कैनेडा का दोगला चेहरा: खालिस्तानी आतंकवादियों का समर्थन

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कैनेडा, जिसे सामान्यतः एक उदार और सहिष्णु देश माना जाता है, ने हाल के वर्षों में भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने का जो रवैया अपनाया है, वह चिंताजनक है। विशेष रूप से, यह किसान विरोध और खालिस्तानी आंदोलन में उसकी भूमिका ने इसे एक ‘खोखला दोस्त’ बना दिया है।

भारत के प्रति कैनेडा का यह दोगला व्यवहार न केवल संबंधों में खटास लाने का कारण बना है, बल्कि यह वैश्विक राजनीति में भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है।

किसान विरोध और खालिस्तानी आंदोलन में कैनेडा की भूमिका

भारत में जब किसानों ने कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन किया, तब कैनेडा ने खालिस्तानी तत्वों को समर्थन देकर एक विवादास्पद स्थिति उत्पन्न कर दी। यह किसानों का आंदोलन, जो देश के विभिन्न हिस्सों में अपने अधिकारों की रक्षा के लिए था, का उपयोग खालिस्तानी समर्थक समूहों ने अपने राजनीतिक लक्ष्यों को बढ़ावा देने के लिए किया। इससे भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर चिंता उत्पन्न हुई।

कैनेडा में कई ऐसे खालिस्तानी समर्थक समूह हैं जो भारतीय किसानों के आंदोलन का समर्थन करते हैं। इन समूहों ने अपने एजेंडे को बढ़ाने के लिए भारतीय किसान आंदोलन को हथियार बनाया है, जो भारत की संप्रभुता को चुनौती देता है। जब भारतीय सरकार ने इन गतिविधियों पर चिंता व्यक्त की, तो कैनेडा की सरकार ने इसे नजरअंदाज किया, जिससे यह संदेश मिला कि कैनेडा भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप कर रहा है।

कूटनीतिक तनाव

इस हस्तक्षेप का परिणाम यह हुआ कि भारत और कैनेडा के बीच संबंधों में तनाव बढ़ा। जब भारतीय अधिकारी खालिस्तानी गतिविधियों के बारे में चेतावनी देते हैं, तो कैनेडियन सरकार उनकी चिंताओं को गंभीरता से नहीं लेती। यह न केवल भारत के लिए अपमानजनक है, बल्कि यह कैनेडा के लिए भी एक द्विपक्षीय संबंध को कमजोर करने वाला कदम है।

कैनेडा की लिबरल पार्टी के कुछ नेता, जिन्होंने खुलेआम खालिस्तानी समर्थक समूहों का समर्थन किया, ने स्थिति को और भी बिगाड़ दिया है। इससे यह स्पष्ट होता है कि वे न केवल भारतीय आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप कर रहे हैं, बल्कि राजनीतिक लाभ के लिए इस संवेदनशील मुद्दे का उपयोग भी कर रहे हैं।

भारतीय समुदाय पर प्रभाव

कैनेडा में भारतीय समुदाय पर इस स्थिति का नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। भारतीय प्रवासी, जो कैनेडा में शांति और सहिष्णुता की उम्मीद के साथ आए थे, अब एक विभाजित समुदाय का सामना कर रहे हैं। खालिस्तानी समर्थक समूहों की गतिविधियाँ भारतीय समुदाय के भीतर भय और तनाव को बढ़ा रही हैं। यह एक चिंताजनक स्थिति है, क्योंकि इससे भारतीय समुदाय में असुरक्षा और दुविधा बढ़ रही है।

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दोहरा मापदंड

कैनेडा में, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अक्सर एक विशेष दृष्टिकोण होता है। जब भारतीय पत्रकारों या नेताओं को वहाँ धमकियाँ दी जाती हैं, तो कैनेडियन अधिकारी इसे ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता’ के रूप में देखते हैं। लेकिन जब भारतीय सरकार अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए कदम उठाती है, तो इसे ‘अत्याचार’ के रूप में चित्रित किया जाता है। यह दोगलापन भारत के लिए एक गंभीर मुद्दा है और कैनेडा के नकारात्मक इरादों को दर्शाता है।

पर्यावरणीय चिंताएँ

इसके अलावा, कैनेडा की पर्यावरण नीतियाँ भी आलोचना का विषय रही हैं। एक तरफ, कैनेडा ने जलवायु परिवर्तन से लड़ने का संकल्प लिया है, दूसरी तरफ, उसने अपनी ऊर्जा नीतियों में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए आवश्यक कदम उठाने में विफलता दिखाई है। न केवल देश में प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन हो रहा है, बल्कि इसके परिणामस्वरूप स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र भी प्रभावित हो रहे हैं। यह स्थिति प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ वैश्विक प्रयासों में कैनेडा की भूमिका पर सवाल उठाती है।

सामाजिक मुद्दे

कैनेडा में एक और नकारात्मक पहलू सामाजिक असमानता है। हालांकि यह देश अपने समावेशी और विविध समाज के लिए जाना जाता है, लेकिन यहाँ भी जातीय और आर्थिक असमानता एक गंभीर समस्या है। कैनेडा के स्वदेशी समुदायों के साथ होने वाले भेदभाव और आर्थिक चुनौतियाँ इस बात का स्पष्ट उदाहरण हैं। स्वदेशी लोग अक्सर सामाजिक सेवाओं और संसाधनों से वंचित रहते हैं, जिससे उनके जीवन स्तर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

निष्कर्ष

इन सभी कारणों से, कैनेडा की छवि एक ‘खोखले दोस्त’ के रूप में उभरती है, जो अंततः भारत के लिए एक छिपा खतरा बन सकता है। भारत को अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता की रक्षा के लिए सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हम किसी भी देश के दबाव में आकर अपने आंतरिक मामलों में समझौता न करें।

कैनेडा को चाहिए कि वह अपने आंतरिक राजनीतिक उद्देश्यों के लिए भारतीय मामलों में हस्तक्षेप करना बंद करे और दोनों देशों के बीच स्थायी और सकारात्मक संबंध स्थापित करने की दिशा में आगे बढ़े। अन्यथा, यह स्थिति न केवल भारत के लिए, बल्कि वैश्विक राजनीति में भी एक महत्वपूर्ण चुनौती बनेगी।

यह समय है कि कैनेडा अपने विचारों पर पुनर्विचार करे और एक वास्तविक दोस्त के रूप में भारत के साथ खड़ा हो, न कि एक छिपे हुए खतरे के रूप में।

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