बदलती जिंदगी – मोटिवेशनल कहानी (Motivational Story In Hindi)

9 Min Read

पत्नी के अंतिम संस्कार और तेरहवीं के बाद रिटायर्ड मास्टर गोपाल ने अपने गांव को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया। गोपाल का गांव शांत, सादा और अपनी मिट्टी की खुशबू से भरा हुआ था। लेकिन अब वहां उनकी यादें ही बची थीं। उनका बेटा राजेश कई सालों से दिल्ली में एक बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी में काम कर रहा था और वहीं अपने परिवार के साथ रहता था। राजेश ने कई बार अपने पिता को दिल्ली आने का आग्रह किया था, लेकिन गोपाल अपनी मिट्टी से दूर होने को तैयार नहीं थे। लेकिन अब, अकेलेपन और उम्र के बोझ ने उन्हें अपने बेटे के आलीशान घर में रहने के लिए मजबूर कर दिया।

बदलती जिंदगी – मोटिवेशनल कहानी (Motivational Story In Hindi)

जैसे ही गोपाल दिल्ली पहुंचे, उनका सामना एक ऐसी दुनिया से हुआ, जिसकी कल्पना उन्होंने कभी नहीं की थी। राजेश का घर एक बड़े अपार्टमेंट में था, जहां हर सुविधा मौजूद थी। दरवाजे पर कदम रखते ही उनकी नजरें चमचमाते फर्श और गुदगुदे मैट पर पड़ीं। वे ठिठक गए। उनके मिट्टी से सने पैर ऐसे सजीले फर्श पर रखने में झिझक रहे थे। राजेश ने मुस्कुराते हुए कहा, “आइये बाबूजी, अंदर आइये। चिंता मत कीजिए। ये सब आपकी सेवा के लिए है।”

गोपाल ने हिचकिचाते हुए कदम बढ़ाए और जैसे ही सोफे पर बैठे, उनकी चीख निकल गई। “अरे रे! मर गया रे।” नरम गद्दे में धंसते ही वे हड़बड़ा गए। राजेश और बहू संगीता उनकी इस प्रतिक्रिया पर हंस पड़े। संगीता बोली, “बाबूजी, ये मॉडर्न सोफा है। इसमें आराम मिलेगा। आपको इसकी आदत हो जाएगी।”

चाय के बाद राजेश ने अपने पिता को घर दिखाने का प्रस्ताव रखा। बड़े से लिविंग रूम से शुरू होकर घर में चार बड़े-बड़े कमरे, एक जिम, और एक गार्डन एरिया था। रसोई में हर जगह मॉड्यूलर सेटअप और चमचमाते उपकरण थे। गोपाल के लिए यह सब किसी सपने जैसा था। उन्होंने अपने पुराने मिट्टी के चूल्हे और पीतल के बर्तनों को याद किया।

जब वे बालकनी में पहुंचे, तो राजेश ने कहा, “बाबूजी, यहां से पूरे शहर का नजारा दिखता है। ये दिल्ली है – सपनों का शहर।” लेकिन गोपाल की आंखों में गांव के पीपल का पेड़, खेतों की हरियाली और वह ताजा हवा तैर गई। उन्होंने बुदबुदाते हुए कहा, “बड़ा तो है बेटा, पर अपना सा नहीं लगता।”

आगे पढ़े

1. पति के घर में मेरी पहली शाम : मोटिवेशनल कहानी(Motivational Story In Hindi)

2. बेच दी गई जिंदगी – संघर्ष और सफलता की प्रेरणादायक कहानी (Motivational Story In Hindi)

3. एक बेटी की ख्वाहिश – मोटिवेशनल कहानी (Motivational Story In Hindi)

4. गलती से सीख – मोटिवेशनल कहानी (Motivational Story In Hindi)

5. कभी न माफ़ की जाने वाली गलती – एक खौ़फनाक कहानी

6. घर की असली मैनेजर – मोटिवेशनल कहानी (Motivational Story In Hindi)

7. पहलवान और अठन्नी – मोटिवेशनल कहानी (Motivational Story In Hindi)

8. शादी की पहली रात – मोटिवेशनल कहानी (Motivational Story In Hindi)

9.खिड़की से झाँकती नज़रे – मोटिवेशनल कहानी (Motivational Story In Hindi)

10. एक बेटी की ख्वाहिश – मोटिवेशनल कहानी (Motivational Story In Hindi)

11. एक अजीब समझौता – लखनऊ में सिपाही और युवती की अनोखी प्रेम कहानी

12. वह मोड़, मुझे तुमसे फिर से प्यार हुआ – मोटिवेशनल कहानी (Motivational Story In Hindi)

13. पापा की परी – मोटिवेशनल कहानी (Motivational Story In Hindi)

14. परिवार की ताकत – मोटिवेशनल कहानी

गोपाल को दिल्ली में अपनी दिनचर्या से तालमेल बिठाने में समय लग रहा था। राजेश और संगीता दोनों नौकरी पर जाते थे। घर में काम करने के लिए नौकर और साफ-सफाई के लिए मशीने थीं। सुबह से शाम तक गोपाल घर में अकेले होते। वे बार-बार अपने कमरे के खिड़की से बाहर देखते, जहां बड़ी-बड़ी इमारतों के अलावा कुछ दिखाई नहीं देता।

उनकी दिनचर्या अब बदल चुकी थी। गांव में सुबह की शुरुआत गीता के पाठ और पक्षियों की चहचहाहट से होती थी, लेकिन यहां यह सब शोर में खो चुका था। एक दिन, उन्होंने राजेश से कहा, “बेटा, तुम्हारे ऑफिस जाने के बाद घर बहुत सूना लगता है।” राजेश ने सुझाव दिया, “बाबूजी, आप टीवी देख लिया कीजिए या लाइब्रेरी से कोई किताब मंगवा लें।”

एक दिन संगीता ने गोपाल को बाजार ले जाने की बात कही। “बाबूजी, चलिए, आपको यहां की मार्केट दिखाती हूं। यहां सब कुछ मिलता है।” गोपाल बड़े उत्साह के साथ तैयार हो गए। लेकिन जब वे बाजार पहुंचे, तो वहां की भीड़-भाड़ और तेज रफ्तार से वे घबरा गए।

उन्होंने देखा कि हर कोई अपने में व्यस्त है। किसी को किसी की परवाह नहीं। गांव के छोटे से बाजार में हर कोई एक-दूसरे को जानता था। लेकिन यहां, अनजाने चेहरों की भीड़ में वे अकेला महसूस कर रहे थे।

रात में बिस्तर पर लेटे हुए गोपाल गांव की यादों में खो जाते। उनकी पत्नी का चेहरा उनकी आंखों के सामने घूमने लगता। उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी सादगी और संतोष के साथ बिताई थी। लेकिन अब यह सब उन्हें बहुत दूर लगता था।

राजेश ने कई बार अपने पिता के मन की उदासी को भांपने की कोशिश की। एक दिन उन्होंने पूछा, “बाबूजी, आप खुश तो हैं न यहां?” गोपाल ने हल्की मुस्कान के साथ कहा, “हां बेटा, खुश हूं। बस, थोड़ा समय लगेगा।”

गोपाल ने खुद को व्यस्त रखने के लिए घर के पास बने पार्क में जाना शुरू किया। वहां उन्हें कई वृद्ध लोग मिलते, जो अपनी कहानियां सुनाते। धीरे-धीरे गोपाल का मन वहां लगने लगा। उन्होंने महसूस किया कि भले ही वह गांव में नहीं हैं, लेकिन यहां भी वे अपने लिए एक छोटी सी दुनिया बना सकते हैं।

एक दिन, उन्होंने पार्क में मिलने वाले एक बुजुर्ग से कहा, “भाई साहब, गांव का सुकून यहां नहीं मिलता।” उस व्यक्ति ने मुस्कुराते हुए कहा, “सुकून तो मन में होता है। इसे कहीं भी ढूंढ सकते हैं। बस अपने नजरिये को बदलना होगा।”

धीरे-धीरे, गोपाल ने अपनी दिनचर्या को बदल लिया। उन्होंने संगीता से कहा, “बेटा, मुझे यहां के बाजार से ताजी सब्जियां लाने दो।” वे रोज सुबह पार्क जाते, वहां लोगों से मिलते और अपनी छोटी सी दुनिया में रमने लगे।

राजेश और संगीता ने जब अपने पिता को खुश देखा, तो उनकी चिंता कम हो गई। एक दिन राजेश ने कहा, “बाबूजी, आप हमारे साथ रहकर खुश हैं, तो हम भी खुश हैं। आप हमारे लिए गांव की वो छांव हैं, जो हमें याद दिलाती है कि सादगी और संतोष सबसे बड़ी पूंजी है।”

समय के साथ, गोपाल ने दिल्ली को अपनाना सीख लिया। उन्होंने महसूस किया कि खुशियां जगह या चीजों से नहीं, बल्कि अपने दृष्टिकोण और परिवार के साथ से मिलती हैं।

एक दिन, उन्होंने राजेश से कहा, “बेटा, यह घर बड़ा है, लेकिन तुम्हारे और संगीता के साथ से यह मेरा संसार बन गया है।” राजेश ने मुस्कुराते हुए कहा, “बाबूजी, यह घर तभी पूरा होता है, जब आप यहां हों।”

गांव की मिट्टी से दिल्ली के आलीशान अपार्टमेंट तक का सफर, गोपाल के लिए एक नई जिंदगी की शुरुआत थी। उन्होंने यह सीख लिया कि जीवन की हर परिस्थिति में खुशियां ढूंढी जा सकती हैं, बस उन्हें देखने का नजरिया बदलना जरूरी है।

Share This Article
Leave a Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Exit mobile version