रूस का नया हाइपरसोनिक मिसाइल: WW3 की दिशा में दुनिया?

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रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध ने अब एक खतरनाक मोड़ ले लिया है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने हाल ही में “ओरेशनिक” नामक एक नई हाइपरसोनिक बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया और दावा किया कि इसे रोक पाना दुनिया के किसी भी एयर डिफेंस सिस्टम के लिए असंभव है। यह दावा केवल यूक्रेन ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय बन गया है। विशेषज्ञ इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि क्या यह युद्ध तीसरे विश्व युद्ध की भूमिका तैयार कर रहा है।

रूस का नया हाइपरसोनिक मिसाइल: WW3 की दिशा में दुनिया?

रूस के नए दावे और खतरे का विस्तार

पुतिन का कहना है कि “ओरेशनिक” मिसाइल इतनी तेज और प्रभावी है कि इसे रोकने का कोई तरीका नहीं है। उन्होंने कहा, “दुनिया में ऐसी कोई प्रणाली नहीं है जो इस मिसाइल का मुकाबला कर सके।” यह मिसाइल एक बार में कई वारहेड्स फायर कर सकती है, जिससे इसे रोकना और अधिक मुश्किल हो जाता है। हालांकि, पश्चिमी विशेषज्ञ इस दावे को चुनौती दे रहे हैं।

ओस्लो न्यूक्लियर प्रोजेक्ट के रिसर्च फेलो फैबियन हॉफमैन ने सीएनएन को बताया कि अमेरिका और इज़राइल के एयर डिफेंस सिस्टम, जैसे कि SM-3, एगिस एशोर, एरो 3 और THAAD, इस मिसाइल को रोकने में सक्षम हो सकते हैं। लेकिन यह प्रक्रिया बेहद महंगी होगी क्योंकि इस मिसाइल को रोकने के लिए बड़ी संख्या में इंटरसेप्टर मिसाइलों की आवश्यकता होगी।

यूक्रेन के लिए नई चुनौती

यूक्रेन के पास इन एडवांस्ड एयर डिफेंस सिस्टम की कमी है, जो इसे इस मिसाइल से बचाव करने में अक्षम बनाता है। यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने अपने सहयोगियों से नई एयर डिफेंस तकनीक विकसित करने की अपील की है। उन्होंने कहा, “हमारे दुश्मन ने हमें नए जोखिमों का सामना करने के लिए मजबूर कर दिया है, और हमें इन खतरों का मुकाबला करने के लिए तैयार रहना होगा।” ज़ेलेंस्की की इस अपील से साफ है कि रूस की नई मिसाइल केवल सैन्य स्तर पर नहीं, बल्कि मनोवैज्ञानिक स्तर पर भी एक बड़ा दबाव बना रही है।

पश्चिमी देशों पर रूस का आरोप

रूस ने अमेरिका और ब्रिटेन पर यह आरोप लगाया है कि उन्होंने यूक्रेन को लंबी दूरी की मिसाइलें प्रदान की हैं, जिनका उपयोग रूस के अंदर हमलों के लिए किया जा रहा है। इस पर पुतिन ने पश्चिमी देशों को चेतावनी दी कि यदि उनकी चिंताओं को नजरअंदाज किया गया, तो रूस और आक्रामक कदम उठा सकता है।

उत्तर कोरिया और रूस की नई साझेदारी

इस युद्ध में एक और चौंकाने वाला पहलू उत्तर कोरिया का रूस के साथ जुड़ना है। अमेरिकी रक्षा विभाग के प्रमुख लॉयड ऑस्टिन ने हाल ही में कहा कि लगभग 10,000 उत्तर कोरियाई सैनिक रूस में तैनात किए गए हैं और जल्द ही उन्हें यूक्रेन युद्ध में भेजा जा सकता है। यह कदम स्पष्ट रूप से युद्ध को और व्यापक बना सकता है। दक्षिण कोरियाई अधिकारियों ने भी पुष्टि की है कि रूस ने उत्तर कोरिया को तेल, एंटी-एयर मिसाइल और आर्थिक मदद दी है। बदले में, उत्तर कोरिया ने रूस को अपने सैनिक भेजे हैं।

नाटो और यूक्रेन की आपातकालीन बैठक

रूस द्वारा “ओरेशनिक” मिसाइल के उपयोग के बाद नाटो और यूक्रेन ने एक आपातकालीन बैठक बुलाई है। पोलैंड के प्रधानमंत्री डोनाल्ड टस्क ने कहा, “यह युद्ध अब एक निर्णायक चरण में प्रवेश कर रहा है और इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।” रूस द्वारा किए गए इस कदम को पश्चिमी देशों के लिए एक खुली चुनौती के रूप में देखा जा रहा है। यह मिसाइल परमाणु हथियारों को ले जाने में भी सक्षम है, जिससे इसके खतरे का स्तर और बढ़ गया है।

तीसरे विश्व युद्ध की आशंका?

रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध अब केवल इन दो देशों तक सीमित नहीं रहा। इसमें अब अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोपीय संघ और उत्तर कोरिया जैसे बड़े देशों की भी भागीदारी हो रही है। यह स्थिति तीसरे विश्व युद्ध की ओर इशारा कर रही है। रूस का दावा है कि उसकी नई मिसाइल के कारण पश्चिमी देश बैकफुट पर आ गए हैं, जबकि विशेषज्ञ इसे एक प्रोपेगेंडा के रूप में देख रहे हैं। हालांकि, यह स्पष्ट है कि यदि इस मिसाइल का उपयोग व्यापक पैमाने पर हुआ, तो इसके प्रभाव न्यूक्लियर हमले के समान हो सकते हैं।

भारत के लिए क्या मायने रखता है यह संकट?

भारत ने हमेशा से ही शांति का समर्थन किया है और युद्ध को टालने के लिए कूटनीतिक प्रयासों की वकालत की है। हालांकि, रूस और यूक्रेन के बीच बढ़ते तनाव और इसमें नए देशों की भागीदारी भारत के लिए चिंता का विषय बन रही है। भारत का रूस के साथ ऐतिहासिक संबंध है, लेकिन पश्चिमी देशों के साथ भी उसकी महत्वपूर्ण साझेदारी है। ऐसे में भारत के लिए यह संतुलन बनाए रखना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

निष्कर्ष

रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध अब एक खतरनाक मोड़ पर पहुंच गया है। “ओरेशनिक” मिसाइल के उपयोग ने इस संघर्ष को और गंभीर बना दिया है। यह केवल सैन्य शक्ति का प्रदर्शन नहीं है, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक चेतावनी है कि यह युद्ध कहीं भी रुक सकता है। भारत और बाकी देशों को इस स्थिति पर नजर रखनी होगी और शांति प्रयासों को बढ़ावा देना होगा। अन्यथा, यह संघर्ष एक विनाशकारी विश्व युद्ध में बदल सकता है, जिसके परिणाम पूरे विश्व को भुगतने पड़ सकते हैं।

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