ऑपरेशन का दिन : मोटिवेशनल कहानी(Motivational Story In Hindi)

9 Min Read

ऑपरेशन का दिन – एक प्रेरणादायक कहानी जो जीवन में संघर्ष, हिम्मत और उम्मीद की सच्ची ताकत को दर्शाती है। पढ़ें इस प्रेरक कहानी को और पाएं आत्मविश्वास और प्रेरणा।

ऑपरेशन का दिन : मोटिवेशनल कहानी(Motivational Story In Hindi)

राकेश ने जैसे ही घर में कदम रखा, उसने देखा कि मालती अपने पुराने सिलाई मशीन के पास बैठी थी, हल्के-हल्के पैर चलाते हुए। वह अक्सर अपने समय को इसी तरह बिताती थी—घर के छोटे-मोटे कामों में खुद को व्यस्त रखते हुए।

“मालती, सुनो ज़रा…” राकेश ने बैग टेबल पर रखा और सीधा उसके पास आकर बोला।

मालती ने सिलाई रोकते हुए उसकी ओर देखा, “हाँ, बोलो न!”

“वैशाली कुछ दिन के लिए हमारे घर रहने आ रही है।”

मालती के हाथ वहीं रुक गए, उसने सवालिया निगाहों से राकेश को देखा।

“वैशाली?” उसकी आवाज़ में हल्का सा संकोच था।

“हाँ, वैशाली! और सुनो, उसके सामने कोई तमाशा मत करना।”

और पढ़े

  1. पर्सनल फाइनेंस के 10 जादुई नियम: अपनी दौलत को तेजी से बढ़ाने के आसान टिप्स
  2. घर खरीदने की बजाय समझदारी से निवेश करें और भविष्य को सुरक्षित बनाएं!
  3. मिडिल क्लास की गरीबी की 5 चौंकाने वाली वजह: पैसों की गलत सोच और बड़ी गलतियां
  4. 7 तरीके: होम लोन ट्रैप से कैसे बचें
  5. घर खरीदने की बजाय समझदारी से निवेश करें और भविष्य को सुरक्षित बनाएं!
  6. हर महीने सैलरी कैसे संभालें: स्मार्ट फाइनेंशियल प्लानिंग के तरीके
  7. कर्ज खत्म करने के 10 जादुई तरीके
  8. 5000 रुपये हर महीने बचाकर, SIP से कैसे बन सकते हैं करोड़पति?
  9. पैसे बचाने के 10 देसी तरीके
  10. कर्ज़ के जाल से बचने के कारण और सरल उपाय
  11. आपकी गरीबी के 10 कारण: जानिए क्यों आप गरीबी से बाहर नहीं निकल पा रहे
  12. कैसे छोटी-छोटी 15 आदतें बना सकती हैं आपको हीरो?
  13. कर्ज के मुख्य कारण और इससे बचने के आसान तरीके
  14. पैसे नहीं बचते? अब होगी बचत की बारिश! जानें 6 आसान और असरदार तरीके
  15. लॉन्ग-डिस्टेंस रिलेशनशिप को मजबूत बनाने के लिए 10 जरूरी टिप्स!

मालती की भौहें तन गईं। “तमाशा? मैं क्यों तमाशा करूँगी?” उसने थोड़ा रूखे स्वर में पूछा।

राकेश ने एक गहरी सांस ली, “देखो, मम्मी-पापा अब रहे नहीं। मायके के नाम पर उसके पास अब हमारे सिवा कौन है? मैंने उसे बताया था कि तुम्हारा पथरी का ऑपरेशन होना है और डॉक्टर ने कहा है जितनी जल्दी हो सके, उतनी जल्दी करा लो।”

“तो?” मालती ने ठंडी आवाज़ में कहा।

“तो वो बस तुम्हारी बहुत चिंता कर रही थी, शायद खुद को रोक नहीं पाई आने से। बच्चों को सास-ससुर के पास छोड़कर यहाँ आ रही है।”

मालती चुप रही। उसके मन में पुरानी यादें उमड़ने लगीं।

वैशाली, राकेश की छोटी बहन, मालती से हमेशा ही थोड़ा अलग रही थी। शुरू से ही उसके विचार थोड़े खुले और आधुनिक थे। जब उसकी शादी हुई थी, तो उसने कभी भी मायके की तरफ ज्यादा ध्यान नहीं दिया था। सालों तक वह अपनी नई दुनिया में व्यस्त रही, और जब भी आई, एक मेहमान की तरह आई। मालती को हमेशा यही लगा कि वैशाली को अपने मायके से कोई खास लगाव नहीं है।

मालती को याद आया जब उसकी शादी हुई थी, तो वैशाली उस वक़्त भी इतनी घुली-मिली नहीं थी। एक बहन की तरह वो ज़रूर थी, लेकिन कोई गहरी आत्मीयता नहीं झलकती थी।

अब अचानक यह चिंता? यह अपनापन?

मालती के भीतर एक द्वंद्व चलने लगा। क्या यह सिर्फ एक औपचारिकता थी, या फिर सच में वैशाली को उसकी चिंता थी?

अगले दिन सुबह-सुबह दरवाज़े की घंटी बजी।

राकेश ने दरवाजा खोला तो सामने वैशाली खड़ी थी, हल्की मुस्कान के साथ। उसके हाथ में एक बैग था और चेहरे पर हल्की थकान।

“भैया!” उसने हौले से कहा और भीतर आ गई।

“कैसी हो?” राकेश ने पूछा।

“अच्छी हूँ… भाभी कैसी हैं?” उसने अंदर झांकते हुए कहा।

मालती रसोई से बाहर आई। उसने हल्की मुस्कान के साथ वैशाली को देखा, “कैसी हो वैशाली?”

“तुम बताओ भाभी, कैसी हो? डॉक्टर ने क्या कहा?” वैशाली ने सीधे मालती का हाथ पकड़ लिया।

मालती को एक पल को अजीब सा लगा, लेकिन उसने खुद को सहज रखा। “अभी देख रहे हैं… डॉक्टर ने जल्दी ऑपरेशन कराने को कहा है।”

“तो फिर देर किस बात की? भैया, हम कल ही डॉक्टर के पास चलेंगे।” वैशाली ने दृढ़ता से कहा।

राकेश ने सहमति में सिर हिलाया, “हाँ, यही सोच रहा था।”

मालती ने वैशाली की आँखों में देखा। वहां कोई बनावट नहीं थी, कोई औपचारिकता नहीं थी। सिर्फ एक सच्ची चिंता थी।

अगले दो दिन वैशाली ने घर के सारे काम खुद संभाल लिए। उसने रसोई में मालती को हाथ तक नहीं लगाने दिया। सुबह की चाय से लेकर रात के खाने तक, वह सब कुछ कर रही थी।

राकेश अक्सर बाहर ही होता था, लेकिन जब वह आता, तो देखता कि वैशाली और मालती साथ में बातें कर रही हैं।

“भाभी, याद है बचपन में हम जब गर्मी की छुट्टियों में आते थे, तो मम्मी-पापा हमें छत पर सोने देते थे?” वैशाली ने एक रात खाने के बाद हंसते हुए कहा।

मालती मुस्कुराई, “हाँ, और तुम हमेशा डर जाती थी कि कोई चोर छत से कूदकर आ जाएगा।”

“अरे हाँ! और भैया हमें डराने के लिए झूठी कहानियाँ सुनाते थे।” वैशाली खिलखिला उठी।

राकेश ने हंसते हुए सिर झुका लिया, “अब पुरानी बातें मत निकालो।”

तीसरे दिन, मालती का ऑपरेशन हुआ। वैशाली अस्पताल में हर पल उसके साथ रही। जब मालती ऑपरेशन के बाद बेहोश थी, तब भी वह वहीं बैठी रही। उसने राकेश से कहा कि वह घर जाकर आराम करे, लेकिन खुद एक मिनट के लिए भी नहीं हिली।

जब मालती को होश आया, तो उसने देखा कि वैशाली उसकी पलंग के पास बैठी थी, उसकी उंगलियाँ मालती की हथेली को हल्के-हल्के सहला रही थीं।

“कैसी हो भाभी?” वैशाली ने हल्की मुस्कान के साथ पूछा।

मालती की आँखों में नमी आ गई। उसने पहली बार वैशाली को एक बहन की तरह महसूस किया।

“अच्छी हूँ…” उसने धीरे से कहा।

वैशाली की आँखों में भी नमी थी।

“भाभी, माफ करना…” वैशाली ने धीमे से कहा।

“किसलिए?” मालती ने हैरानी से पूछा।

“इतने सालों तक तुमसे दूर रहने के लिए। मम्मी-पापा के जाने के बाद भी मैं कभी यह महसूस नहीं कर पाई कि मेरा भी मायका है, मेरे भी अपने हैं।” वैशाली ने भावुक होकर कहा।

मालती ने धीरे से वैशाली का हाथ पकड़ा, “कोई मायका या ससुराल नहीं होता वैशाली… बस अपने होते हैं। बस हमें पहचानने में कभी-कभी देर हो जाती है।”

मालती जब अस्पताल से घर लौटी, तो वैशाली ने उसे एक आरामदायक कुर्सी पर बैठाया और कहा, “अब एक महीने तक सिर्फ आराम। कोई काम नहीं।”

मालती ने हल्का सा सिर हिलाया, उसकी आँखों में आभार था।

तीन दिन बाद, जब वैशाली जाने लगी, तो मालती के मन में एक अजीब सा खालीपन था।

“भाभी, अब जल्दी ठीक हो जाना। और हाँ, अब मैं बार-बार आऊँगी, सिर्फ बहन की तरह, मेहमान बनकर नहीं।”

मालती की आँखें छलक पड़ीं, “अब अगर नहीं आई, तो मैं खुद लेने आऊँगी।”

राकेश दरवाजे के पास खड़ा मुस्कुरा रहा था। उसने कभी नहीं सोचा था कि वैशाली और मालती के बीच एक नई शुरुआत होगी।

वैशाली ने विदा ली, लेकिन इस बार वह एक बहन की तरह लौटी थी।

रिश्तों को समझने में कभी-कभी वक्त लग जाता है, लेकिन जब रिश्ते सच्चे होते हैं, तो वे हर हाल में अपना रास्ता बना ही लेते हैं।

Share This Article
Leave a Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Exit mobile version