जब पत्नी ही बेपरवाह हो जाए – एक प्रेरणादायक कहानी जो रिश्तों में प्यार, परवाह और आपसी समझ की अहमियत को दर्शाती है। पढ़ें इस हिंदी मोटिवेशनल स्टोरी में एक रिश्ते की सच्चाई।
रवि ऑफिस से थका-हारा घर लौटा तो देखा, लिविंग रूम में हर तरफ सामान बिखरा पड़ा था। कॉफी टेबल पर अधखाया पिज्जा रखा था, सोफे पर कपड़े फैले थे, और टीवी पर कोई फैशन शो चल रहा था। वह चुपचाप अंदर गया और देखा कि उसकी पत्नी नेहा अपने फोन में बिज़ी थी।
“नेहा, कम से कम घर थोड़ा संभाल लिया करो,” उसने धीरे से कहा।
नेहा ने बिना नज़र उठाए जवाब दिया, “अभी बहुत काम है, रवि। इंस्टाग्राम पर एक रील अपलोड करनी है। क्लाइंट्स वेट कर रहे हैं।”
रवि ने लंबी सांस ली। पहले नेहा ऐसी नहीं थी। शादी से पहले वह प्यार करने वाली, ध्यान रखने वाली लड़की थी, लेकिन अब… अब जैसे उसे अपने पति या घर की कोई परवाह ही नहीं थी।
शादी को दो साल हुए थे, लेकिन रवि को अब वह अपनापन महसूस नहीं होता था। पहले नेहा छोटी-छोटी चीज़ों का ध्यान रखती थी—ऑफिस से आने के बाद पानी देना, खाने के बारे में पूछना, और दिनभर की बातें शेयर करना। लेकिन अब, जैसे वह एक अलग ही दुनिया में जी रही थी—सोशल मीडिया, पार्टीज़, और खुद की लाइफस्टाइल।
“आज ऑफिस में बहुत स्ट्रेस था,” रवि ने बात शुरू की, यह उम्मीद करते हुए कि नेहा सुनेगी।
“अच्छा, हाँ… मेरी पोस्ट पर 5000 लाइक्स आ गए!” नेहा ने खुशी से कहा, उसकी बात को पूरी तरह अनसुना करते हुए।
रवि ने खुद को रोक लिया। अब उसे समझ आ गया था कि उसकी बातें, उसकी परेशानियाँ अब नेहा के लिए मायने नहीं रखतीं।
धीरे-धीरे रवि को समझ में आने लगा कि उसकी पत्नी की प्राथमिकताएँ बदल चुकी हैं। सुबह उठते ही वह योगा और हेल्दी ब्रेकफास्ट की तस्वीरें पोस्ट करने में बिज़ी हो जाती, फिर पूरा दिन अपनी ऑनलाइन फॉलोइंग बढ़ाने में लगी रहती। घर में कितना भी बिखराव हो, रवि कितना भी परेशान हो, नेहा की दुनिया में सिर्फ एक ही चीज़ थी—वह खुद।
एक दिन, रवि को तेज़ बुखार हो गया। उसने उम्मीद की कि नेहा उसे थोड़ा संभालेगी, लेकिन…
“अरे यार, रवि! तुमने बताया क्यों नहीं कि तुम बीमार हो? मैंने अभी अपनी फ्रेंड्स के साथ पार्टी प्लान की थी!” नेहा ने शिकायत करते हुए कहा।
रवि ने फीकी हंसी हंस दी। “कोई बात नहीं, तुम जाओ। मैं खुद दवा ले लूंगा।”
नेहा ने राहत की सांस ली और तुरंत तैयार होने चली गई।
रवि बिस्तर पर लेटा हुआ सोचता रहा—क्या यही शादी होती है? जब पत्नी सिर्फ अपने बारे में सोचने लगे और पति उसके लिए बस एक ‘ऑप्शन’ बन जाए?
एक शाम, रवि जल्दी घर आया और देखा कि नेहा अपने दोस्तों के साथ वीडियो कॉल पर थी।
“अरे, हाय डार्लिंग! कैसा दिन था?” उसने मुस्कुराते हुए रवि से पूछा।
रवि को एक पल के लिए अच्छा लगा कि नेहा ने उसकी सुध ली, लेकिन फिर अगला ही वाक्य सुनकर उसकी उम्मीदें टूट गईं।
“बेस्ट पार्ट पता है क्या? मैंने आज एक नए ब्रांड के लिए प्रमोशन किया और मुझे अगले महीने ट्रिप पर जाना है! अकेले! कितना मज़ा आएगा!”
रवि ने उसे देखा, शायद उम्मीद में कि वह मज़ाक कर रही होगी। लेकिन नेहा पूरी तरह से सीरियस थी।
“तुम अकेले ट्रिप पर जा रही हो? मतलब मैं कहीं नहीं आता तुम्हारी प्लानिंग में?”
“अरे, तुम क्या करोगे वहाँ? मैं अपनी इंडिपेंडेंस एंजॉय करना चाहती हूँ। और वैसे भी, तुम तो हमेशा बोरिंग बातें करते हो!”
रवि के दिल में कुछ टूट गया। वह समझ गया कि अब वह सिर्फ नेहा के लिए एक “मजबूरी” बनकर रह गया था।
रवि ने सोचा कि शायद उसे नेहा से बात करनी चाहिए।
“नेहा, क्या हम थोड़ी देर बैठकर बातें कर सकते हैं?”
“अभी नहीं, रवि। मेरी ऑनलाइन मीटिंग है। और वैसे भी, बातें ही तो करते रहते हैं न हम!”
रवि के पास अब शब्द नहीं बचे थे। प्यार में, शादी में, रिश्ता दोनों तरफ से निभाया जाता है। लेकिन यहाँ, सिर्फ एक ही इंसान था जो रिश्ता बचाने की कोशिश कर रहा था—रवि।
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एक दिन, रवि ने तय कर लिया कि वह अब खुद को और ज्यादा तकलीफ नहीं देगा।
नेहा अपने लैपटॉप पर बैठी हुई थी, जब रवि ने कहा, “मैं कुछ दिनों के लिए माँ-पापा के पास जा रहा हूँ। शायद हमें दोनों को सोचने के लिए थोड़ा वक्त चाहिए।”
नेहा ने बस एक नज़र उठाई और कहा, “ओके, बाय।”
रवि के दिल में अब कोई उम्मीद नहीं बची थी। वह दरवाज़ा बंद करके चला गया, यह सोचते हुए कि शायद प्यार में सबसे बड़ा दर्द यही होता है—जब सामने वाला तुम्हारी कद्र करना ही छोड़ दे।