कनाडा ने हाल ही में अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए फास्ट-ट्रैक वीजा स्कीम, जिसे “स्टूडेंट डायरेक्ट स्ट्रीम” (एसडीएस) के नाम से भी जाना जाता है, को अचानक बंद करने का फैसला किया है। साथ ही, उन्होंने इस वर्ष विदेशी छात्रों की संख्या में 35% तक की कटौती करने का ऐलान किया है। कनाडा सरकार के इस अप्रत्याशित फैसले से भारत समेत कई देशों के छात्रों पर गहरा असर पड़ेगा। विशेषकर भारतीय छात्र, जो बड़ी संख्या में कनाडा में पढ़ाई के लिए जाते हैं, इस फैसले से प्रभावित होंगे। आइए जानते हैं कि इस कदम का कारण क्या है और इसका भारतीय छात्रों और भारत-कनाडा के संबंधों पर क्या असर होगा।

क्यों रद्द की गई एसडीएस योजना?
कनाडा सरकार ने 2018 में एसडीएस योजना की शुरुआत की थी। इस योजना का उद्देश्य था कि कुछ चुनिंदा देशों के छात्रों के लिए वीजा प्रक्रिया को तेज और सरल बनाया जा सके। भारत, चीन, फिलीपींस जैसे देशों के छात्रों को इसका लाभ मिल रहा था, जहां केवल कुछ हफ्तों में वीजा प्रक्रिया पूरी हो जाती थी। इस योजना के तहत भारतीय छात्रों के वीजा आवेदनों पर 20 कार्य दिवसों के भीतर कार्रवाई की जाती थी, जिससे भारतीय छात्रों को कनाडा में जल्दी प्रवेश का मौका मिलता था। लेकिन अब इस योजना को समाप्त कर दिया गया है, और वीजा प्रक्रिया में पहले से ज्यादा समय लग सकता है। इसके साथ ही, कनाडा में दाखिल होने वाले छात्रों की संख्या पर भी अब अधिक अंकुश लगाया जाएगा।
नई आव्रजन नीति और इसके पीछे की वजह
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने यह स्पष्ट किया है कि उनका देश अस्थायी निवासियों की संख्या को सीमित करना चाहता है, जिससे वीजा और आव्रजन प्रक्रिया में सुधार लाया जा सके। उनका कहना है कि आव्रजन प्रणाली के दुरुपयोग के चलते यह निर्णय लिया गया है, ताकि कनाडा में आपराधिक गतिविधियों और प्रणाली के दुरुपयोग को रोका जा सके। कनाडा सरकार ने यह भी कहा है कि वे अस्थायी निवासियों की संख्या कम करने पर विचार कर रहे हैं, ताकि स्थिरता और सुरक्षा बनी रहे।
भारत-कनाडा संबंधों में तनाव का असर
कनाडा का यह फैसला भारत और कनाडा के बीच कूटनीतिक तनाव के दौरान आया है। हाल ही में दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों में खटास आ गई है, और कनाडा में बसे भारतीयों पर जासूसी के आरोपों ने इस तनाव को और बढ़ा दिया है। ऐसे समय में कनाडा का विदेशी छात्रों के लिए इस तरह का कदम उठाना, कहीं न कहीं राजनीतिक और कूटनीतिक कारणों से भी प्रेरित माना जा रहा है।
भारतीय छात्रों पर पड़ने वाला प्रभाव
इस फैसले से कनाडा में अध्ययन कर रहे या अध्ययन के लिए जाने की इच्छा रखने वाले भारतीय छात्रों पर सीधा असर पड़ेगा। कनाडा में इस समय 4,27,000 भारतीय छात्र अध्ययन कर रहे हैं, जो अन्य सभी विदेशी छात्रों के मुकाबले सबसे ज्यादा हैं। भारतीय छात्र न केवल अपनी पढ़ाई बल्कि करियर के लिए भी कनाडा में जा रहे हैं, और एसडीएस योजना के तहत जल्दी वीजा मिलना उनके लिए एक महत्वपूर्ण लाभ था। अब इस योजना के बंद होने से वीजा की प्रतीक्षा अवधि में बढ़ोतरी हो जाएगी, और बहुत से छात्र शायद कनाडा में पढ़ने का सपना छोड़ भी सकते हैं।
शिक्षा, आव्रजन, और आर्थिक प्रभाव
कनाडा के विश्वविद्यालय और कॉलेज भारतीय छात्रों से प्राप्त ट्यूशन फीस से बड़े लाभ में रहते थे। इन छात्रों के दाखिलों से कनाडा की अर्थव्यवस्था को हर साल करोड़ों डॉलर की आय होती थी। अब, जब भारतीय छात्रों की संख्या में गिरावट आएगी, तो कनाडा के उच्च शिक्षा क्षेत्र को आर्थिक नुकसान हो सकता है। इसके अलावा, जो छात्र कनाडा में शिक्षा प्राप्त करने के बाद वहीं नौकरी करते थे, वे भी अब कठिनाइयों का सामना कर सकते हैं, क्योंकि उनकी वीजा प्रक्रिया अब अधिक जटिल हो जाएगी।
एसडीएस योजना की कमी के परिणाम
एसडीएस योजना के बंद होने से वीजा प्रक्रिया में समय बढ़ सकता है, जो पहले ही आठ सप्ताह तक जा सकता है। इसके साथ ही, कनाडा की सरकार वीजा परमिट की संख्या में भी कटौती कर रही है, जिससे छात्र आव्रजन प्रणाली में बड़ी चुनौती का सामना कर सकते हैं। भारतीय छात्रों को अब वीजा प्रक्रिया के लंबे समय से लेकर अन्य विकल्पों पर विचार करना पड़ सकता है, जैसे अन्य देशों में पढ़ाई के विकल्प ढूंढना।
भारत और कनाडा के संबंधों पर असर
भारत और कनाडा के संबंध पहले ही तनावपूर्ण हो चुके हैं, और इस नए कदम से यह और भी खराब हो सकते हैं। भारतीय छात्र, जो दोनों देशों के संबंधों में एक महत्वपूर्ण कड़ी थे, अब इस बदलाव के कारण निराश हो सकते हैं। कनाडा में बसे भारतीय नागरिक और छात्र अपने भविष्य के बारे में अनिश्चितता महसूस कर रहे हैं। यदि इसी तरह के कदम जारी रहे तो यह भारत-कनाडा के व्यापारिक और शैक्षणिक संबंधों पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं।
निष्कर्ष:
कनाडा का यह कदम न केवल भारत के छात्रों के लिए चुनौतीपूर्ण है, बल्कि भारत-कनाडा संबंधों में भी एक नई दरार पैदा कर सकता है। छात्रों के भविष्य पर पड़े इस प्रभाव के मद्देनजर, भारत और कनाडा के बीच जल्द ही किसी समाधान की आवश्यकता है, ताकि भारतीय छात्रों को अन्य विकल्पों पर विचार करने के लिए मजबूर न होना पड़े।