नई कलेक्टर – मोटिवेशनल कहानी (Motivational Story In Hindi)

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नई कलेक्टर की कहानी, एक प्रेरणादायक (मोटिवेशनल) अनुभव के माध्यम से, जानिए कैसे उनका नेतृत्व और सादगी कलेक्ट्रेट ऑफिस में बदलाव लाते हैं। पढ़ें यह रोचक कहानी जो हर कर्मचारी के लिए प्रेरणादायक है।

नई कलेक्टर – मोटिवेशनल कहानी (Motivational Story In Hindi)

कलेक्ट्रेट कार्यालय में आज कुछ खास था। जैसे ही नई कलेक्टर मैम का आगमन हुआ, सभी कर्मचारी वर्ग में एक हलचल मच गई थी। कलेक्टर के दफ्तर में काम करने वाले सभी लोग एक साथ जुटे हुए थे, और हर किसी की आँखों में एक नई उम्मीद और उत्साह था। इस बार कलेक्टर कोई सामान्य अधिकारी नहीं थे, बल्कि एक महिला कलेक्टर थीं। शहर की पहली महिला कलेक्टर, और सभी को यकीन था कि उनके आने से कलेक्ट्रेट के माहौल में कुछ न कुछ बदलाव जरूर आएगा।

कई लोग मान रहे थे कि वह बहुत सख्त होंगी, जबकि कुछ सोच रहे थे कि उनका तरीका बहुत नरम और समझदारी से भरा होगा। लेकिन एक बात जो सभी को तय लग रही थी, वह यह थी कि कलेक्टर के आने से बदलाव तो होना ही था।

ठीक सवा दस बजे, कलेक्टर मैम की सफेद गाड़ी कलेक्ट्रेट के प्रांगण में दाखिल हुई। गाड़ी के आते ही सभी कर्मचारी लाइन में खड़े हो गए, और हाथों में गुलदस्ते लिए कलेक्टर का स्वागत करने के लिए तैयार हो गए। बड़े बाबू ने तुरंत दौड़कर गाड़ी का दरवाजा खोला।

सफेद अरगंडी कड़ी क्रीच की साड़ी पहने, आंखों पर पावर का चश्मा लगाए, हाथ में डायरी और मोबाइल लिए कलेक्टर मैम बड़ी ही शालीनता से गाड़ी से उतरीं। उनकी मौजूदगी में एक अलग ही रौनक थी। उनके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान और आँखों में आत्मविश्वास था। उनका हर कदम सुघड़ता और शिष्टता से भरा हुआ था। वह सभी को नमस्कार करती हुई, गुलदस्ते स्वीकार करती हुई धीरे-धीरे आगे बढ़ रही थीं।

 

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स्टाफ की लाइन के आखिरी में कलर्क अमित यादव खड़े थे। वह एक साधारण व्यक्ति थे, लेकिन उनकी आँखों में कुछ ऐसा था जो हर किसी को आकर्षित कर सकता था। अमित का चेहरा थोड़ी असहजता का संकेत दे रहा था। कलेक्टर मैम के पास आते ही, जैसे ही उनका ध्यान अमित पर गया, वह एक क्षण के लिए उसे देख रही थीं।

अमित सिर झुके हुए गुलदस्ता कलेक्टर मैम की ओर बढ़ाते हुए, हल्के से सिर झुका कर खड़ा हो गया। उसकी नजरें जमीन पर थीं, जैसे वह किसी से बात करने के लिए तैयार नहीं था। कलेक्टर मैम ने गुलदस्ता लिया और मुस्कुराते हुए उसकी ओर देखा। उनकी मुस्कान से कोई भी व्यक्ति सहज महसूस कर सकता था।

बड़े बाबू ने कलेक्टर मैम को उनके केबिन में ले जाया, और कुछ देर बाद कलेक्ट्रेट के सभी कर्मचारी मैम के केबिन में खड़े थे। बड़े बाबू ने सभी का परिचय देना शुरू किया। वह एक-एक करके सभी का नाम, पद, और जिम्मेदारियाँ बताते जा रहे थे।

अमित यादव दूसरी पंक्ति में खड़ा था, और उसके चेहरे पर गहरी असहजता थी। वह किसी भी हालत में कलेक्टर मैम के सामने न आना चाहता था। उसकी परेशानी उसके चेहरे पर साफ दिखाई दे रही थी। जब उसकी बारी आई, तो कलेक्टर मैम ने बड़े बाबू से कहा, “आप क्यों सभी का परिचय दे रहे हैं? उन्हें अपना परिचय खुद देने दीजिए।”

अमित को यह सुनकर हल्का सा झटका लगा, लेकिन उसने अपनी असहजता को छिपाते हुए बेमन से कहा, “मैं अमित यादव, यहां कलर्क हूं।” इतना कहकर, वह जल्दी से केबिन से बाहर निकल गया। बड़े बाबू ने उसे जाते हुए देखा, और उनका चेहरा इस बात से संतुष्ट नहीं था कि अमित ने इस तरह बिना किसी बातचीत के बाहर जाना ठीक समझा।

कलेक्ट्रेट कार्यालय के अन्य कर्मचारी काम में व्यस्त हो गए थे। कुछ कर्मचारी कलेक्टर मैम के बारे में बातें कर रहे थे, उनकी सादगी, सुंदरता और व्यवहार की चर्चा कर रहे थे। सभी का मानना था कि वह सही मायने में एक आदर्श महिला हैं।

अमित अपनी टेबल पर चुपचाप बैठा था। उसका चेहरा गंभीर था, और वह इस पूरी घटना के बारे में सोच रहा था। उसकी आँखों में कहीं न कहीं गहरी बेचैनी छुपी हुई थी। अचानक, बड़े बाबू ने अमित के पास आकर थोड़ी नाराजगी के साथ कहा, “अमित बाबू, आपको इस तरह से मैम के केबिन से बाहर नहीं जाना चाहिए था। उन्हें बुरा लगा होगा।”

अमित चुप रहा। उसने कोई जवाब नहीं दिया और अपनी फाइल पर नजरें झुकाए रखा। बड़े बाबू ने कुछ देर के बाद उसे ऐसे ही छोड़ दिया और चले गए।

अगले दिन, अमित ड्यूटी पर नहीं आया। बड़े बाबू को फोन पर पता चला कि उसकी तबियत ठीक नहीं है। हालांकि, बड़े बाबू को यह बहुत अजीब सा लगा। अमित कभी भी बिना कारण अनुपस्थित नहीं रहता था।

दूसरे दिन, जब अमित की अनुपस्थिति बढ़ी, तो बड़े बाबू ने कलेक्टर मैम को इस बारे में जानकारी दी। कलेक्टर मैम ने उसे ध्यान से सुना, और फिर एक ठंडी सांस ली। वह जानती थीं कि अमित किसी कारणवश ड्यूटी पर नहीं आ रहा था, लेकिन वह यह भी समझती थीं कि अमित का व्यवहार कुछ और ही संकेत दे रहा था।

कुछ दिन बाद, कलेक्टर मैम ने अमित को बुलाया। वह उसके बारे में जानना चाहती थीं, और उन्होंने यह महसूस किया कि अमित शायद खुद को किसी कारणवश कलेक्टर के सामने असहज महसूस कर रहा है।

अमित को बुलाए जाने पर वह थोड़ा चौंका, लेकिन फिर उसने खुद को संयमित किया। कलेक्टर मैम ने उसे बैठने के लिए कहा और फिर अपनी धीमी आवाज में पूछा, “अमित, तुम ठीक हो?”

अमित ने सिर झुकाते हुए कहा, “जी, मैम, मैं ठीक हूं। बस कुछ व्यक्तिगत परेशानियाँ हैं।”

कलेक्टर मैम ने एक हल्की सी मुस्कान के साथ कहा, “अगर तुम कभी किसी परेशानी में हो, तो मुझे बताइए। मैं तुम्हारी मदद करने के लिए हमेशा यहां हूं।”

अमित के चेहरे पर थोड़ी राहत की लकीरें आ गईं। वह जानता था कि कलेक्टर मैम का व्यवहार सच्चा और समझदार था। उसे अब यह समझ में आ गया था कि असहजता सिर्फ मानसिक स्थिति थी, और कलेक्टर के साथ संबंधों में सही मार्गदर्शन ही सबसे महत्वपूर्ण था।

अमित ने एक गहरी सांस ली और कहा, “धन्यवाद, मैम। मैं अपने सभी कार्यों में पूरी ईमानदारी से सुधार लाऊंगा।”

इस संवाद के बाद, अमित के चेहरे पर हल्की मुस्कान लौट आई। उसे महसूस हुआ कि कलेक्टर मैम न सिर्फ काम के मामलों में बल्कि कर्मचारियों के मानसिक संतुलन को भी समझती हैं।

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