कनाडा में गिरफ्तार खालिस्तानी आतंकी अर्श डल्ला को लेकर भारत और कनाडा के बीच एक नई बहस छिड़ गई है। अर्श डल्ला, जिसे 28 अक्तूबर को कनाडा में गोलीबारी के मामले में गिरफ्तार किया गया था, भारत में एक वांछित भगोड़ा है। उस पर हत्या, हत्या के प्रयास, जबरन वसूली, और आतंकवादी घटनाओं सहित 50 से अधिक गंभीर आरोप हैं। अर्श डल्ला को मई 2022 में रेड कॉर्नर नोटिस जारी कर इंटरपोल द्वारा सूचीबद्ध किया गया था और 2023 में भारत में उसे एक आतंकवादी घोषित किया गया।
कनाडा की विदेश मंत्री मेलानी जॉली का बयान
कनाडा की विदेश मंत्री मेलानी जॉली से जब अर्श डल्ला के भारत प्रत्यर्पण को लेकर सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा कि इस मामले की जांच चल रही है और वह किसी भी टिप्पणी से बचेंगी। हालांकि, उन्होंने यह भी जोड़ा कि अगर भारतीय अधिकारियों से कोई जानकारी मांगी जाएगी तो वे संवाद के लिए तैयार हैं। इस वक्त उनके पास अर्श डल्ला के प्रत्यर्पण के विषय में कोई विशेष जानकारी नहीं है।
अर्श डल्ला की गिरफ्तारी के बाद, भारत के विदेश मंत्रालय ने इस पर अपनी स्थिति स्पष्ट की। मंत्रालय ने कहा कि वे डल्ला के प्रत्यर्पण की मांग करेंगे ताकि उसे भारत में न्याय का सामना करना पड़े। भारत सरकार पहले भी कनाडा से अर्श डल्ला की गिरफ्तारी और प्रत्यर्पण के लिए अनुरोध कर चुकी है। भारत ने जनवरी 2023 में कनाडा को डल्ला के संदिग्ध आवासीय पते, भारत में उसके वित्तीय लेनदेन और अन्य जानकारियां मुहैया कराई थीं। इसके बावजूद, उस समय यह अनुरोध खारिज कर दिया गया था।
अर्श डल्ला: खालिस्तान टाइगर फोर्स का प्रमुख
अर्श डल्ला, जो खालिस्तान टाइगर फोर्स का प्रमुख बताया जाता है, भारत में कई आतंकवादी गतिविधियों के लिए जिम्मेदार है। गिरफ्तारी से पहले, डल्ला पंजाब से फरार होकर कनाडा भाग गया था और वहीं से अपनी गतिविधियों को अंजाम देता रहा। उसके आतंकवादी नेटवर्क को वित्तीय सहायता और योजनाओं को अंजाम देने में भी उसकी प्रमुख भूमिका रही है।
कनाडा में अर्श डल्ला की गिरफ्तारी को व्यापक रूप से मीडिया में कवर किया गया है। कनाडा की अदालत में इस मामले को सूचीबद्ध किया गया है, और भारत सरकार ने इस पर तुरंत कार्रवाई करते हुए प्रत्यर्पण का अनुरोध तैयार करने की बात कही है। भारत का दावा है कि डल्ला के खिलाफ उसके आपराधिक रिकॉर्ड और उसकी गतिविधियों के स्पष्ट सबूत हैं।
भारत-कनाडा के बिगड़ते रिश्ते
भारत और कनाडा के बीच हाल के दिनों में रिश्ते तनावपूर्ण रहे हैं। कनाडा में हिंदू मंदिरों पर खालिस्तानी चरमपंथियों के हमले और खालिस्तान समर्थकों की बढ़ती गतिविधियों ने दोनों देशों के बीच खाई को और गहरा किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन घटनाओं की कड़ी आलोचना की है। ऐसे माहौल में अर्श डल्ला का मामला दोनों देशों के बीच एक संवेदनशील मुद्दा बन गया है।
विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा है कि वे पारस्परिक कानूनी सहायता संधि (MLAT) के तहत सभी आवश्यक दस्तावेज और प्रमाण कनाडा को उपलब्ध करा चुके हैं। अब भारतीय एजेंसियां प्रत्यर्पण प्रक्रिया को तेजी से आगे बढ़ाने के लिए काम करेंगी। भारतीय अधिकारियों को उम्मीद है कि कनाडा इस बार डल्ला को भारत को सौंपेगा ताकि उसे उसके अपराधों के लिए न्याय का सामना करना पड़े।
अर्श डल्ला की गिरफ्तारी के साथ ही भारत-कनाडा संबंधों में एक नया मोड़ आया है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या कनाडा की सरकार भारतीय एजेंसियों के अनुरोध पर कार्रवाई करती है या फिर इसे एक और कूटनीतिक मुद्दा बना दिया जाता है। भारतीय अधिकारियों का मानना है कि डल्ला का प्रत्यर्पण आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एक बड़ी जीत होगी।
भारत की प्रतिक्रिया: प्रत्यर्पण की उम्मीद
भारत पहले भी कनाडा सरकार से खालिस्तानी आतंकवादियों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने की मांग करता रहा है। लेकिन कनाडा में खालिस्तान समर्थकों की मौजूदगी और उनकी गतिविधियों को देखते हुए यह मामला और जटिल हो गया है। डल्ला का मामला सिर्फ एक आरोपी के प्रत्यर्पण तक सीमित नहीं है, बल्कि यह दोनों देशों के संबंधों की दिशा और आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई के संदर्भ में भी अहम है।
भारत सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह अर्श डल्ला जैसे आतंकवादियों को कानून के शिकंजे में लाने के लिए हरसंभव प्रयास करेगी। डल्ला की गिरफ्तारी और उसके प्रत्यर्पण की संभावनाएं इस बात पर निर्भर करेंगी कि कनाडा सरकार इस मुद्दे को किस तरह से देखती है और दोनों देशों के बीच संवाद किस दिशा में आगे बढ़ता है।