पढ़ें छोटे कदमों से बड़ी सफलता की प्रेरणादायक कहानी। जानिए कैसे छोटे कदम ज़िंदगी को बदल सकते हैं और मोटिवेशनल स्टोरी से सफलता का रास्ता पा सकते हैं।

“माई ने कहा था, ‘औरत की इज्जत कच्ची मिट्टी के घड़े जैसी होती है। एक बार टूट जाए, तो जुड़ती नहीं है।'” ममता को नहीं पता था कि यह मिट्टी का घड़ा उसके शरीर में कहां है। यही सोचकर उसने बारहवीं तक पढ़ाई करने के बाद घर पर बैठने का फैसला कर लिया था। घर में मां सुरभि, पिता रामकिशन, और छोटे भाई दीपक के साथ ममता की एक छोटी सी दुनिया थी।
रामकिशन शहर से कभी इंदौर तो कभी दिल्ली जाकर प्लास्टिक के फूल खरीद लाते। सुरभि इन फूलों से गुलदस्ते बनातीं और पूरा परिवार इन्हें बेचने निकल पड़ता।
10-20 रुपये की बिक्री होती, पर रामकिशन का मन चोरी से नहीं हटता। भीड़भाड़ वाले इलाकों में वो कुछ न कुछ उठा ही लाते। सुरभि को यह बात पता थी, और वो उन पर नजर बनाए रखतीं। ममता भी कभी-कभी गुलदस्ते बेचने में मदद कर देती।
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परिवार का झोंपड़ा बेहद छोटा था। बरसात में छत से पानी टपकता, तो रामकिशन ने प्लास्टिक की पन्नी से इसे ढक दिया था। इस माहौल में ममता का बचपन बीता।
एक बार, जब वे नज़दीकी कस्बे में गए थे, वहां एक बाबाजी का सत्संग हो रहा था। रामायण का पाठ चल रहा था। बाबाजी ने जब सीता जी की अग्निपरीक्षा और उन्हें घर से निकाले जाने की बात कही, तो सुरभि की आंखों में आंसू आ गए। ममता भी कथा सुनकर द्रवित हो गई।
रामकिशन ने मौके का फायदा उठाकर भीड़ से दो पर्स निकाल लिए। सुरभि ने चुटकी काटते हुए इशारा किया, “काम हो गया।” ममता यह सब देखती, लेकिन उसके पास सवाल करने की हिम्मत नहीं थी।
धीरे-धीरे ममता बड़ी हो रही थी। शादी की बातें घर में गूंजने लगी थीं। रिश्तेदार सलाह देते कि “लड़की की शादी जल्दी कर देनी चाहिए।” ममता को शादी का ख्याल अच्छा लगता, लेकिन साथ ही डर भी लगता।
उसकी एक सहेली, गीता, ने उसे बताया था कि शादी के बाद ज़िंदगी कितनी बदल जाती है। गीता ने एक बार ममता से कहा, “तू भी जल्दी शादी कर ले। ससुराल में तेरे लिए अच्छा दूल्हा मिलेगा।”
ममता को लगा, क्या सच में ऐसा होगा? क्या उसकी ज़िंदगी गुलदस्ते बेचने और झोंपड़े की दीवारों के बीच से निकल पाएगी?
एक रात, जब ममता सो रही थी, उसे अचानक बिच्छू ने काट लिया। पूरे शरीर में जलन फैल गई। सुरभि ने किसी जड़ी-बूटी की पत्तियां लाकर उसकी जगह पर लगाईं। दर्द कम होने में तीन घंटे लगे। इस घटना के बाद ममता और सहमी-सहमी रहने लगी।
इसी दौरान, एक दिन रामकिशन के साथ ऐसा हुआ, जिसने परिवार की दिशा बदल दी। रामकिशन एक बाजार में चोरी करते हुए पकड़े गए। लोगों ने उन्हें खूब मारा और पुलिस के हवाले कर दिया। सुरभि ने जैसे-तैसे कुछ पैसे जुटाए और रामकिशन को छुड़वाया।
रामकिशन इस घटना के बाद थोड़ा बदल गए। उन्होंने चोरी छोड़ने का फैसला किया और इमानदारी से काम ढूंढ़ने लगे। सुरभि और ममता ने भी मेहनत से गुलदस्ते बनाकर उनकी मदद की।
इस बदलाव के बीच, ममता ने महसूस किया कि उसकी ज़िंदगी सिर्फ गुलदस्ते बनाने तक सीमित नहीं रह सकती। उसने एक नजदीकी सिलाई सेंटर में दाखिला लिया। सुरभि ने शुरुआत में इसका विरोध किया, लेकिन रामकिशन ने ममता का साथ दिया।
“बेटी, तू सिलाई-कढ़ाई अच्छे से सीख ले। इससे तेरा भविष्य सुधर जाएगा,” रामकिशन ने कहा।
सिलाई सेंटर में ममता ने न सिर्फ हुनर सीखा, बल्कि नई सहेलियां भी बनाईं। वहां उसे अपनी तरह की कई लड़कियों के सपने सुनने को मिले।
ममता ने अपनी मेहनत से एक सिलाई मशीन खरीदी। अब वह अपने बनाए कपड़े बाजार में बेचने लगी। लोग उसके डिज़ाइनों की तारीफ करते। ममता की कमाई से परिवार की आर्थिक स्थिति सुधरने लगी।
एक दिन, ममता ने सुरभि से कहा, “माई, तुम्हारी बात सही थी। औरत की इज्जत कच्ची मिट्टी के घड़े जैसी होती है। पर अगर वह अपनी ताकत पहचाने, तो उसे कोई तोड़ नहीं सकता।”
सुरभि ने ममता को गर्व से देखा और उसे गले लगा लिया।