दिल्ली चुनाव से ठीक पहले रामनिवास गोयल ने राजनीति से लिया संन्यास, केजरीवाल को लिखी भावुक चिट्ठी

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नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा के स्पीकर रामनिवास गोयल ने राजनीति से संन्यास लेने का ऐलान कर दिया है। उन्होंने आम आदमी पार्टी (AAP) के मुखिया अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखते हुए कहा कि वह बढ़ती उम्र के चलते चुनावी राजनीति से दूरी बना रहे हैं। गोयल का यह फैसला विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी के लिए एक बड़ा बदलाव माना जा रहा है।

दिल्ली चुनाव से ठीक पहले रामनिवास गोयल ने राजनीति से लिया संन्यास, केजरीवाल को लिखी भावुक चिट्ठी

 

रामनिवास गोयल ने अपनी चिट्ठी में भावुक शब्दों में लिखा, “मैं पिछले 10 सालों से शाहदरा विधानसभा के विधायक और विधानसभा अध्यक्ष के रूप में अपना कर्तव्य निभा रहा हूं। आपने और पार्टी के सभी विधायकों ने मुझे जो सम्मान दिया है, उसके लिए मैं सदा आभारी रहूंगा।” उन्होंने आगे कहा कि उम्र बढ़ने के कारण वह चुनावी राजनीति से सन्यास लेना चाहते हैं, लेकिन पार्टी की सेवा करना जारी रखेंगे। गोयल के इस पत्र पर अरविंद केजरीवाल ने गहरी प्रतिक्रिया दी।

 

केजरीवाल की भावुक प्रतिक्रिया

रामनिवास गोयल के इस पत्र पर अरविंद केजरीवाल ने भी भावुक प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा:

“रामनिवास गोयल जी का यह फैसला हम सभी के लिए बेहद भावुक क्षण है। उनके मार्गदर्शन में सदन के अंदर और बाहर हमें सही दिशा मिली। बढ़ती उम्र और स्वास्थ्य कारणों से उन्होंने राजनीति से दूर जाने की इच्छा ज़ाहिर की थी, जिसका हम सम्मान करते हैं।”

उन्होंने आगे कहा:

“गोयल साहब हमारे परिवार के अभिभावक हैं और रहेंगे। पार्टी को उनके अनुभव और नेतृत्व की हमेशा ज़रूरत रहेगी।”

 

राजनीतिक सफर का बड़ा हिस्सा

रामनिवास गोयल का राजनीतिक सफर 1993 से शुरू हुआ था जब वह पहली बार शाहदरा सीट से भारतीय जनता पार्टी (BJP) के टिकट पर विधायक बने। लेकिन बाद में AAP के गठन के बाद वह पार्टी में शामिल हो गए। उन्होंने AAP के साथ मिलकर दो बार जीत हासिल की और दिल्ली विधानसभा के स्पीकर के रूप में चुने गए।

2015 के चुनावों में उन्होंने BJP के जितेंद्र सिंह शंटी को 11,731 मतों से हराकर बड़ी जीत दर्ज की थी। स्पीकर के तौर पर उनका कार्यकाल ऐतिहासिक रहा है। इस दौरान दिल्ली विधानसभा में कई महत्वपूर्ण विधेयक पारित किए गए।

 

स्पीकर रहते हुए किए गए कार्य

रामनिवास गोयल के नेतृत्व में विधानसभा में कई अहम काम हुए। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया:

  • 1,095 प्रश्नों के उत्तर दिए गए।
  • 19 समिति रिपोर्ट्स पेश की गईं।
  • 26 विधेयक पारित हुए।
  • 702 विशेष उल्लेख, 39 अल्पकालिक चर्चाएं, और 13 प्रस्ताव विधान सभा की कार्यवाही का हिस्सा बने।

उन्होंने अपने कार्यकाल को यादगार बताते हुए कहा, “एक स्पीकर के रूप में मैंने हमेशा निष्पक्षता से काम किया। सत्ता पक्ष और विपक्ष, दोनों को समान महत्व दिया।”

 

भावुक और ऐतिहासिक पल

74वीं दिल्ली विधानसभा का आखिरी सत्र बुधवार को हुआ। इसे ऐतिहासिक बताते हुए गोयल ने कहा कि यह सत्र कई उपलब्धियों के साथ समाप्त हुआ है। उन्होंने कहा कि उनकी उम्र अब उन्हें चुनावी राजनीति से दूर रहने की इजाजत देती है, लेकिन पार्टी की सेवा में वह तन-मन-धन से हमेशा तत्पर रहेंगे।

 

पार्टी के लिए बड़ी क्षति

रामनिवास गोयल के संन्यास से AAP को एक अनुभवी नेता की कमी जरूर खलेगी। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि उनके नेतृत्व और कुशल प्रबंधन ने पार्टी को एक मजबूत आधार दिया था। उनके जाने के बाद यह देखना होगा कि AAP अगली पीढ़ी के नेताओं के साथ कैसे आगे बढ़ेगी। केजरीवाल ने भी इस बात को स्वीकार करते हुए कहा कि पार्टी उनके अनुभव का हमेशा लाभ उठाएगी। उन्होंने कहा, “गोयल साहब ने राजनीति में जो ऊंचाई हासिल की है, वह हम सबके लिए प्रेरणा है।”

 

राजनीति में एक युग का अंत

76 वर्षीय रामनिवास गोयल का यह फैसला निश्चित रूप से दिल्ली की राजनीति में एक युग का अंत है। लंबे समय से वह शाहदरा की जनता की आवाज बने हुए थे। AAP के साथ जुड़ने के बाद उन्होंने लगातार जीत हासिल की और विधानसभा में एक कुशल स्पीकर के रूप में कार्य किया। उनके फैसले से शाहदरा की जनता और AAP के कार्यकर्ताओं में थोड़ा भावुक माहौल बना हुआ है। एक कार्यकर्ता ने कहा, “रामनिवास जी ने हमारे इलाके के लिए जो काम किया है, वह कभी भुलाया नहीं जा सकता। उनका मार्गदर्शन हमें हमेशा याद रहेगा।”

 

रामनिवास गोयल की विरासत

रामनिवास गोयल की राजनीतिक यात्रा एक प्रेरणा है। उन्होंने अपने सिद्धांतों और सादगी से जनता के बीच एक अलग पहचान बनाई। भारतीय जनता पार्टी से शुरुआत कर आम आदमी पार्टी में शामिल होकर उन्होंने यह साबित किया कि जनता की सेवा ही सबसे बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिए। दिल्ली विधानसभा के स्पीकर रहते हुए उन्होंने जिस प्रकार सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच संतुलन बनाए रखा, वह काबिल-ए-तारीफ है। उनके कार्यकाल में दिल्ली विधानसभा ने कई ऐतिहासिक फैसले लिए।

 

आगे क्या?

रामनिवास गोयल के संन्यास के बाद अब AAP को उनकी जगह नए नेता की तलाश करनी होगी। हालांकि गोयल ने साफ कर दिया है कि वह पार्टी के लिए अपनी सेवाएं जारी रखेंगे। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि AAP उनके अनुभव का किस तरह से फायदा उठाती है। गोयल का यह फैसला राजनीति में एक नई दिशा की ओर इशारा करता है। उनकी यह सोच कि “समय के साथ खुद को बदलना जरूरी है” आने वाली पीढ़ी के नेताओं के लिए एक बड़ी सीख है।

 

निष्कर्ष:
रामनिवास गोयल का राजनीति से संन्यास लेना केवल एक व्यक्ति का फैसला नहीं, बल्कि दिल्ली की राजनीति के एक एहसास का अंत है। उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा। अरविंद केजरीवाल और AAP के कार्यकर्ताओं के लिए यह एक भावुक क्षण है, लेकिन उनके अनुभव का लाभ पार्टी भविष्य में जरूर लेगी। रामनिवास गोयल ने राजनीति को जो सादगी, ईमानदारी और कुशल नेतृत्व दिया है, वह हमेशा आने वाले नेताओं के लिए एक मिसाल बनी रहेगी।

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