि चुनाव आयोग इस मामले में क्या कार्रवाई करता है और क्या दिल्ली की राजनीति में यह मुद्दा और तूल पकड़ेगा।

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